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सच निकली आइंस्‍टीन की भविष्यवाणी,

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12 Feb 16
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नयी दिल्ली : भारतीय वैज्ञानिकों ने गुरुत्वाकर्षी तरंगों की खोज के लिए महत्वपूर्ण परियोजना में डाटा विश्लेषण सहित अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. इंस्टिट्यूट ऑफ प्लाजमा रिसर्च गांधीनगर, इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनामी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीएए) पुणे और राजारमन सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलाजी इंदौर सहित कई संस्थान इस परियोजना से जुडे थे. गुरुत्वाकर्षी तरंगों की खोज की घोषणा आईयूसीएए पुणे और वाशिंगटन डीसी, अमेरिका में वैज्ञानिकों ने समानांतर रूप से की. भारत उन देशों में से भी एक है जहां गुरुत्वाकर्षण प्रयोगशाला स्थापित की जा रही है. उधर, परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष अनिल काकोदकर ने गुरुत्वाकर्षी तरंगों की खोज में महत्वपूर्ण योगदान के लिए आज भारतीय वैज्ञानिकों की टीम को बधाई दी.

भौतिक और खगोल विज्ञान के लिए एक महत्वपूर्ण खोज में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने कल कहा कि अंतत: उन्होंने गुरुत्वाकर्षी तरंगों का पता लगा लिया है जिसकी भविष्यवाणी आइंस्टीन ने एक सदी पहले ही कर दी थी. वैज्ञानिकों ने इस सफलता को उस क्षण से जोडा जब गैलीलियो ने ग्रहों को देखने के लिए दूरबीन का सहारा लिया था. इन तरंगों की खोज ने खगोलविदों को उत्साह से भर दिया है क्योंकि इससे ब्रह्मांड को समझने के नए रास्ते खुल गए हैं. ये तरंगें ब्रह्मांड में भीषण टक्करों से उत्पन्न हुई थीं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुत्वाकर्षण तरंगों की ऐतिहासिक खोज पर आज प्रसन्नता व्यक्त की और परियोजना में भारतीय वैज्ञानिकों की भूमिका की सराहना की. उन्होंने ट्वीट किया, ‘अत्यधिक गर्व है कि भारतीय वैज्ञानिकों ने इस चुनौतीपूर्ण खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. मोदी ने माइक्रोब्लागिंग वेबसाइट पर सिलसिलेवार पेास्ट में कहा, ‘गुरुत्वीय तरंगों की ऐतिहासिक खोज ने ब्रह्मांड को समझने के लिए एक नया मोर्चा खोल दिया है. खगोल विज्ञान जगत को उत्साहित कर देने वाली एक घोषणा में वैज्ञानिकों ने कहा कि अंतत: उन्होंने गुरुत्वाकर्षण तरंगों की खोज कर ली है जिसकी आइंस्टीन ने एक सदी पहले भविष्वाणी की थी. मोदी ने कहा, ‘देश में एक विकसित गुरुत्वीय तरंग अन्वेषक के साथ और अधिक योगदान के लिए आगे बढने की उम्मीद करता हूं.
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