उदयपुर। राजकीय पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान में पृथ्वी दिवस के उपलक्ष्य में "पृथ्वी की बिगड़ती सेहत का उपचार" विषयक संगोष्ठी आयोजित की गई। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने प्लास्टिक का उपयोग न करने की शपथ ली।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए संस्थान के उपनिदेशक डॉ. सुरेंद्र छंगाणी ने कहा कि पृथ्वी की सेहत लगातार बिगड़ रही है और इसके उपचार में देर नहीं की जा सकती। उन्होंने प्लास्टिक को पृथ्वी की सेहत का सबसे बड़ा शत्रु बताते हुए इसके उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध की आवश्यकता बताई। डॉ. छंगाणी ने कहा कि प्लास्टिक का प्रभाव अब पशुओं के भोजन तक पहुंच गया है, जिससे दूध और मांस जैसे उत्पादों में इसके अंश पाए जा रहे हैं, जो मानव स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रहे हैं। साथ ही इससे पशुधन हानि और भूमि की उर्वरता में कमी आ रही है।
उन्होंने सभी को न्यूनतम प्लास्टिक उपयोग की ओर बढ़ने और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करने की अपील की। इस अवसर पर डॉ. पदमा मील ने कहा कि पृथ्वी दिवस केवल एक दिन मनाने की नहीं, बल्कि इसे जीवनशैली में शामिल करने की आवश्यकता है। डॉ. ओमप्रकाश साहू ने भी विचार साझा किए।
पशुपालन डिप्लोमा के विद्यार्थियों ने न केवल प्लास्टिक का उपयोग न करने का संकल्प लिया, बल्कि पशु चिकित्सालय आए पशुपालकों को भी प्लास्टिक से बचने की सलाह दी।