भारत में स्वच्छता इमरजेंसी को लागू करने की आवश्यकता-के के गुप्ता

( 1428 बार पढ़ी गयी)
Published on : 22 Apr, 25 09:04

निकायों का प्राथमिक दायित्व स्वच्छता है लेकिन दुर्भाग्य से यह केवल कागजों में ही चमक रही है -के के गुप्ता

भारत में स्वच्छता इमरजेंसी को लागू करने की आवश्यकता-के के गुप्ता

नीति गोपेन्द्र भट्ट-

नई दिल्ली/जयपुर/उदयपुर। राजस्थान सरकार के स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के  प्रदेश समन्वयक और नगर निकाय झुंझूनू, बांसवाड़ा तथा उदयपुर के लिए माननीय न्यायालय द्वारा नियुक्त न्याय मित्र के के गुप्ता ने केन्द्र सरकार को सुझाव दिया है कि भारत में स्वच्छता की स्थिति को बेहतर बनाने और सुधारने के लिए भारत सरकार को देश में स्वच्छता इमरजेंसी लागू करने की आवश्यकता है। स्वच्छता इमरजेंसी लागू होने से देश में स्वच्छता की स्थिति में अपेक्षित सुधार हो सकेगा ।

गुप्ता ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत में स्वच्छता एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिस पर सबसे पहले ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि, इसका सीधा सम्बंध स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है । गंदगी की वजह से ही देश में लाखों लोग बीमार होते है और हजारों लोगों की असामयिक मृत्यु हो जाती है । गंदगी जनित बीमारियों के इलाज पर सरकार को लाखों करोड़ो रू. खर्च करने पड़ते है।अतः स्वच्छता के महत्व को समझते हुए देश में तत्काल स्वच्छता इमरजेंसी लागू कर गंदगी  फैलाने के लिए दोषी लोगों पर भारी अर्थ दण्ड लगाने का कानून बनाना चाहिए । 

उन्होंने कहा कि देश में स्वच्छता की स्थिति को सुधारने के लिए सरकार और नागरिकों को मिल कर काम करने की आवश्यकता है।इसके बिना स्वच्छता के लिए जागरूकता पैदा नहीं होगी और स्वच्छता कार्यक्रम पूरी तरह से जन आन्दोलन भी नहीं बन पायेगा । निकायों में अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों पर जब तक नैतिक दबाव नहीं होगा स्वच्छता का धरातल पर उतरना मुस्किल है । निकायों का प्राथमिक दायित्व स्वच्छता है लेकिन दुर्भाग्य से यह केवल कागजों में  ही चमक रही है ।

गुप्ता  ने कहा कि हमारे यशस्वी प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के दूरगामी विजन के साथ उनके नेतृत्व में  पिछले वर्षों देश में स्वच्छ भारत अभियान का सफल क्रियान्वयन किया गया जोकि काफी सफल भी रहा। स्वच्छ भारत मिशन की क्रियान्वित  के बावजूद आज भी भारत में स्वच्छता की स्थिति चिंताजनक है। भारत आने वाले विदेशी पर्यटक देश की खराब छवि लेकर जाते है । देश में कई शहरों और गांवों में स्वच्छता की पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं, जिससे लोगों को गन्दगी की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, देश में कूड़ा-कचरा प्रबंधन की भी सही व्यवस्था नहीं की जा रही है, जिससे पर्यावरण प्रदूषण की समस्या होती है।

उन्होंने बताया कि स्वच्छता इमरजेंसी लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने  जरूरी है । सबसे पहले सरकार और नागरिकों को मिलकर सघन स्वच्छता अभियान चलाने की आवश्यकता है। इसके लिए शहरों और गांवों में स्वच्छता की आधुनिक सुविधाएं प्रदान करनी होंगी।

गुप्ता ने बताया कि देश में कूड़ा-कचरा प्रबंधन की व्यवस्था को सख्ती से लागू करना होगा । इसके लिए सूखे और गीले तथा अन्य कूड़ा-कचरा को अलग अलग करने और उसे निपटाने की व्यवस्था करनी होगी।उन्होंने  कहा कि लोगों को स्वच्छता के महत्व के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता है। इसके लिए स्वच्छता शिक्षा कार्यक्रम चलाने होंगे।

गुप्ता ने कहा कि सरकार को शहरों और गांवों में स्वच्छता की आधुनिक सुविधाएं प्रदान करनी होंगी। इसके लिए शौचालय, कूड़ा-कचरा प्रबंधन और स्वच्छ पानी की व्यवस्था भी सुनिश्चित करनी होगी। उन्होंने कहा कि भारत में स्वच्छता एक ऐसा महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिस पर सबसे अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। स्वच्छता इमरजेंसी लागू करने से देश में स्वच्छता की स्थिति में अपेक्षित सुधार हो सकता है। इसके लिए सरकार और नागरिकों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। स्वच्छता अभियान चलाना, कूड़ा-कचरा प्रबंधन, स्वच्छता शिक्षा और स्वच्छता की सुविधाएं प्रदान करना स्वच्छता इमरजेंसी लागू करने के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि डूंगरपुर और इंदौर शहर इसके ज्वलंत उदाहरण है । साथ ही केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संसदीय क्षेत्र में स्वच्छता का अच्छा कार्य होने से वे ग्राम पंचायते देश में अव्वल रही  है ।

गुप्ता ने कहा कि स्वच्छता कार्यक्रम को आयुष्मान भारत योजना से जोड़ देने से आयुष्मान भारत जैसी स्वास्थ्य योजना पर प्रति वर्ष होने वाली 3,500 करोड़ रुपये की धनराशि की बचत हो सकती है। केन्द्र सरकार स्वच्छता कार्यक्रम और स्वास्थ्य कार्यक्रमों को जोड़ते हुए ऐसा मैकेनिजम विकसित करना होगा जिसके अन्तर्गत यह सुनिश्चित हो सके कि गन्दगी के कारण उत्पन्न रोगों से शहरों और गाँवों में प्रतिमाह कितने लोग बीमार हुए तथा कितने लोगों की मृत्यु हुई। यह कार्य स्थानीय निकायों के हेल्थ इंस्पेक्टर और गाँवों में पंचायतों के माध्यम से किया जा सकता है और इसके सुपरविजन के लिए जिला कलक्टर की अध्यक्षता में  एक समिति बनाई जानी चाहिए। इस समिति में जिला स्वास्थ अधिकारी स्थानीय निकाय के कमिश्नर संबंधित विकास खण्ड के अधिकारी और सरपंच आदि को शामिल किया जा सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि आयुष्मान भारत कार्यक्रम के लिए स्वास्थ्य सेस लागू कर भी धनराशि की जा सकती है। जब लोगों के जेब पर खर्चा बढ़ेगा तभी उन्हें स्वच्छता का महत्व और आवश्यकता समझ में आएगी।

गुप्ता ने यह सुझाव भी दिया कि स्वास्थ्य जागरूकता के लिए हर नगरपालिका और पंचायत समिति में एक न्याय मित्र भी नियुक्त होना चाहिए। राजस्थान के शेखावाटी अंचल और वागड़ क्षेत्र में ऐसे प्रयास सफल रहें है।जिसे अब मेवाड़ और प्रदेश की राजधानी जयपुर तक बढ़ाया जा रहा है ।


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.