उदयपुर 21 अप्रैल। समाज सेविका और लेखिका विजयलक्ष्मी बंसल द्वारा सरल सारगर्भित भाषा में लिखित श्रीमद्भगवद्गीता- जन-जन के लिएश्श् पुस्तक का विमोचन रविवार को अशोकनगर स्थित विज्ञान समिति सभागार में, आलोक संस्थान के निदेशक डॉक्टर प्रदीप कुमावत ने किया। इस अवसर पर आलोक संस्थान के निदेशक डॉक्टर प्रदीप कुमावत ने समाज सेविका और लेखिका श्रीमती विजयलक्ष्मी बंसल के द्वारा सरल किए गए गीता के 18 अध्यायों के सार को 18 सरल पंक्तियों में सुनाया, व मेवाड़ी भाषा में स्वरचित गीता श्लोक सुनाये तो उपस्थित आध्यात्मिक सुधीजन भाव भावित हुए।
लेखिका एवं समाजसेवी श्रीमती विजय लक्ष्मी बंसल ने बताया कि श्रीमद्भगवद्गीता, एक ऐसा ग्रन्थ है जो किसी भी संप्रदाय विशेष का ना होकर, समस्त मानव जाति के लिए है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण द्वारा महाभारत युद्ध के समय, अपने कर्तव्यों से विमुख हुए, और परिवार प्रेम में उलझे अर्जुन को राह दिखाने के लिए, जीवन के गूढ़ रहस्यों को उपदेश के रूप व्यक्त किया गया है।
हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम अपनी भावी पीढ़ियों को यह मौका दें कि वे भी इस महाग्रन्थ को आत्मसात कर सकें। इस समारोह में मीरा कन्या महाविद्यालय की संस्कृत विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष श्रीमती गायत्री पंवार एवं मीरा कन्या महाविद्यालय की अर्थशास्त्र विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष श्रीमती शारदा गुप्ता ने विशिष्ट अतिथि के रूप में सभा को सम्बोधित किया। इस पुस्तिका को लिखने के अपने उद्देश्य के बारे में बताते हुए लेखिका ने बताया कि आने वाले समय में वो इसे विद्यालयों और महाविद्यालयों में निःशुल्क वितरित करेंगी ताकि अपने शीर्षक को सार्थक करती यह पुस्तिका जन जन तक पहुँच सके, जिसके माध्यम से श्रीमद्भगवद्गीता का सन्देश हर व्यक्ति आत्मसात कर सके। इस पुस्तिका में महाभारत से जुड़े कई तथ्य, जैसे सौ कोरवों के नाम, युद्ध में प्रयोग किए गये विभिन्न अस्त्र-शस्त्रों के नाम, योद्धाओं के शंखों के नाम आदि भी वर्णित हैं। पुस्तिका की उल्लेखनीय विशेषताओं में इसकी सरल भाषा शैली और इसका साइज़ है जो कि बहुत ही आसानी से आपकी जेब, पर्स या बैग में गुटके (धार्मिक ग्रन्थ का छोटा रूप) के रूप में रखा जा सकता है।