बांसवाड़ा में स्थित अंकुर स्कूल में रविवार को आयोजित एक विशेष प्रवचन सत्र में साधु विचारक और लेखक श्रद्धेय बृज मोहन दास प्रभु ने श्रीमद्भागवत गीता और कर्म ज्ञान योग के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ब्रह्मांड में हर कर्म का एक परिणाम होता है और जैसे दर्पण वस्तुओं को जस का तस प्रतिबिंबित करता है, वैसे ही ब्रह्मांड भी हमारे कर्मों का परिणाम हमें वापस देता है।
उन्होंने बताया कि कर्म दो प्रकार के होते हैं—अहम्-पोषित और परमार्थ। यदि हमारे कर्म केवल स्वयं के लाभ के लिए होते हैं, तो वे नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करते हैं, जबकि परमार्थ की दिशा में किए गए कर्म सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
श्रद्धेय बृज मोहन दास प्रभु ने गीता के ज्ञान की भी व्याख्या की। उन्होंने बताया कि गीता हमें सिखाती है कि हमें अपने कर्मों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और कर्म करते समय यह याद रखना चाहिए कि हर कर्म का परिणाम निश्चित रूप से हम तक पहुंचेगा।
समारोह में श्री कृष्ण के भक्ति साधना, संकीर्तन और पूजा विधि का आयोजन किया गया, जिसमें कई श्रद्धालुओं और साधकों ने भाग लिया।