उदयपुर, भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी संकाय और अकेडमी ऑफ न्यूमिसमेटिक्स एंड सिगिलोग्राफी, इन्दौर के साझे में आयोजित संगोष्ठी के तीसरे दिन इतिहासविदों एवं मुद्राशास्त्रियों ने उदयपुर के ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण किया। इसी के साथ मुद्राओं पर व्यापक मंथन के साथ समापन समारोह विश्वविद्यालय के सभागार में सम्पन्न हुआ।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद चुन्नी लाल गरासिया ने अपने संबोधन में कहा कि इतिहास को जानने के अनेक स्रोतों में मुद्राओं जैसे स्रोतों का अपना विशेष महत्व है। ये मुद्राएं दिखने में छोटी होती हैं, परन्तु ये इतिहास के रहस्य को अपने अन्दर समेटे हुए है। आज की अज्ञात मुद्राएं हैं, जिनकी खोज और उनके रहस्य को जानना मुद्राशास्त्रियों का काम है। भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय द्वारा ऐसे अनछुए पहलुओं पर अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन करवाना एक अनूठा और सराहनीय प्रयास की कहा जाएगा।
राजस्थान के पूर्व मुख्य वन संरक्षक एवं विचारक डॉ व्यंकटेश शर्मा ने बतौर विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने विचार रखते हुए कहा कि मुद्राओं पर भी सेमिनार होता है। यह यकीनन प्रशंसनीय कार्य कहा जाएगा। यह विषय सामान्य विषय से हटकर विषय है। आज आवश्यकता है नवीन शोध तकनीकों के माध्यम से मुद्राओं का अध्ययन करने की। उन्होंने कहा कि आज के युवाओं को इस क्षेत्र में आगे आना चाहिए और भारतीय मुद्राओं के महत्व को संपूर्ण विश्व के सामने लाना चाहिए। ऐसे अकादमिक आयोजन समाज को नए विषयों से अवगत कराने में सहायक होते हैं।
भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय के चैयरपर्सन कर्नल प्रो शिवसिंह सारंगदेवोत ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि मुद्राओं का अध्ययन एक विशेष अध्ययन है। हमारी भारत की सांस्कृतिक परंपराओं को जानने के महत्वपूर्ण स्रोत हैं-मुद्राएं और मुद्रिकाएं। इतिहास विभाग द्वारा ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर संगोष्ठी का आयोजन करना और मुद्राओं के विषय में व्यापक मंथन करना एक उत्कृष्ट प्रयास है। भविष्य में ऐसे आयोजनों की निरंतरता बनी रहनी चाहिए।
इससे पूर्व अतिथियों को स्वागत करते हुए अधिष्ठाता, सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी संकाय, डॉ शिल्पा राठौड़ ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य में मुद्राओं पर सेमिनार अपने सार्थक निष्कर्षों के साथ समाप्त हो रही है।
प्रसिद्ध मुद्रा शास्त्री डॉ शशिकांत भट्ट ने त्रिदिवसीय आयोजन के संबंध में अपने विचार रखते हुए कहा कि इस संगोष्ठी के माध्यम से नए निष्कर्ष और दृष्टियां प्राप्त हुई हैं।
आयोजन सचिव डॉ पंकज आमेटा ने त्रिदिवसीय संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों और गतिविधियों का विस्तार के साथ प्रतिवेदन प्रस्तुत किया और कहा कि 80 से अधिक शोधपत्रों के माध्यम से सिक्कों द्वारा नए तथ्यों की खोज के संबंध में व्यापक रूप से विमर्श किया गया। कार्यक्रम में डॉ प्रशांत कुलकर्णी एवं गिरीश शर्मा, आदि ने अपने अनुभव साझा किये।
भूपाल नोबल्स संस्थान के प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह राठौड, विद्याप्रचारिणी सभा के संयुक्त मंत्री राजेन्द्र सिंह झाला, वित्तमंत्री शक्ति सिंह राणावत, कार्यकारिणी सदस्यगण कमलेश्वर सिंह सारंगदेवोत, कुलदीप सिंह चुण्डावत, महेन्द्र सिंह राठौड़ ने मंच सांझा किया।
इस अवसर पर वि.प्र.सभा के सदस्य दिलीप सिंह दुदोड़, देश के प्रमुख मुद्राशास्त्री, डीन पीजी स्टडीज डॉ प्रेमसिंह रावलोत उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन सह अधिष्ठाता डॉ ज्योतिरादित्य सिंह भाटी द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ अनिता राठौड़ ने किया।