आज के भागदौड़ भरे जीवन में योग न केवल एक विकल्प, बल्कि एक आवश्यकता बन गया है। चाहे व्यक्ति किसी भी जाति, धर्म या उम्र का हो, योग उसके जीवन में संतुलन लाने वाला सिद्ध हो सकता है। योग केवल शारीरिक स्वास्थ्य को ही नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक विकास को भी मजबूत करता है।
आज की जीवनशैली में मानसिक असंतुलन के कारण डिप्रेशन, तनाव और अनेक मानसिक बीमारियां आम होती जा रही हैं। यहां तक कि कम उम्र में ही जटिल रोग सामने आ रहे हैं। ऐसे में यदि हर व्यक्ति रोजाना एक घंटा भी योग को दे, तो न केवल इन रोगों से बचा जा सकता है, बल्कि स्वस्थ जीवन भी जिया जा सकता है।
योग का शास्त्रों में अर्थ है आत्मा का परमात्मा से मिलन, लेकिन वर्तमान में यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी है। यदि नियमित रूप से शास्त्रोक्त विधि से योग किया जाए और उसमें भ्रामरी प्राणायाम, बालासन, वृक्षासन, वज्रासन और पद्मासन जैसे आसनों को शामिल किया जाए, तो अनेक रोगों में राहत मिल सकती है।
बालासन: मानसिक शांति, नींद में सुधार, क्रोध व तनाव में कमी
वृक्षासन: संतुलन व स्थिरता बढ़ाता है
पद्मासन: ध्यान व एकाग्रता में सहायक
वज्रासन: पाचन तंत्र और घुटनों के लिए लाभकारी
भ्रामरी प्राणायाम: मानसिक शांति और तनाव मुक्ति में सहायक
आज कॉरपोरेट जगत से लेकर स्कूल के बच्चों तक में मानसिक तनाव आम हो चुका है। ऐसे में योग एक ऐसी प्राकृतिक औषधि है, जो हमें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बना सकती है। योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और हरदम फिट और प्रसन्न रहें।