सहजने पर रहेगा केवीके का फोकस एक दिवसीय कार्यशाला में शामिल हुए नामचीन कृषि वैज्ञानिक

( 553 बार पढ़ी गयी)
Published on : 16 Apr, 25 05:04

कृषि विज्ञान केन्द्रों की वर्ष 2025-26 की कार्ययोजना का परिशोधन प्राकृतिक खेती और जरूरी संसाधनों को

सहजने पर रहेगा केवीके का फोकस  एक दिवसीय कार्यशाला में शामिल हुए नामचीन कृषि वैज्ञानिक


उदयपुर, अनुसंधान निदेशक (एमपीयूएटी) डॉ. अरविन्द वर्मा ने कहा कि आज भारत खाद्यान्न्ा उत्पादन में 6.5 गुणा वृद्धि के साथ आत्मनिर्भर की श्रेणी में खड़ा है, लेकिन यह भी नहीं भूलना चाहिए कि जनसंख्या के मामले में भी हम विश्व में अव्वल हैं। खाद्यान्न्ा के साथ-साथ दुग्धोत्पादन, तिलहन-दलहन उत्पादन में भी हमने आशातीत वृद्धि की है, लेकिन यह काफी नहीं है। समय आ गया है कि हम अपने प्राकृतिक संसाधनों को सहेजते हुए प्राकृतिक खेती की जड़ों को मजबूत करें। डॉ. वर्मा, मंगलवार को यहां प्रसार शिक्षा निदेशालय सभागार में कृषि विज्ञान केन्द्रों की वार्षिक कार्य योजना 2025-26 की समीक्षा के लिए आयोजित कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। डॉ. वर्मा का कहना था कि प्राकृतिक खेती भारत सरकार की 2481 करोड़ रूपये की महती परियोजना है जिसे वर्ष 2025-26 तक एक करोड़ किसानों तक पहुंचाने का लक्ष्य है। मिट्टी को जीवंत बनाए रखने के लिए कार्बनिक पदार्थों की मात्रा बढ़ानी होगी। हमारे देश की धरा पर आज 52 हजार 500 मैट्रिक टन रसायनों की खपत हो रही है जो अतिचिंतनीय है। आलम यह है कि कई जीव-जंतु विलुप्त हो चुके हैं जो प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है।



कार्यक्रम के अध्यक्ष अटारी जोधपुर के निदेशक डॉ. जे.पी. मिश्रा ने कहा कि प्रकृति ने हमें हवा, पानी, मिट्टी, पेड़-पौधे, जीव-जंतु की अनूठी-सौगात दी है। हमारे पास जल काफी सीमित मात्रा में है। धरती-माता केा पुनः वास्तविक स्वरूप में लाने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्रों को यह वर्ष प्राकृतिक खेती को समर्पित करना होगा। साथ ही किसानों को भी प्रेरित करना होगा कि वे प्राकृतिक खेती अपनाएं। रसायनमुक्त खेती या अत्यल्प रसायनयुक्त खेती ही आगे का लक्ष्य होना चाहिए। केवीके का मौका मिल रहा हैं तो वे लीक से हटकर सर्वोत्तम लक्ष्य का चयन करे और जी-जान से काम करें तभी किसानों और इस देश का भला होगा। उन्होंने नेचर पॉजीटिव, मार्केट पॉजीटिव और जेण्डर पॉजीटिव एग्रीकल्चर पर जोर दिया।
आरंभ में प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. आर. एल. सोनी ने अतिथि स्वागत करते हुए बताया कि वर्ष 2025-26 केवीके के लिए चुनौतीपूर्ण है, लेकिन वरिष्ठ वैज्ञानिक व प्रभारी हर चुनौती पर खरे उतरेंगे। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- कृषि तकनीकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान जोन-द्वितीय जोधपुर (अटारी) एवं महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में संभाग में कार्यरत नौ कृषि विज्ञान केन्द्रों के वरिष्ठ वैज्ञानिकों व प्रभारियों ने प्रजेंटेशन के माध्यम से किसानों के लिए चलाई जा रही गतिविधियों पर प्रकाश डाला। साथ ही वर्ष 2025-26 मे केवीके की क्या तैयारी है व किसानों के लिए क्या नए कार्यक्रम व अनुसंधान शुरू किए जाएंगे, पूरा रोडमैप सामने रखा।
कार्यशाला में राजूवास बीकानेर मेें पशुपालन विभाग में प्रो. डॉ. आर. के. नागदा ने कहा कि कृषि और पशुपालन विकास की बैलगाड़ी के दो पहिये हैं। कृषि विज्ञान केन्द्रों को पशुपालन से जुड़ी-योजनाओं को भी बढ़ावा देना होगा तभी कृषि में हम उत्तरोत्तर परिणाम दे पाएंगे।
तकनीकी सत्र में केवीके बांसवाड़ा के वैज्ञानिक व प्रभारी डॉ. बी.एस. भाटी, भीलवाड़ा प्रथम व द्वितीय- डॉ. सी. एम. यादव, केवीके चित्तौड़गढ़- डॉ. आर. एल. सौलंकी, डूंगरपुर- डॉ. सी. एम. बलाई, प्रतापगढ़- डॉ. योगेश कनोजिया, केवीके राजसमंद- डॉ. पी.सी रेगर, केवीके उदयपुर- डॉ. मणीराम ने वर्ष  2025-26 की वार्षिक कार्ययोजना प्रस्तुत की। इसके बाद अटारी जोधपुर के निदेशक डॉ. जे.पी. मिश्रा ने प्रजेंटेशन के माध्यम से आगामी वर्ष 2025-26 में विभिन्न क्षेत्रो में अनुसंधान की अवश्यकता के बारे में बताते हुए कहा की सभी कृषि विज्ञान केन्द्रो को एकजुट होकर कार्य करना होगा।
अटारी जोघपुर के डॉ. पी.पी रोहिला, डॉ. डी. एल. जांगिड़, डॉ. एम. एस. मीणा, डॉ. एच. एच. मीणा, प्रो. एस. के इंटोदिया, डॉ. एस. एस. लखावत व डॉ. रमेश बाबू ने भी अपने विचार रखे। डॉ. राजीव बैराठी ने धन्यवाद ज्ञापित किया व कार्यक्रम का संचालन डॉ. लतिका व्यास ने किया।      


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.