प्रस्तुति: काली दास पाण्डेय
जयपुर के हृदय में स्थित सिटी पैलेस, त्रिपोलिया गेट के भीतर जंतर मंतर के समीप स्थित है। इसे सवाई मानसिंह संग्रहालय के नाम से भी जाना जाता है। इस भव्य परिसर में कई प्रांगण, महल, मंडप, उद्यान और मंदिर हैं, जिनमें चंद्र महल, मुबारक महल, श्री गोविंद देव मंदिर और सिटी पैलेस संग्रहालय प्रमुख आकर्षण हैं।
चंद्रमहल सात मंजिला आकर्षक इमारत है, जिसकी हर मंजिल का एक विशिष्ट नाम है। इसका शीर्ष तल "कृष्ण मुकुट" कहलाता है। यह महल राजपूत स्थापत्य कला का अद्वितीय उदाहरण है। वहीं, वीरेंद्र पोल मुबारक महल की ओर और राजेंद्र पोल दीवाने आम तक जाती है।
दीवाने आम में दो विशाल चांदी के गंगाजली बर्तन हैं, जिनका वजन 345 किलो है और जिन्हें 1,400 चांदी के सिक्कों को पिघलाकर बनाया गया। ये बर्तन जयपुर के महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय द्वारा इंग्लैंड में राजतिलक समारोह में गंगाजल ले जाने हेतु बनवाए गए थे और अब गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हैं।
मुबारक महल में अस्त्र-शस्त्र, कीमती धातुओं से जड़े शस्त्र, तलवारें, कवच, पिस्तौल, धनुष-बाण, बाघनख और अन्य राजसी वस्तुएं प्रदर्शित हैं। राजा मानसिंह प्रथम का खड्ग विशेष आकर्षण का केंद्र है। महल के ऊपरी हिस्से में वस्त्र दीर्घा में सवाई माधोसिंह प्रथम का आतमसुख, सवाई प्रतापसिंह का 320 कली का जामा, दीपावली पर रानियों द्वारा पहनी जाने वाली पोशाकें, कश्मीरी शॉल, जयपुरी बांधनी और गोटा पट्टी के पारंपरिक वस्त्र दर्शकों को बहुत भाते हैं।
मानसिंह महल में 146 शालिग्राम स्वरूपों की दुर्लभ पांडुलिपि, मुगलकालीन फारसी ग्रंथ और 17वीं शताब्दी के चित्र, मिर्जा राजा जयसिंह द्वारा लाए गए अनुपम कालीन, फूल-पत्तियों की बुनाई वाला पश्मीनी कालीन, पालकी, हाथी हौदे, बग्घी और प्राचीन ताड़पत्र ग्रंथ भी विशेष रूप से देखने योग्य हैं।
इस भव्य परिसर का निर्माण सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1729-1732 के बीच करवाया था। यह केवल शाही निवास ही नहीं, बल्कि उनका प्रशासनिक केंद्र भी रहा। सिटी पैलेस प्रतिदिन सुबह 9.30 से शाम 5.00 बजे तक दर्शकों के लिए खुला रहता है।