राजस्थान : संस्कृति, वीरता और समृद्धि की भूमि

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Published on : 27 Mar, 25 04:03

राजस्थान : संस्कृति, वीरता और समृद्धि की भूमि

डॉ. प्रभात कुमार सिंघल, कोटा
 

मैं राजस्थान हूं। मेरी पहचान प्राचीन सिंधु सभ्यता के अवशेषों से जुड़ी है। राजस्थान बनने से पहले मुझे राजपुताना कहा जाता था, जिसमें 19 रियासतें, 3 ठिकाने और अजमेर-मेरवाड़ा एजेंसी शामिल थे। मारवाड़, मेवाड़, शेखावाटी, हाड़ोती, ढूंढाड़ी और मेवात जैसे क्षेत्रीय नाम मेरी सांस्कृतिक विविधता के प्रतीक हैं। आजादी के बाद, सात चरणों में देशी रियासतों को मिलाकर 30 मार्च 1949 को मेरा नाम राजस्थान रखा गया। पहले मैं 33 जिलों का था, लेकिन अब 41 जिलों में मेरी पहचान विस्तृत हो चुकी है।

मुझे गर्व है कि मैं त्याग, बलिदान और शौर्य की भूमि हूं। मेरी धरती पर विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता फली-फूली। वैदिक काल का गौरव सरस्वती नदी के प्रवाह में बसा था। अरावली पर्वत श्रृंखला, थार का मरुस्थल और चंबल जैसी नदियां मेरे भूगोल को विशेष बनाती हैं। मेरे गर्भ में संचित खनिज संपदा से संपूर्ण विश्व लाभान्वित होता है। ताजमहल जैसी अद्भुत संरचनाओं में मेरे संगमरमर की चमक है।

मेरे किलों, महलों, हवेलियों, मंदिरों और छतरियों में कला का अनूठा संगम देखने को मिलता है। विदेशी पर्यटक मेरे उत्सवों—मरु महोत्सव, ऊंट उत्सव, पुष्कर मेला, तीज, गणगौर, मेवाड़ उत्सव, शिल्पग्राम उत्सव, दशहरा मेला और बेणेश्वर मेले को देखने आते हैं।

वीरता मेरी पहचान है। पृथ्वीराज चौहान, महाराणा प्रताप, राणा कुंभा, दुर्गादास और सवाई जयसिंह जैसे योद्धाओं ने मुझे गौरवान्वित किया है। भामाशाह की उदारता, पद्मिनी के जौहर और पन्नाधाय के बलिदान मेरी अमिट गाथाएं हैं। साहित्य और भक्ति परंपरा को समृद्ध करने वाले चंद्रबरदाई, सूर्यमल्ल मिश्रण, मीरा और संत दादू मेरी संस्कृति के स्तंभ हैं।

मेरी कला-संस्कृति की ख्याति विदेशों तक फैली है। बंधेज, अजरक, सांगानेरी प्रिंट, ब्लू पॉटरी, मीनाकारी और कठपुतली शिल्प ने अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई है। घूमर, तेरहताली, कालबेलिया और चकरी नृत्य विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। मेरी लोकधुनें—अलगोजा, रावण हत्था, मोरचंग और खड़ताल की तान पर झूमती हैं।

सामाजिक और धार्मिक समरसता मेरी विशेषता है। पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर, अजमेर की दरगाह शरीफ, रणकपुर के जैन मंदिर और बुड्ढा जोहड़ गुरुद्वारा मेरी गंगा-जमुनी संस्कृति के प्रतीक हैं। मेरे किले—चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, आमेर, जैसलमेर और गागरोन इतिहास के साक्षी हैं। भरतपुर का घाना पक्षी अभयारण्य और सांभर झील को यूनेस्को ने विश्व धरोहर सूची में स्थान दिया है।

रणथंभौर के बाघ, माउंट आबू की पहाड़ियां, झीलों की नगरी उदयपुर, रेगिस्तान की रेत और ऊंट सफारी के लिए प्रसिद्ध जैसलमेर और बीकानेर ने मुझे पर्यटन में विशिष्ट पहचान दिलाई है।

पहले मुझे रेगिस्तान और पिछड़े राज्य के रूप में देखा जाता था, लेकिन आज मैं विकसित राज्यों की श्रेणी में हूं। हीरालाल शास्त्री से लेकर भजनलाल शर्मा तक मेरे 15 मुख्यमंत्रियों ने मेरी समृद्धि में योगदान दिया है। चार बार राष्ट्रपति शासन का दौर देखने के बाद भी मैं आत्मनिर्भर और शक्तिशाली बना रहा।

आज मैं अपने समृद्ध इतिहास, कला-संस्कृति और विकास की यात्रा पर गर्व करता हूं। मुझे गर्व है कि मैं राजस्थान हूं!

 


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