उदयपुर। पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच), उदयपुर के फार्माकोलॉजी एवं बायोकेमिस्ट्री विभाग द्वारा आयोजित गुड क्लिनिकल प्रैक्टिस (जीसीपी) कार्यशाला का आज सफल समापन हुआ। कार्यशाला का उद्देश्य नैदानिक अनुसंधान में नैतिकता और गुणवत्ता को बढ़ावा देना था। दो दिवसीय इस कार्यशाला में चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों ने भाग लिया और जीसीपी अनुपालन के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की।
पेसिफिक मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. एम. एम. मंगल ने कहा कि यह कार्यशाला शोधकर्ताओं और चिकित्सकों को जीसीपी के सिद्धांतों की गहन समझ प्रदान करने के लिए एक प्रभावी मंच साबित हुई। पीएमसीएच के प्रिंसिपल डॉ. यू. एस. परिहार ने कार्यशाला की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम नैदानिक अनुसंधान की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में सहायक होते हैं।
कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहीं डॉ. नीता साही ने कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम सैद्धांतिक ज्ञान और व्यावहारिक क्रियान्वयन के बीच की खाई को पाटने में मददगार होते हैं। कार्यशाला के दूसरे दिन विभिन्न विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण विषयों पर व्याख्यान दिए।
एम्स कल्याणी के डॉ. आरकपाल बंद्योपाध्याय ने जीसीपी एवं कम्प्लायंट प्रोटोकॉल पर चर्चा की, जबकि एम्स नागपुर के डॉ. वारिध कटियार ने क्वालिटी एश्योरेंस और क्वालिटी कंट्रोल पर व्याख्यान दिया। अमृता मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद के डॉ. अरुण हरीथ ने गुड क्लिनिकल लेबोरेटरी प्रैक्टिस पर जानकारी दी।
एम्स नागपुर की डॉ. खुशबू बिष्ट ने इन्फॉर्म्ड कंसेंट और नैदानिक परीक्षणों में दस्तावेज़ीकरण पर सत्र आयोजित किया। वैद्यारक्स प्राइवेट लिमिटेड के तरुण गुप्ता ने डिजिटल हेल्थकेयर समाधानों में नवीनतम प्रगति पर चर्चा की।