*संगम विश्वविद्यालय में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का हुआ शुभारंभ*

( 810 बार पढ़ी गयी)
Published on : 11 Mar, 25 05:03

शिक्षा में बड़े बदलाव के लिए अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस जरूरी–डा बी सद्रक निदेशक कॉमन वेल्थ लर्निंग,दिल्ली

*संगम विश्वविद्यालय में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का हुआ शुभारंभ*

(mohsina bano)

भीलवाड़ा,संगम विश्वविद्यालय में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑन एनालिटिकल एंड इंटरडिसीप्लिनरी रिसर्च 2025 का शुभारंभ दिनांक 10 मार्च को प किया गया। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि सीईएमईए, नई दिल्ली के डायरेक्टर डॉ बी. शदरक, विशिष्ट अतिथि प्रो. रजनीश जैन, पूर्व यूजीसी सचिव तथा आईएमएस डीएवीवाई, इंदौर एवं प्रो. हिमांशु शी, विक्टोरिया यूनिवर्सिटी, मैल्बोर्न, आस्ट्रेलिया एवं ओक्लाहोमा यूनिवर्सिटी के प्रो. रमेश शारदा थे । संगोष्ठी में संगम ग्रुप आफ इंडिया लिमिटेड के वाइस चेयरमैन डाॅ श्रीनिवास मोदानी भी उपस्थित थे। संगोष्ठी में संगम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. करुणेश सक्सेना, उप-कुलपति संगोष्ठी समन्वयक प्रो.मानस रंजन पाणिग्रही, कुलसचिव प्रो. राजीव मेहता, उप०समन्वयक प्रो. विनेश अग्रवाल, संगोष्ठी सचिव प्रो. राकेश भण्डारी,सह सचिव प्रो. अर्चना अग्रवाल  आदि उपस्थित थे। प्रो. मानस रंजन पाणिग्रही द्वारा संगोष्ठी में पधारे अतिथियों का स्वागत किया गया एवं संगोष्ठी के आयोजन का उद्देश्य तथा शैक्षणिक एवं शोध गतिविधियों में इसके महत्त्व को उजागर किया। मुख्य वक्ता प्रो.रजनीश जैन द्वारा एनईपी-2020, मल्टी डिसिप्लिनरी रिसर्च तथा भारतीय ज्ञान परंपरा पर सत्र का ध्यानाकर्षण किया गया। उन्होंने स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर पर शोध की अनिवार्यता पर बल दिया।  प्रो.हिमांशु शी ,विक्टोरिया यूनिवर्सिटी  ने बताया कि विभिन्न विषयों में आपसी संबन्ध है। स्वतंत्र रूप में किसी भी विषय का कोई अस्तित्व नहीं है, अतएव मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च वर्तमान समय की माँग है।  

संगम ग्रुप ऑफ इंडिया लिमिटेड के वाइस चेयरमैन डाॅ. श्री निवास मोदानी  ने शोध को नवीन परिप्रेक्ष्य में परिभाषित करते हुए इसकी आवश्यकता पर अपने विचार प्रस्तुत किए।  संगम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. करुणेश सक्सेना द्वारा संगोष्ठी में पधारे अतिथियों का आभार जताया तथा शोध एवं इसकी महत्ता पर अपने विचार रखे।मुख्य अतिथि डॉ बी. शदरक (कॉमनवेल्थ लर्निंग निदेशक नई दिल्ली)द्वारा स्थानीय भाषाओं में शोध की आवश्यकता पर बल दिया गया। अपने उद्बेधन में उन्होंने हैरिटेज पर्यटन, जल संसाधन संरक्षण, आर्टिफीशियल इंटेलिजेन्स, एनईपी-2020, अर्बन स्टडीज जैसे मुद्दों को गहनता से चर्चा में लिया। शोधार्थियों के साथ किए गए संवाद में उन्होंने मल्टी डिसीप्लिनरी रिसर्च एवं इंटर डिसिप्लिनरी रिसर्च के विषय पर गहन विचार प्रकट किए।विशिष्ट अतिथि प्रो रमेश शारदा, ओक्लामा यूनिवर्सिटी यूएसए ने भी अपने विचार रखे। 

संगोष्ठी में अतिथियों द्वारा कॉन्फ्रेंस  स्मारिका का विमोचन  किया गया। इस अवसर पर  संगम विश्वविद्यालय और इंस्टीट्यूट ऑफ लैंग्वेज स्किल्स, भीलवाड़ा के मध्य एक एमओयू किया गया।दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन दो सत्रों में किया जाएगा। इन दो सत्रों में विभिन्न विषयों के लगभग 200 से अधिक शोधार्थियों द्वारा शोधपत्रों का वाचन किया जाएगा।रजिस्ट्रार प्रो राजीव मेहता ने बाहर से आए शोधार्थियों का विश्वविद्यालय में स्वागत किया।अंत में प्रो विनेश अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।संचालन डा सीमा काबरा, डा रीतू राठौड़ ने किया।इस अवसर पर कई विशेषज्ञ प्रो नवलकिशोर(इग्नू दिल्ली),प्रो मनोज कुमार सिंह(पूर्व कुलपति बीएमयू सूरत),डा शैलेन्द्र प्रताप सिंह(सेंट्रल यूनिवर्सिटी किशनगढ़), डा अन्नपूर्णा भार्गव(आरटीयू कोटा), डा लोकेश्वर (इंदौर), डा अमित मिश्रा (जयपुर) आदि उपस्थित थे।


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.