पुस्तक का रिस्पॉन्स रचनाकारों और पाठकों पर छोड़ता हूं - डॉ. सिंघल

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Published on : 09 Mar, 25 09:03

साक्षात्कार   " राजस्थान के साहित्य साधक" 

पुस्तक का रिस्पॉन्स रचनाकारों और पाठकों पर छोड़ता हूं - डॉ. सिंघल

 राजस्थान के और प्रवासी साहित्यकारों के साहित्यिक अवदान को ले कर लिखी है पुस्तक " राजस्थान के साहित्य साधक " का लोकार्पण  कोटा जिले के ग्रामीण पुलिस अधीक्षक ( एस पी ) सुजीत शंकर सोमवार 10 मार्च को करेंगे ।  पुस्तक पर चर्चा के दौरान यह जानकारी लेखक ने दी। 
       उनसे पूछा कि यह पुस्तक आने में इतना विलंब क्यों हुआ  तो उनका उत्तर था कि कुछ आर्थिक परेशानियां थी उन्हें दूर किया गया । कहते है देर आयाद दुरुस्त आयद, पुस्तक आ गई है और अब तुरंत दान महाकल्याण की तर्ज पर लोकार्पण भी सोमवार को होने जा रहा है।
    सवाल यह है कि आपने पुलिस  अधीक्षक महोदय को मुख्य अतिथि बनाया कैसे ? उन्होंने जवाब दिया आपको तो ज्ञात है मेरे पिता पुलिस विभाग में उप अधीक्षक  थे और मैंने पुलिस विषय पर ही डॉक्टरेट की है। पहले भी मेरी कई किताबों का विमोचन पुलिस विभाग को कोटा स्थित डीआईंजी और एसपी साहब द्वारा किया जा चुका है। कल रात सपने में पिताजी आए और बोले बेटे तू तो पुलिस को भूल गया। पहले तो पुलिस अधिकारियों के पास जाता था किताब का विमोचन करवाता था, मुझे बड़ी शांति मिलती थी। बस यही मुख्य वजह रही कि इस नई किताब का लोकार्पण पुलिस अधीक्षक महोदय से करवा रहा हूं। सुबह होते ही मैंने मित्र के. डी. अब्बासी से चर्चा की तो हम दोनों एसपी साहब से भेंट करने चले गए।  एसपी सुजीत सहज, सरल, मृदु व्यवहार के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी हैं। उन्हें जब अपना पुलिस परिवार के होने का बैक ग्राउंड बताया तो उन्होंने सहर्ष स्वीकृति प्रदान कर दी।
        मेरा अगला प्रश्न था कुछ इस किताब के बारे में बताएं किस प्रकार की किताब है। उत्तर देते हुए उन्होंने बताया कि वैसे तो मूलतः यह पुस्तक राजस्थान के साहित्यकारों के साहित्यिक अवदान पर लिखी गई है , परन्तु जब इसके तथ्यों को देखते हैं तो इसका राष्ट्रीय स्वरूप दिखाई देता है। इस किताब में राजस्थान के प्रवासी साहित्यकार मुंबई की लोकगीतों और लोक साहित्य से जुड़ी किरण खेरुखा हैं तो ओडिशा राज्य में निवास करने वाले प्रसिद्ध समालोचक दिनेश कुमार माली हैं, कोलकाता के ऐसे साहित्यकार जिन्होंने 65 वर्ष में लेखन शुरू कर साहित्य जगत में विशेष स्थान बना लिया राजेंद्र केडिया, कोलकाता की ही नारी विमर्श की प्रसिद्ध साहित्यकार कुसुम खेमानी, रतलाम में अजहर हाशमी, मुंबई में युवा साहित्यकार ओम नागर, कानपुर में राजेंद्र राव , भोपाल में डॉ. विकास दवे, रमाकांत उद्भ्रांत, डॉ. रति सक्सेना, ऋतु भटनागर आदि प्रसिद्ध प्रवासी साहित्यकार पुस्तक को राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान करती है।
     वे बताते हैं कि अजमेर संभाग  से डॉ. संदीप अवस्थी, डॉ.अखिलेश पारलिया, डॉ. मधु खंडेलवाल' मधुर '  शिखा अग्रवाल हैं। जयपुर संभाग से वेद व्यास, नंद भारद्वाज ,इकराम राजस्थानी, डॉ. मंजुला सक्सेना आदि हैं। जोधपुर संभाग से फारुख आफरीदी और डॉ.गजेसिंह राजपुरोहित हैं। बीकानेर संभाग से
 जय प्रकाश पांड्या ज्योतिपुंज,  डॉ.नीरज दइया, बीकानेर, प्रभात गोस्वामी और राजेन्द्र पी. जोशी हैं। उदयपुर संभाग  से डॉ. विमला भंडारी,,बी. एल. आच्छा,, डॉ. चंद्रकांता बंसल
,,डॉ. मधु अग्रवाल, मधु माहेश्वरी,प्रो. डाॅ . मंजु चतुर्वेदी, मीनाक्षी पंवार ' मीशांत, रागिनी प्रसाद जैसे साहित्यकार है। यह दुख की बात है कि पुस्तक प्रकाशन के दौरान डॉ. महेंद्र भानावत और डॉ. इन्द्र प्रकाश श्रीमाली का निधन हो गया। मैं इन दोनों के पति अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त करता हूं। भरतपुर संभाग से डॉ. इन्दु शेखर ' तत्पुरुष'डॉ. पुरुषोत्तम 'यक़ीन "सीकर संभाग से बाल मुकुंद ओझा, श्याम महर्षि, रतनगढ़ और हनुमानगढ़ से दीनदयाल शर्मा हैं।
  पुस्तक की इस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं कि कोटा संभाग से भी जितेंद्र निर्मोही, रामेश्वर शर्मा रामू भैया, डॉ.अपर्णा पांडेय, डॉ.अतुल चतुर्वेदी, विजय जोशी, अतुल कनक,भगवत सिंह जादौन ' मयंक', सी.एल.सांखला, हेमराज सिंह 'हेम ', काली चरण राजपूत ,किशन प्रणय,डॉ. कृष्णा कुमारी ,मोहन शर्मा,  डॉ.प्रीति मीना, रघुनंदन हटीला  ''रघु', राम स्वरूप मूंदड़ा, रश्मि गर्ग, श्यामा शर्मा, डॉ. वैदेही गौतम और  विश्वामित्र दाधीच भी अपने साहित्यिक अवदान के साथ नज़र आएंगे।
   पुस्तक की भूमिका के बारे में कुछ बताएं के मेरे सवाल पर वे कहते हैं मुझे सभी साहित्यकार एक से बढ़ कर एक लगे। अनेक साहित्यकारों ने राष्ट्रीय और यहां तक कि विश्वस्तरीय पहचान बनाई है। साहित्य की कोई विधा ऐसी नहीं है जिस पर राजस्थान के साहित्यकार सक्रिय नहीं हो। इन सब बातों को भूमिका के लेखक कथाकार और समीक्षक विजय जोशी ने शिद्दत से उभरा है। उनकी लिखी भूमिका को मैं पुस्तक की आत्मा कह सकता हूं। बताना चाहूंगा कि पुस्तक के आकृषक आवरण पृष्ठ की परिकल्पना भी विजय जोशी ने की है जो स्वयं चित्रकार भी हैं।
   आखिरी सवाल किया आपको इस पुस्तक से क्या आशाएं हैं  पर उन्होंने ने कहा लेखक तो उम्मीद ही कर सकता है अच्छा रेस्पॉन्स मिले पर आपका यह सवाल तो मैं  रचनाकारों और पाठकों पर छोड़ता हूं।
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