राजपथ से कर्तव्य पथ तक चली महिला नेत्री वसुंधरा राजे की प्रासंगिकता आज भी हैं कायम 

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Published on : 07 Mar, 25 18:03

नीति गोपेन्द्र भट्ट 

राजपथ से कर्तव्य पथ तक चली महिला नेत्री वसुंधरा राजे की प्रासंगिकता आज भी हैं कायम 

आज पूरी दुनिया में भारत के डिजिटल लेनदेन यूपीआई का डंका बज रहा हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करोड़ों भारतीयों द्वारा अपनाई जाने वाली इस डिजिटल लेनदेन पद्धति का जिक्र करना नहीं भूलते है और विश्व में आए दिन होने वाले साइबर फ्रोड के बावजूद भारत में डिजिटल क्रान्ति की इस सफलता का उल्लेख वे अपनी देश विदेश की यात्राओं में करना नहीं भूलते।

बहुत कम लोगों को शायद यह मालूम होगा कि 
राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान में ऐसी ही एक योजना भामाशाह योजना के नाम से शुरू की थी और  देश में सबसे पहले महिलाओं को सशक्त और स्वावलंबी बनाने और उन्हें पारदर्शी तरीके से सरकारी योजनाओं का सीधा और अप्रत्यक्ष लाभ पहुँचाने के लिए राजस्थान में अपनी महत्वाकांशी भामाशाह योजना को लागू किया था। यह योजना 
आधार कार्ड का एक अपर वर्जन था जिसमें सरकार की सभी योजनाओं के लाभ को भामाशाह योजना कार्ड से जोड़ने का प्रावधान भी रखा गया था।


राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे को देश में सबसे पहले महिलाओं को सशक्त और स्वावलंबी बनाने और उन्हें पारदर्शी तरीके से सरकारी योजनाओं का सीधा और अप्रत्यक्ष लाभ पहुँचाने के लिए भामाशाह योजना को लागू करने का श्रेय मिला था। इस योजना में परिवार की मुखिया घर की महिला को बना उसे एक भामाशाह कार्ड दिया गया था जो बैंक खाते से जुड़ा होता था।भामाशाह कार्ड कोर बैंकिंग की सुविधा के साथ ही बायोमेट्रिक पहचान भी प्रदान करता  था। भामाशाह योजना डूप्लिकेशन को रोकने में भी मददगार और कारगर सिद्ध हुई थी।

इस योजना के माध्यम से लाभार्थियों को वित्तीय और गैर-वित्तीय  दोनों लाभ मिलते थे,जैसे कि मातृत्व लाभ, नरेगा, पेंशन, खाद्य सुरक्षा, छात्रवृत्ति, उद्यमिता के लिए ऋण, और मुफ्त चिकित्सा देखभाल आदि। भामाशाह कार्ड के माध्यम से सामान्य बीमारियों के लिए प्रति परिवार प्रति वर्ष 30,000 रुपये तक का बीमा और गंभीर बीमारियों के लिए 3 लाख रुपये तक का अतिरिक्त कवरेज का प्रावधान भी था। परिवार की मुखिया महिला को अपने बैंक खाता से परिवार के लिए धन का उपयोग करने की स्वतंत्रता दी गई थी। 

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर जोकि संयोग से वसुंधरा राजे का जन्म दिवस भी हैं । इस अवसर पर वसुंधरा राजे के दूरदर्शी विजन और भामाशाह योजना का जिक्र करना सम सामयिक हैं क्योंकि आज केन्द्र की मोदी सरकार भी सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ इसी तर्ज पर आम आवाम तक पहुंचाने को प्राथमिकता दे रही हैं। वैसे देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भी इस मॉडल को पंचायती राज में तब लागू किया था जब वे कहते थे कि केन्द्र से विकास का जो जो
पैसा केन्द्र से राज्यों को हम भेजते है उनमें सौ में से 85 पैसा बिचौलियों के पास चला जाता है और उसके बाद उन्होंने विकास कार्यों और मनेरगा जैसी योजनाओं के लिए सरपंचों को सीधा धन हस्तांतरण की स्कीम को लागू किया था।

वसुंधरा राजे का महिलाओं के कल्याण के लिए लिए जो विजन रहा है,उसकी देश विदेश में सर्वत्र प्रशंसा हुई है। वर्ष 2007 में उन्हें महिलाओं के आत्म-सशक्तिकरण की दिशा में की गई सेवाओं के लिए यूएनओ से "वुमेन टुगेदर अवार्ड" प्रदान किया गया था। इसी प्रकार वर्ष 2018 में उन्हें 52वें स्कॉच शिखर सम्मेलन में 'वर्ष की सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री' का पुरस्कार भी दिया गया था।

वसुंधरा राजे दो बार देश के सबसे बड़े भौगोलिक प्रदेश राजस्थान की मुख्यमंत्री रही हैं। इसके पहले वे प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिपरिषद में दो बार केन्द्रीय मंत्री रही और  उन्होंने विदेश मंत्रालय सहित महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी कुशलतापूर्वक संभाली थी । राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने से पहले वे पांच बार झालावाड़ लोकसभा सीट से लगातार सांसद रही है और 1985 में पहली बार धौलपुर की विधायक बनने के बाद अगले विधानसभा चुनाव से लगातार छह बार झालरापाटन से विधायक बनी हैं। उन्होंने राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रहने के साथ ही भाजपा महिला मोर्चा और संगठन के अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भी काम किया। वर्तमान में वे लगातार दो बार से भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं।

वसुंधरा राजे के नाम राजस्थान के विधानसभा चुनाव में सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी को रिकॉर्ड सीटों से विजयश्री दिला अकेले अपने बलबूते पर सरकार बनवाने का श्रेय जाता है। इसके अलावा उनके मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में भाजपा को 2014 तथा उसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 25 में से 25 सीटों पर लगातार दो बार भाजपा प्रत्याशी जिताने का श्रेय भी है। उनकी राजनीतिक परिपक्वता और प्रशासनिक कुशलता ने अच्छे अच्छे दिग्गजों को चौंकाया हैं। वसुंधरा राजे की लोकप्रियता अपार है। विशेष कर वे महिलाओं में खासी लोकप्रिय है। 

वसुन्धरा राजे को नजदीक से जानने वाले जानते है कि राजनीतिक और प्रशासनिक नेता के रूप में वसुन्धरा राजे ऊपर से जितनी कठोर दिखती है, उतनी ही मन से बहुत ही संवेदनशील और कोमल हैं। वे बहुत ही धर्म परायण है तथा मध्य प्रदेश के दतिया स्थित अपनी कुल देवी माता पीतांबरा और दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी बहुल क्षेत्र  बांसवाड़ा की त्रिपुरा सुन्दरी माता की परम भक्त है।
वसुंधरा राजे के जीवन में उनकी माता ग्वालियर की महारानी और राजमाता स्वर्गीय विजय राजे सिंधिया का गहरा प्रभाव दिखता हैं। सिंधिया राज परिवार से ताल्लुक होने के बावजूद वसुन्धरा जी का जीवन बहुत संघर्षमय बीता,लेकिन जीवन के हर संघर्ष का उन्होंने दृढ़ता से सामना किया। केवल आठ साल की उम्र में इन्होंने अपने पिता को खो दिया था,लेकिन मां विजयाराजे सिंधिया द्वारा दिए गए संस्कारों ने इन्हें सदैव संबल प्रदान किया। उन्होंने महलों से सड़को पर आकर राजपथ से जनपथ तक अपने कर्तव्य पथ पर चलने की अहम राजनीति की और वे हमेशा जन संवेदनाओं से जुड़ी रही। जनसेवा और राजनीति के माहौल में पली बढ़ी वसुन्धरा जी में परमार्थ सेवा के गुण स्वतः ही विकसित हुए। वे अपने स्वर्गीय भाई माधव राव सिंधिया और बहनों से बहुत स्नेह करती और परिवार के सुख दुःख में हमेशा ढाल और चट्टान की तरह खड़ी रहती आई है। हाल ही अपने एक मात्र पुत्र पांच बार से लगातार झालावाड़ राजस्थान के सांसद दुष्यन्त सिंह की धर्मपत्नी निहारिका सिंह राजे की अस्वस्थता में भी उन्होंने सब कुछ छोड़ और समर्पित होकर उनके इलाज के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखी।

वसुंधरा राजे को पूर्व उपराष्ट्रपति स्वर्गीय भैरोंसिंह शेखावत राजस्थान की राजनीति में लाए थे। राजा महाराजाओं के प्रदेश माने जाने वाले राजस्थान की परंपरागत राजपूत, जाट और गुर्जर जाति की राजनीति में वसुंधरा राजे भाजपा के लिए सटीक नेता साबित हुई। वे धौलपुर के जाट राजघराने की महारानी,ग्वालियर की सिंघिया राजघराने की बेटी और सांसद पुत्र दुष्यन्त सिंह के गुर्जर परिवार में शादी होने से राजस्थान की इन तीनों प्रभावशाली जातियों की राजनीति में ऐसा फिट बैठी कि राजस्थान में भाजपा ने अपनी विजय के कई नए और अटूट रिकार्ड स्थापित कर दिए।

वसुंधरा राजे का कई विवादों से भी वास्ता रहा। गुर्जर आंदोलन के अलावा अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों द्वारा उनकी छवि को धूमिल करने के प्रयास हुए। पिछले एक दशक से लगा कि उन्हें राजनीति में लगातार किनारे करने से वसुन्धरा  युग कल की बात होने वाली हैं लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में राजस्थान में भाजपा को मिली विजय के बाद केन्द्रीय पर्यवेक्षक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भाजपा की सम कालीन परंपरा के अनुसार विधायक दल की बैठक में वसुंधरा राजे के हाथों से ही राजस्थान के मुख्यमंत्री के लिए भजनलाल शर्मा जैसे एकदम नए चेहरे और हमेशा संगठन की पृष्ठभूमि में रहते आए पहली बार के विधायक बने नेता की पर्ची निकलवाई गई थी तो कई लोगों को लगा था कि प्रदेश भाजपा में अब बिखराव हो सकता है लेकिन विजयराजे सिंधिया,अटल बिहारी वाजपेयी,लालकृष्ण आडवाणी,भैरो सिंह शेखावत तथा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्कारों के पली बढ़ी वसुंधरा राजे ने हमेशा एक ही बात कही कि भाजपा मैरी मां हैं और राजस्थान मेरा घर ..और दोनों से मैं अपने इस जन्म में कभी दूर नहीं हो सकती।

पिछले कुछ वर्षों से चल रही राजनीतिक परिस्थितियों में वसुंधरा राजे ने पार्टी के नेतृत्व के प्रति जिस प्रकार का विश्वास,जुड़ाव,अनुशासन और मर्यादित आचरण रखा है उससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहें है और यही कारण रहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने वसुंधरा राजे को दिल्ली बुला कर नए संसद भवन में लम्बी मुलाकात की। इन दिनों राष्ट्रीय राजनीतिक गलियारों में वसुंधरा राजे का नाम भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए भी चर्चा का विषय बना हुआ हैं।

वसुंधरा राजे को अपनी धुन का पक्का माना जाता है। उन्होंने अपने सिद्धांतों, शर्तों और स्वाभिमान के साथ कभी समझौता नहीं किया। यही कारण है कि आज भी राजे की प्रासंगिकता पहले की तरह ही कायम है और वे समाज के छत्तीसों कोम में लोकप्रिय नेता हैं। 

वसुंधरा राजे को उनके जन्म दिवस और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की ढेरों बधाई और सुदीर्घ जीवन के लिए अनंत शुभकामनाएं !!


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