गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र में पक्ष और प्रतिपक्ष के मध्य चल रहा गतिरोध मंगलवार को पांचवें दिन भी जारी रहा। इस दौरान विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी बहुत भावुक हो गए और अपने मन की पीड़ा की भारी मन से अभिव्यक्ति करते हुए उनका गला दो बार भर आया। उन्होंने रुहांसे स्वर और व्यथित मन से नई व्यवस्था दी कि आज के बाद कोई भी आसन के सामने डायस पर चढ़ेगा और प्रदर्शन करेगा तो स्वतः ही निलंबित माना जाएगा। देवनानी ने यहां तक कह दिया कि ऐसा व्यक्ति सदन का सदस्य बने रहने के योग्य भी नहीं है।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर विधानसभा में भजन लाल सरकार के कैबिनेट मंत्री अविनाश गहलोत द्वारा की गई कथित विवादित टिप्पणी के बाद कांग्रेसी विधायकों द्वारा उनके बयान का कड़ा विरोध और वेल में पहुंच उग्र प्रदर्शन करने से उत्पन्न हालातों में छह कांग्रेसी विधायकों के निलंबन के विरोध में दोनों पक्षों में यह गतिरोध चल रहा हैं। मंगलवार को जयपुर में कांग्रेस ने विधानसभा का घेराव और विरोध प्रदर्शन भी किया। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं और विधायकों ने भाग लिया ।
इस मध्य कांग्रेस सदस्यों की अनुपस्थिति में विधानसभा के बजट सत्र पर मंगलवार को भी चर्चा जारी रहीं और कांग्रेस विधायकों के प्रश्नों का भी विधानसभाध्यक्ष देवनानी ने मंत्रियों से जवाब दिलवाया लेकिन देवनानी विधानसभा में सर्वदलीय मीटिंग की परम्परा शुरु कराने और वर्तमान गतिरोध दूर करने के लिए अपने चैम्बर में दोनों पक्षों की बैठक में बनी सहमति बनने तथा विधानसभा से कांग्रेसी विधायकों के निलंबन के बावजूद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और वरिष्ठ विधायक गोविन्द सिंह डोटासरा को सदन में बुला कर उनका भाषण कराने के उपरान्त भी उन पर कथित रूप से व्यक्तिश आरोप लगाने तथा आसन के प्रति अमर्यादित भाषा का उपयोग करने से देवनानी बहुत व्यथित दिखें। देवनानी ने कहा कि मैं पार्टी का सामान्य कार्यकर्ता और कॉलेज शिक्षक था लेकिन जनता के प्यार से पांचवीं बार विधायक बन इस गौरवशाली आसन तक पहुंचा हूं। आप सभी ने मुझे सर्वसम्मति से निर्विरोध अध्यक्ष बनाया हैं। मैं ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का बिना किसी पक्षपात निर्वहन कर रहा हूं। इस दौरान कभी सत्ता पक्ष के लोग मुझ पर प्रतिपक्ष का बचाव करने के तो, प्रतिपक्ष के विधायक सरकारी पक्ष को सरंक्षण देने की बात करते है लेकिन, मैने हमेशा निष्पक्षता के साथ सदन के संचालन का प्रयास किया हैं। इसके बावजूद किसी साधारण सदस्य ने नहीं वरन एक पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष ने सारी राजनीतिक गरिमा और मर्यादाओं को तार-तार करते हुए मेरे बारे ने जिस प्रकार के अमर्यादित शब्दों का उपयोग किया है तथा मुझ पर पक्षपात के व्यक्तिगत आरोप लगाए है उससे मेरे मन को बहुत पीड़ा हुई है। मैं बहुत आहत हुआ हूं। ऐसा कहते-कहते उनका गला कई बार रूंध गया और उन्होंने अपने सामने रखें गिलास को उठा पानी पीकर अपनी पीड़ा एवं भावनाओं को काबू में लाने का प्रयास किया। देवनानी ने कहा कि मैं किसी के पक्ष और विरोध में नहीं हूं,लेकिन सदन में और सदन के बाहर आसन का जो अपमान हुआ है,उसके बारे में मैं अकेला नहीं सारा सदन ही मिल कर कोई उचित निर्णय करें।
देवनानी ने कहा कि हमारे देश भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था है और इस व्यवस्था के तहत ही संसद और विधानसभाएं काम करती हैं। जब से मुझे समझ आई है,मैं सदन की कारवाई समाचार पत्रों में लगातार पढ़ता रहा हूं। तब से लेकर आज तक कभी भी ऐसी घटना नहीं घटी। कई बार धरने प्रदर्शन भी हुए होंगे लेकिन इस दौरान भी कभी ऐसी बात मैंने नहीं देखी और सुनी। राजस्थान विधानसभा का अपना गौरवशाली इतिहास, गरिमा और मर्यादा रही हैं, लेकिन आज जिस प्रकार का अमर्यादित आचरण हो रहा हैं और आसन को अपमानित किया जा रहा हैं, यह सब सहने के लिए मैं यहां नहीं बैठा हूं। इस आत्म निरीक्षण के विषय को सभी को समझना होगा। सदन में जो दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों बनी ऐसे में निलंबित सदस्यों को तुरंत सदन से बाहर चला जाना चाहिए था फिर भी दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से सदन के अन्दर ही धरना दिया गया। विधायकों का निलंबन मैंने नहीं किया, सदन ने किया था। जिस दिन धरना दिया गया,हमारे सचिव द्वारा उनकी पूरी सार सम्भाल की गई थी। एक पिता भी कई बार बेटे को कठोर मन से अलग कर देता है। विधानसभा में पहली बार ऐसा हुआ हैं कि किसी निलंबित सदस्य को हमने बिना निलंबन रद्द किए सदन में बोलने की इजाजत दी।
इस मध्य विधानसभाध्यक्ष देवनानी के पक्ष में
भाजपा के विधायक श्रीचंद कृपलानी और गोपाल शर्मा आगे आएं। कृपलानी ने कहा कि सदन स्थगित हो जाए लेकिन उसके बाद भी वेल में लोग बैठे रहें। इस बारे में भी कोई नियम कानून बनना चाहिए तथा उनके खिलाफ भी कार्रवाई की कोई व्यवस्था होनी चाहिए। मैं लोकसभा का सदस्य रहा हूं, लेकिन मैंने मेरे 35 साल के इतिहास में ऐसा दृश्य कभी नहीं देखा। सिविल लाइन्स, जयपुर के विधायक और वरिष्ठ पत्रकार गोपाल शर्मा ने भी कहा कि जैसा इस विधानसभा में अध्यक्ष महोदय के लिए कहा गया हैं,ऐसा आज तक हिंदुस्तान में किसी अध्यक्ष के लिए कभी नहीं कहा गया। यह हमारे लिए शर्म की बात है। हमारे पिता पर कोई जूता मारे और कहें कि हमारा हृदय तो खुला है। उन्होंने प्रतिपक्ष सदस्यों से कहा कि आप कृपया लोकतंत्र की हत्या के भागीदार मत बनिए। उन्होंने कहा कि गोविन्द सिंह डोटासरा को अगर पूरे कार्यकाल के लिए भी निलंबित या बर्खास्त किया जाता है तो वह कम होगा।
दूसरी ओर राजस्थान विधानसभा में कांग्रेसी विधायकों के निलबंन के खिलाफ प्रतिपक्ष ने जमकर हंगामा किया। कांग्रेस सदन से लेकर सड़क तक प्रदर्शन कर रही हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि नियमानुसार निलंबित विधायक सिर्फ सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले सकते,लेकिन आदेश ये जारी करा दिए गए हैं कि वे विधानसभा परिसर में भी नहीं आ सकते। विधायकों को विधानसभा परिसर में आने से कैसे रोका जा सकता है? यह सदस्यों के विशेषाधिकार हनन का मामला है। डोटासरा ने कहा कि सरकार के जिस मंत्री ने भारत रत्न इन्दिरा गाँधी के खिलाफ अमर्यादित ढंग से जो टिप्पणी की हैं उस पर यदि वे माफी मांग लें तो यह डेड लॉक समाप्त हो जाएगा। इस मध्य कांग्रेस का विधानसभा के बाहर हुआ धरना मंगलवार को खत्म हो गया, लेकिन विधानसभा में पक्ष विपक्ष का गतिरोध अभी भी बरकरार हैं। फिर भी विधानसभा में बरकरार इस गतिरोध को खत्म करने की हरसंभव कोशिश की जा रही है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा है कि सत्ता पक्ष जो चाहता था उस पर सभी में सहमति हो गई थी, फिर भी सदन को बाधित किया जा रहा है। कुछ लोग नहीं चाह रहे कि यह सदन अच्छे से चले। हमारी लाख कोशिशें के बावजूद भी वे दादागिरी करना चाहते हैं, तो हम भी आगे की रणनीति बनाएंगे। जूली ने कहा कि सदन का गतिरोध सरकार की सोची समझी नीति का हिस्सा है। सरकार चाहती है, नेता प्रतिपक्ष का भाषण न हो। सरकार की हठधर्मिता की वजह से सदन में दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम घटा। प्रतिपक्ष की आवाज दबाना भाजपा की राष्ट्रीय नीति का अभिन्न हिस्सा है। इसी क्रम में दिल्ली विधानसभा में भी प्रतिपक्ष के सदस्यों को निलंबित किया गया हैं।
इधर भजन लाल सरकार में संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा है कि विपक्ष के लिए हमारे दरवाजे हमेशा खुले हैं और हमें वार्ता करने में कोई दिक्कत नहीं हैं । उन्होंने कहा कि दादी या नाना एवं नानी आदि शब्द अपमानजनक और असंसदीय शब्द नहीं हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के नाते डोटासरा को भी बड़प्पन रखना चाहिए। मैं पूरी कोशिश करूंगा,लेकिन अगर डायलॉग पर वो नहीं आए तो हम फिर सख्त फैसला लेंगे। शिवरात्रि के बाद 27 फरवरी को बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी। उसमें हम आगे की रणनीति बनाएंगे।
देखना है राजस्थान विधानसभा में पक्ष प्रतिपक्ष दोनों द्वारा इस मसले को अपनी-अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना कर चल रहा वर्तमान गतिरोध आखिर कब टूटेगा?