उदयपुर। सरोवर विज्ञान एवं मत्स्यकी विभाग, राजस्थान कृषि महाविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रख्यात मत्स्य एवं सरोवर वैज्ञानिक डॉ वी. एस. दुर्वे का बड़ौदा में कल रात को 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके असामयिक निधन से मात्स्यकी के शिक्षण क्षेत्र, उनके विद्यार्थियों, मित्रों और संबंधियों में शोक की लहर छा गई।
मत्स्यकी शिक्षा एवं अनुसंधान के पुरोधा डॉ वी. एस. दुर्वे ने राजस्थान प्रदेश में मत्स्य विज्ञान के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया। उनके अग्रणी प्रयासों ने न केवल मत्स्य विज्ञान के परिदृश्य को आकार दिया है बल्कि अनगिनत व्यक्तियों के जीवन को भी प्रभावित किया है। उनका विषय के प्रति अटूट समर्पण, जुनून और विशेषज्ञता कई छात्रों के लिए उनकी शैक्षणिक यात्रा के दौरान मार्गदर्शक रही है। उनके कुशल दूरदर्शिता और नेतृत्व ने न केवल मत्स्य विज्ञान को राजस्थान में एक सम्मानित विषय के रूप में स्थापित किया है, बल्कि इच्छुक छात्रों के लिए व्यक्तिगत विकास के रास्ते भी खोले हैं। यह विरासत हमारे राज्य में मत्स्य पालन विज्ञान के परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ने के लिए छात्रों और शोधकर्ताओं की पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। मत्स्य एवं सरोवर विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान को सदियों तक भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने भारत ही नहीं विदेश में भी मात्स्यकी वैज्ञानिक सलाहकार की भूमिका निभाई है। उनके शिक्षित विद्यार्थियों ने देश विदेश में मत्स्य वैज्ञानिक, अधिष्ठाता, प्रोफ़ेसर और कुलपति के पदों पर भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है। उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय शोध ग्रंथो, पुस्तकों और शोध पत्रों की रचना की है साथ ही अनेक शोध परियोजनाओं का संचालन किया है।
-डॉ. एल.एल.शर्मा, पूर्व डीन, मत्स्यकी महाविद्यालय, एमपीयूएटी, उदयपुर।