उदयपुर। महाराणा प्रताप वरिष्ठ नागरिक संस्थान उदयपुर के तत्वाधान ने अखिल भारतीय वरिष्ठ नागरिक संस्थान आइस्कॉन के 22 वें राष्ट्रीय महा समिति के खुले अधिवेशन में देश भर के सभी राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने खुलकर अपनी अभिव्यक्ति करते हुए कहा कि इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023 के अनुसार उम्रदराज आबादी में अभूतपूर्व वृद्धि हो रही है और 1 जुलाई 2022 तक 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के 149 मिलियन लोग वर्ष 2050 तक 347 मिलियन होंगे अर्थात वृद्ध व्यक्तियों के हिस्सेदारी 20.8 प्रतिशत हो जाएगी।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष अखिल भारतीय वरिष्ठ नागरिक महासंघ एवं अध्यक्ष वरिष्ठ नागरिक संस्थान राजस्थान के भंवर सेठ ने बताया कि अतः वरिष्ठ नागरिकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय राज्य स्तरीय आयोग के गठन की मांग के साथ ही भारत सरकार से अनुरोध किया गया है कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए नेशनल पॉलिसी ओंन ओल्डर पर्सन 1999 मे परिवर्तन को प्राथमिकता प्रदान की जाकर संसद में लंबित इस एक एक्ट पर त्वरित कार्रवाई की मांग की है। सम्मेलन के संयोजक भंवर सेठ ने देश भर से आए हुए 1500 से भी अधिक 20 राज्य के प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से सम्मेलन में नेशनल पॉलिसी ओंन ऑर्डर पर्सन के खंड 57 में औपचारिक शिक्षा के सभी चरणों में जो शैक्षिक पाठ्यक्रम की सिफारिश की गई है। उसके अंतर्गत आयुष्मान पाठ्यक्रम में बुजुर्गों की देखभाल को शामिल करने और इस खंड में निर्देशित अंतर पीढ़ीगत बंधन की अनुपालन करने का अनुरोध किया है।
सम्मेलन में मांग की गई है कि परिवार को अनिवार्य रूप से माता-पिता की देखभाल करनी होगी क्योंकि बूढ़े माता-पिता की ऊपेक्षा के मामले जिस गति से बढ़ते जा रहे हैं उसको देखते हुए उनकी देखभाल को वैधानिक दायित्व बनाया जाना चाहिए ।
सम्मेलन में प्रस्ताव पारित कर क्षेत्र की स्थानीय सरकार के साथ वरिष्ठ नागरिकों के मुद्दों का प्रतिनिधित्व करने के लिए प्रत्येक नगर निगम और नगर पालिका के लिए वरिष्ठ नागरिक संगठन स्थापित किया जाने चाहिए और स्थानीय निकायों से वरिष्ठ नागरिकों के लिए नीतियां विकसित करने और अपने वार्षिक बजट में विशेष प्रावधान किया जाना चाहिए ।
बुजुर्गों की देखभाल सेवाओं,सामाजिक सेवाओं पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया जा रहा है तो बुजुर्ग देखभाल सेवाओं पर जीएसटी पूरी तरह से हटाया जाना चाहिए। इसी प्रकार बुजुर्गों के स्वास्थ्य बीमा पर 18ः जीएसटी को भी पूरी तरह हटाया जाए।
सरकार से वरिष्ठ नागरिकों के लिए लिविंग विल के लिए उचित कानून बनाने की मांग की गई है। जब गरिमा के साथ मरने के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में पहले ही सर्वाेच्च न्यायालय की संविधान पीठ फैसले के द्वारा घोषित किया जा चुका है ऐसी स्थिति में उसे जीवन रक्षक उपकरणों से वापसी सहित चिकित्सा उपचार से इनकार करने का अधिकार है और हमारे देश में एडवांस मेडिकल डायरेक्टर से संबंधित अभी तक कोई कानून नहीं है ऐसी स्थिति में हम सरकार से लिविंग विल के लिए उचित कानून बनाने का अनुरोध करते हैं।
बुजुर्ग लोग हमारे राष्ट्र की संपत्ति है सेवानिवृत्ति के लिए निर्धारित आयु सीमा 60 वर्ष है। यह सीमा पुरानी प्रणाली पर आधारित थी अब दीर्घायु 60 वर्ष से कम थी अब भारत में दीर्घायु 75 वर्ष से अधिक हो गई है इसको देखते हुए सेवानिवृत्ति की आयु में संशोधन की आवश्यकता है तथा सेवानिवृत्ति की आयु आनुपातिक रूप से बढ़ाई जानी चाहिए ।
सरकार से यह भी मांग की गई है कि देश में 75 प्रतिशत वरिष्ठ नागरिक गरीब है और वह असंगठित क्षेत्र से बिना किसी पेंशन लाभ के सेवानिवृत हुए हैं अतः ऐसी स्थिति में ऐसे प्रत्येक नागरिक को प्रति माह 10000 रुपए पेंशन स्वीकार की जाए, जिससे उसकी घर में सेवा होगी और उसकी क्रय शक्ति से देश की आर्थिक शक्ति में भी वृद्धि होगी। संपूर्ण देश में 60 वर्ष से अधिक आयोग के सभी वरिष्ठ नागरिकों के लिए समान रूप से आयुष्मान भारत का कवरेज बढ़ाना जाना चाहिए और योजना के तहत 5 लाख रूपयें तक के मुफ्त चिकित्सा उपचार को अनलिमिटेड किया जाना चाहिए।
यह समस्त निर्णय आइस्कॉन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी के भदाने की अध्यक्षता में वरिष्ठ उपाध्यक्ष भंवर सेठ पूर्व महासचिव टीपीआर यूनी एवं उपाध्यक्ष मदन खटोड़ द्वारा सभी राज्यों से वक्ताओं द्वारा प्राप्त प्रस्ताव के आधार पर सर्व समिति से पारित किए गए जिन्हें भारत सरकार को तुरंत कार्यवाही हेतु प्रस्तुत किया जाएगा।