उदयपुर / मेवाड़ के महाराणा भूपाल सिंह जी की 141वीं जयंती पर जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विवि के कुलपति सचिवालय के सभागार में सोमवार को मुख्य अतिथि पानी वाले बाबा डॉ. राजेन्द्र सिंह, कुलपति कर्नल प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत, कुलाधिपति भंवर लाल गुर्जर, रजिस्ट्रार डॉ. तरूण श्रीमाली, पीठ स्थविर डॉ. कौशल नागदा, डॉ. युवराज सिंह राठौड़ ने उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हे नमन किया।
आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि महाराणा भूपाल सिंह जी सिर्फ एक शासक ही नहीं थे, वरन एक दूरदर्शी रणनीतिकार थे। महाराणा भूपाल सिंह विद्यापीठ के पहले चांसलर रहे। आजादी के पूर्व महाराणा भूपाल सिंह ने मेवाड़ के शहरी एवं आदिवासी अंचल में शिक्षा की अलख जगाई। लोकहितकारी कार्यो के लिए अपनी अनेकों भवन एवं जमीनें सुपूर्द की जिसमें आज महाराणा भूपाल चिकित्सालय, न्यायालय परिसर , कलेक्ट्री परिसर, फतेह मेमोरियल एवं अनेकों विद्यालय एवं महाविद्यालय चल रहे है। ़
कुलाधिपति भंवर लाल गुर्जर ने कहा कि संस्थापक जनुभाई महाराणा की प्रेरणा से ही बनारस शिक्षण - दीक्षण के लिए गए। शिक्षा पूरी करने के बाद 1937 में वंचित वर्ग को शिक्षा की मुख्य जोड़ने के उद्देश्य से विद्यापीठ की स्थापना की जिसने आज वट वृक्ष का रूप ले लिया है। आजादी के पूर्व हर वर्ग के उत्थान के लिए हर संभव सहयोग किया। विलिनिकरण के दौरान मेवाड़ में आने वाले हर व्यक्ति को अपने यहॉ शरण दी। सबसे पहले रियासती एकीकरण के पक्षकार महाराणा भूपाल सिंह जी थे उनके इस सहयोग के लिए उनको पूरे भारत के एकीकरण के दौरान मार्ग प्रदर्शक की छवि के रूप में पेश किया गया। महिला शिक्षा के साथ साथ सामाजिक सरोकार में उनके उल्लेखनीय योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। युवाआंे केा उनके जीवन से सीख लेनी चाहिए।
इस अवसर पर डॉ. अमिया गोस्वामी, डॉ. चन्द्रेश छतलानी, निजी सचिव के.के. कुमावत, जितेन्द्र सिंह चौहान, डॉ. हेमंत साहू, डॉ. जयसिंह जोधा, लहरनाथ, विकास डांगी, जयप्रकाश चौबीसा, डॉ. ललित सालवी, पुनीत कुमार, लालु राम सालवी सहित कार्यकर्ताओं ने महाराणा भूपाल सिंह जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हे नमन किया।