डॉ दीपक श्रीवास्तव को मिला राष्ट्रीय पुस्तकालय पुरस्कार

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Published on : 24 Feb, 25 11:02

डॉ दीपक श्रीवास्तव को मिला राष्ट्रीय पुस्तकालय पुरस्कार

(mohsina bano)

आईकॉल 2025 में डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव को बेस्ट पब्लिक लाइब्रेरियन नेशनल अवार्ड - 2025 से सम्मानित किया गया। हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की लोकप्रियता और सक्रिय लाइब्रेरियन्स की श्रृंखला में उन्होंने देश में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया।

यह सम्मान दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर स्थित दीक्षा भवन में आयोजित "इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन नॉलेज ऑर्गेनाइजेशन इन एकेडमिक लाइब्रेरीज" (आईकॉल 2025) के दौरान दिया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन लाइब्रेरी प्रोफेशनल एसोसिएशन, नई दिल्ली और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा किया गया था।

डॉ. श्रीवास्तव राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय, कोटा, राजस्थान में संभागीय पुस्तकालयाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं। उन्हें कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. डॉ. संजय श्रीवास्तव (कुलपति, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतीहारी, बिहार), प्रो. डॉ. पूनम टंडन (कुलपति, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर), लाइब्रेरी प्रोफेशनल एसोसिएशन, नई दिल्ली के महासचिव डॉ. सालेक चंद, अध्यक्ष डॉ. रामानंद मालवीय, सम्मेलन निदेशक आनंद अंजलि झा और सम्मेलन संयोजक डॉ. विभाष कुमार मिश्रा सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने संयुक्त रूप से बेस्ट पब्लिक लाइब्रेरियन नेशनल अवार्ड - 2025 से सम्मानित किया।

इस अवसर पर लाइब्रेरी प्रोफेशनल एसोसिएशन, नई दिल्ली के महासचिव डॉ. आनंद अंजलि झा ने बताया कि 300 से अधिक प्रविष्टियों में से "बेस्टेस्ट फ्रॉम बेस्ट" सिद्धांत के तहत चयन किया गया।

डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रथम दिवस के प्रथम सत्र को चेयर किया और द्वितीय दिवस के सातवें व आठवें तकनीकी सत्र में शोध पत्र प्रस्तुत किए
उनके शोध पत्रों के विषय रहे:

  1. "सिनेमा बियॉन्ड साइट: ए जर्नी टुवर्ड्स इंक्लूसिविटी फॉर विजुअली इम्पेयर्ड"
  2. "अनलॉकिंग लिटिल माइंड्स: हार्नेसिंग माइक्रो-एक्सप्रेशन टू इग्नाइट रीडिंग हैबिट्स इन किड्स – एन इमोशनल मैपिंग स्टडी ऑफ राजस्थान पब्लिक लाइब्रेरीज़"

इन शोध पत्रों के सहलेखक डॉ. के.पी. सिंह (आईआईएलएम विश्वविद्यालय, दिल्ली) और मधुसूदन चौधरी (गीतांजली चिकित्सा महाविद्यालय, जयपुर) रहे।

डॉ. दीपक श्रीवास्तव की यह उपलब्धि सार्वजनिक पुस्तकालयों के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान मानी जा रही है।


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