जल सुरक्षा पर प्रमुख सिफारिशों के साथ संपन्न हुआ सम्मेलन

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Published on : 20 Feb, 25 18:02

शबनम बानों

जल सुरक्षा पर प्रमुख सिफारिशों के साथ संपन्न हुआ सम्मेलन

उदयपुर। दूसरा अखिल भारतीय राज्य जल मंत्रियों का सम्मेलन महत्वपूर्ण जल प्रबंधन मुद्दों पर विचार-विमर्श के साथ सम्पन्न हुआ। दो दिवसीय सम्मेलन के समापन समारोह में  केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सी आर पाटिल ने कहा कि सम्मेलन केवल चुनौतियों पर चर्चा तक सीमित नहीं रहा बल्कि समाधान खोजने के सामूहिक प्रयास भी सामने आए।
दूसरे दिन हुए तीन तकनीकी सत्र
सम्मेलन के दूसरे व अंतिम दिन तीन विषयगत सत्रों में क्रमशः जल वितरण सेवाएंः सिंचाई और अन्य उपयोग, मांग प्रबंधन और जल उपयोग दक्षता तथा एकीकृत नदी और तटीय प्रबंधन पर गहन विमर्श हुआ। इन सत्रों में देश के जल प्रशासन को बढ़ाने और टिकाऊ जल संसाधन प्रबंधन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण सिफारिशें सामने आईं। इसके अलावा सम्मेलन ने दबावयुक्त सिंचाई नेटवर्क (पिन) और भूमिगत पाइप लाइन (यूजीपीएल) की पहुंच बढ़ाने की सिफारिश की। सम्मेलन में सभी क्षेत्रों में जल उपयोग दक्षता (डब्ल्यूयूई) को बढ़ावा देने के लिए जल उपयोग दक्षता ब्यूरो का भी प्रस्ताव रखा गया। जल तनाव को कम करने के लिए समग्र मांग प्रबंधन, जल-कुशल फसल पैटर्न अपनाने और कृषि में टिकाऊ जल प्रबंधन प्रथाओं के लिए अत्याधुनिक तकनीक को लागू करने पर भी जोर दिया गया।
हर खेत को पानी मिशन पर दिया जोर
सम्मेलन के अंतिम दिन रणनीतिक हस्तक्षेपों के माध्यम से ’हर खेत को पानी’ मिशन को के उद्देश्य को प्राप्त करने पर जोर दिया गया। इस उद्देश्य के लिए, वाष्पोत्सर्जन (ईटी) आधारित सिंचाई प्रदर्शन मूल्यांकन को अपनाने और सूक्ष्म सिंचाई के माध्यम से खेत की दक्षता में सुधार करने की सिफारिश की गई। कमांड एरिया डेवलपमेंट में तेजी लाने, सतही जल, भूजल और उपचारित जल के संयुक्त उपयोग को बढ़ावा देने का भी सुझाव दिया गया। सम्मेलन ने सभी क्षेत्रों में जल उपयोग के वॉल्यूमेट्रिक माप को बढ़ावा देने की सिफारिश की गई। अपशिष्ट जल उपचार, पुनर्चक्रण और पुनः उपयोग, ई-प्रवाह, बाढ़ के मैदानों का क्षेत्रीकरण, नदी तट विकास और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से नदी का कायाकल्प करने का भी सुझाव दिया गया। तटीय निगरानी नेटवर्क का विस्तार, नदी और तटीय क्षेत्रों में पारिस्थितिक बहाली और जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देना, नदी के प्रवाह को बढ़ाने के लिए झरनों और अन्य प्राकृतिक स्रोतों का कायाकल्प करना और आत्मनिर्भर आर्थिक मॉडल के रूप में परिपत्र अर्थव्यवस्था और जल पर्यटन को बढ़ावा देना भी सुझाया गया।
इन सिफारिशों का उद्देश्य भारत के जल प्रबंधन और संरक्षण प्रयासों को मजबूत करना है, ताकि देश के लिए एक टिकाऊ और सुरक्षित जल भविष्य सुनिश्चित हो सके। सम्मेलन ने जल जीवन मिशन (श्रश्रड) को बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जिसमें ग्राम जल और स्वच्छता समितियों (टॅैब्े) के माध्यम से समुदाय के नेतृत्व वाले संचालन और रखरखाव पर विशेष जोर दिया गया। चर्चाओं में ।डत्न्ज् योजना के माध्यम से शहरी जल सुरक्षा प्राप्त करने और स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत ग्रे वाटर मैनेजमेंट को एकीकृत करने के उपायों की भी खोज की गई। चर्चाओं में राज्य-विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन (प्ॅत्ड), जमीनी स्तर पर भागीदारी शासन तथा मांग और उपलब्धता को अनुकूलित करने के लिए जल बजट की आवश्यकता पर जोर दिया गया। दक्षता और स्थिरता में सुधार के लिए डेटा, प्रौद्योगिकी और नवाचार का लाभ उठाने के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया। इसके अतिरिक्त समुदाय-संचालित जल संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए देश भर में ‘जल संचय जन भागीदारी’ पहल को बढ़ाने के लिए जोरदार प्रयास किया गया।


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