प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फ्रांस और अमरीका यात्रा से शुक्रवार रात को स्वदेश लौट आने के बाद से ही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सियासी सरगर्मियां बढ़ गई है और अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) को जबरदस्त शिकस्त देकर ढाई दशक से भी अधिक समय के बाद पुनः सत्ता में लौटी भारतीय जनता पार्टी की सरकार का मुखिया चुनने की प्रक्रिया तेज हो गई है।
दिल्ली भाजपा विधायक दल की औपचारिक बैठक से पूर्व शीर्ष नेतृत्व द्वारा नियुक्त केन्द्रीय पर्यवेक्षक भाजपा के सभी 48 विधायकों से व्यक्तिश मिल कर उनकी राय ले सकते हैं तथा इस बारे में अपनी रिपोर्ट शीर्ष नेतृत्व को देंगे। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा दिल्ली के मुख्यमंत्री का नाम तय करेंगे। माना जा रहा है कि अन्य प्रदेशों की तरह ही दिल्ली के मुख्यमंत्री का ताज भाजपा विधायक दल की बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षक की उपस्थिति में पर्ची द्वारा खोला जायेगा।
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार,आगामी 19 या 20 फरवरी को दिल्ली में नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जा सकता है। इसके लिए 17 या 18 फरवरी को दिल्ली के भाजपा विधायक दल की बैठक संभावित है। बताया जा रहा है कि दिल्ली की नई सरकार बनाने के लिए पार्टी के 48 विधायकों में से 15 प्रमुख नामों को छांट लिया गया हैं, जिनमें से 9 नाम शॉर्ट लिस्ट किए जाएंगे तथा इन्हीं में से मुख्यमंत्री, मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष आदि का चयन किया जाएगा। दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के लिए राजधानी में जिन भाजपा विधायकों के नामों की सर्वाधिक चर्चा हो रही है, उनमें रेखा गुप्ता, प्रवेश वर्मा, मोहन सिंह बिष्ट, विजेंद्र गुप्ता, सतीश उपाध्याय, आशीष सूद, शिखा राय और पवन शर्मा आदि के नाम प्रमुखता से चर्चा में हैं। हालांकि, अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा द्वारा ही लिया जाएगा। यह भी संभव है कि राजस्थान और मध्यप्रदेश और अन्य भाजपा शासित प्रदेशों की तरह दिल्ली में भी कोई अप्रत्याशित चेहरा ही सामने आ जाए। दिल्ली में भाजपा के प्रमुख रूप से तीन से चार ग्रुप है जिनमें वैश्य,पंजाबी,जाट गुर्जर और पूर्वांचल और यूपी एवं उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाले नेता है। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व सभी समीकरणों को साधने के लिए किसी एक समूह का मुख्यमंत्री और बाकी समूहों को प्रतिनिधित्व देने के लिए दो उप मुख्यमंत्री भी बना सकता है। शेष नेताओं को विधानसभा स्पीकर,सचेतक एवं उप सचेतक के पद देकर संतुष्ट किया जा सकता है।
इस प्रकार दिल्ली में नए मुख्यमंत्री को चुनने के लिए बीजेपी में कवायद तेज हो गई है। शनिवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने नई दिल्ली में पार्टी मुख्यालय पर राष्ट्रीय महासचिवों के साथ एक महत्वपूर्ण मीटिंग की हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक इस बैठक में दिल्ली का 'मुख्यमंत्री कौन होगा' इसे लेकर भी बातचीत हुई। साथ ही दिल्ली में डबल इंजन की सरकार के बनाने के बाद ट्रिपल इंजन की सरकार की रणनीति भी बनाई जा रही है। अगले माह दिल्ली के मेयर का चुनाव भी होना है । इस क्रम में शनिवार को आप पार्टी के कुछ पार्षदों ने आप पार्टी छोड़ कर भाजपा ज्वॉइन की हैं। विधानसभा चुनाव से पहले आप के तीन विधायक भी आप पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे।
दिल्ली में भाजपा करीब 27 सालों के सूखे के ब
बाद सत्ता में वापसी कर रही है। पार्टी ने दिल्ली विधानसभा की कुल 70 में से 48 विधानसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस प्रत्याशियों को पराजित कर ऐतिहासिक जीत हासिल की है। हालांकि विगत 8 फ़रवरी को आए नतीजों के एक हफ्ते बाद अब तक यह तय नहीं हो पाया है कि दिल्ली में भाजपा सरकार का चेहरा कौन होगा? लगता है यह सस्पेंस दिल्ली भाजपा विधायक दल की बैठक में अन्तिम क्षण तक बना रहेगा क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा में मुख्यमंत्री चुनने की स्थापित परंपरा को तोड़ दिया है और कोई भी उनके फैसले को भांप नहीं सकता हैं, मीडिया सिर्फ कयास ही लगाती हैं।
यदि हम मोदी शाह जोड़ी के पिछले निर्णयों को देखें तो पाएंगे कि हरियाणा एक जाट प्रदेश है लेकिन वहां पहले पंजाबी खत्री समाज से आने वाले मनोहर लाल खट्टर को सीएम बनाया गया और बाद में सैनी समाज से नायब सिंह सैनी के रुप में मुख्यमंत्री ले आए। महाराष्ट्र में मराठा राजनीति होती है, वहां एक ब्राह्मण देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री चुना गया। राजस्थान में भी राजपूतों, जाट और गुर्जर की राजनीति के बीच एक ब्राह्मण भजन लाल शर्मा को ले आए,ऐसा ही मध्य प्रदेश में भी किया गया और डॉ मोहन यादव को मुख्यमंत्री बना दिया गया। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि जो नरेंद्र मोदी की राजनीति को नहीं समझते हैं, वो सिर्फ कयासबाज़ी ही करते हैं जबकि मोदी किस को मुख्यमंत्री बनाएंगे,इसका फैसला वे चुनाव से पहले ही कर लेते हैं लेकिन किसी को इसकी भनक तक नहीं पड़ने देते। इस लिहाज से दिल्ली में भी कोई नया नाम ही मुख्यमंत्री के रुप में सामने आ सकता है।
भाजपा का शीर्ष नेतृत्व दिल्ली के मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह को यादगार बनाने के लिए इसे भव्य रूप में आयोजित करने की योजना भी बना रहा है। भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि यह ऐतिहासिक जलसा नई दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित किया जा सकता है जिसमें भाजपा शासित प्रदेशों और एनडीए के सहयोगी दलों की राज्य सरकारों के मुख्यमंत्री और नेतागण भी भाग लेंगे।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भाजपा किस नेता को मुख्यमंत्री के सिंहासन पर बैठाएगी और वे नौ नवरत्न कौन होंगे जिनके कन्धों पर भाजपा के चुनावी संकल्प पत्र के अनुरूप दिल्ली को विश्व की सबसे बेहतरीन एवं सुन्दर और स्वच्छ राजधानी बनाने की जिम्मेदारी आने वाली हैं?