पारस हेल्थ उदयपुर ने उन्नत ऑर्बिटल एथरेक्टमी तकनीक अपनाई, गंभीर कैल्सीफाइड धमनियों के मरीजों को दी नई आशा

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Published on : 13 Feb, 25 01:02

पारस हेल्थ उदयपुर ने भारत की नवीनतम कोरोनरी उपचार तकनीक का उपयोग कर 40 वर्षीय मरीज का सफलतापूर्वक इलाज किया

पारस हेल्थ उदयपुर ने उन्नत ऑर्बिटल एथरेक्टमी तकनीक अपनाई, गंभीर कैल्सीफाइड धमनियों के मरीजों को दी नई आशा


उदयपुर, पारस हेल्थ, उदयपुर ने हाल ही में ऑर्बिटल एथरेक्टमी (OAD) तकनीक का उपयोग कर एक जटिल एंजियोप्लास्टी सफलतापूर्वक की। यह तकनीक भारत में केवल छह महीने पहले शुरू हुई थी, और पारस हेल्थ उदयपुर अब इस अत्याधुनिक प्रक्रिया को अपनाने वाले प्रमुख कार्डियक सेंटरों में शामिल हो गया है।
इस उपलब्धि पर पारस हेल्थ उदयपुर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया, जिसमें राजस्थान (जयपुर के बाहर) पहली बार IVUS-गाइडेड ऑर्बिटल एथरेक्टमी किए जाने की जानकारी दी गई। यह तकनीक भारत में अगस्त 2024 में दिल्ली और जयपुर में पहली बार दो मरीजों पर प्रयोग की गई थी। इस प्रक्रिया का नेतृत्व डॉ. अमित खंडेलवाल (निदेशक व एचओडी, कार्डियोलॉजी) ने किया, जिनके साथ डॉ. नितिन कौशिक (इंटेंसिविस्ट), डॉ. जयेश खंडेलवाल (नॉन-इनवेसिव कार्डियोलॉजी) और पारस हेल्थ टीम के दिनेेश भी शामिल थे।
डॉ. अमित खंडेलवाल ने कहा, "पारंपरिक एंजियोप्लास्टी गंभीर कैल्सियम जमाव को प्रभावी रूप से नहीं हटा सकती। पहले हम रोटाब्लेशन और IVL (इन्ट्रावस्कुलर लिथोट्रिप्सी) जैसी तकनीकों का उपयोग करते थे, लेकिन ऑर्बिटल एथरेक्टमी जटिल मामलों के लिए अधिक प्रभावी समाधान है। IVUS भारत में पिछले एक दशक से उपलब्ध है और IVL को 4-5 साल हो चुके हैं, लेकिन ऑर्बिटल एथरेक्टमी सबसे नवीनतम और उन्नत तकनीक है, जो हाई-रिस्क बायपास सर्जरी की जरूरत को कम करती है, खासकर युवा मरीजों में।"
डॉ. मनीष अग्रवाल (फैसिलिटी डायरेक्टर, पारस हेल्थ, उदयपुर) ने कहा, "यह भारत में कार्डियक देखभाल के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस तरह की नवीनतम तकनीक को राजस्थान में लाकर, हम विश्वस्तरीय उन्नत उपचार प्रदान करने के अपने संकल्प को मजबूत कर रहे हैं।"
मरीज गौरव भटनागर (परिवर्तित नाम), 40 वर्ष, ने छह साल पहले लखनऊ में एंजियोप्लास्टी करवाई थी, लेकिन हाल ही में उन्हें सीने में दर्द, सांस फूलने और चलने में कठिनाई की समस्या होने लगी। जांच में बाएं मुख्य धमनी में 100% रुकावट और अन्य दो धमनियों में 95% ब्लॉकेज पाया गया, जिनमें गंभीर कैल्सियम जमाव था। उनकी कम उम्र को देखते हुए, बायपास सर्जरी से भविष्य में बीमारी के पुनरावृत्ति का खतरा था। ऐसे में ऑर्बिटल एथरेक्टमी सबसे उपयुक्त विकल्प साबित हुआ, जिससे दीर्घकालिक सफलता सुनिश्चित की जा सकी।
डॉक्टरों ने पहले इन्ट्रावस्कुलर अल्ट्रासाउंड (IVUS) से कैल्सियम जमाव का विश्लेषण किया, फिर विशेष गाइडेड वायर से अवरोध हटाया और अंत में स्टेंट डालकर रक्त प्रवाह को सामान्य किया।


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