उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय में संचालित राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (त्ज्ञटल्) की परियोजना ष्मेवाड़ क्षेत्र की परंपरागत फसलों के प्रसंस्करणों का उत्कृष्टता केंद्रष् के तहत कृषि विज्ञान केंद्र, प्रतापगढ़ के देवगढ़ गाँव में दो दिवसीय कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य विषय ष्मिलेट प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धनष्तथा ष्हल्दी एवं अदरक प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धनष् रहा, जिसका उद्देश्य किसानों और महिलाओं को प्रसंस्करण तकनीकों से परिचित कराकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना था। कार्यक्रम में कुल 65 ग्रामीण महिलाओं ने भाग लिया।
विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. अरविंद वर्मा ने इस प्रशिक्षण को किसानों और महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर को उत्पन्न करने वाला बताया। वहीं, परियोजना की प्रमुख अन्वेषक डॉ. कमला महाजनी ने बताया कि मिलेट, अदरक और हल्दी प्रसंस्करण की दी गई जानकारी से महिलाओ में स्वयं का रोजगार शुरू करने की प्रेरणा मिलेगी, जिससे वे अपने लघु उद्योग स्थापित कर सकेंगी।
प्रशिक्षण के पहले दिन यंत्र चालक सुश्री चित्राक्षी कछवाहा ने मिलेट और मसाला प्रसंस्करण मशीनों के उपयोग और सरकारी योजनाओं की जानकारी दी। साथ ही डॉ. पायल तलेसरा और सुश्री योगिता पालीवाल ने रागी और बाजरा से चॉकलेट बनाने की तकनीकों को बनाकर सिखाया। दूसरे दिन सुश्री योगिता पालीवाल ने अदरक कैंडी, मुरब्बा, सांवे के गाठीये बनाने का प्रशिक्षण दिया, और डॉ. पायल तलेसरा ने विपणन, पैकेजिंग और लेबलिंग पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के दौरान मिलेट आधारित उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिससे प्रतिभागियों को इनके संभावित व्यावसायिक अवसरों की जानकारी मिली। प्रशिक्षण का समापन प्रतिभागियों को प्रसंस्करण क्षेत्र में नवाचार अपनाने और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करते हुए किया गया।