(mohsina bano)
महाकुंभ 2025 में अदाणी समूह सनातन संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विशेष पहल कर रहा है। समूह ने गीताप्रेस गोरखपुर के साथ मिलकर 1 करोड़ आरती संग्रह वितरित करने का लक्ष्य रखा है। इस कार्य के लिए मेला क्षेत्र और शहर में कई स्टॉल लगाए गए हैं, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु और युवा आरती संग्रह प्राप्त कर रहे हैं।
अदाणी समूह 100 साल से अधिक पुरानी आरतियों को निःशुल्क उपलब्ध करवा रहा है। गीताप्रेस द्वारा प्रकाशित आरती संग्रह को सनातन साहित्य के अग्रणी और स्वतंत्रता सेनानी हनुमान प्रसाद पोद्दार ने संकलित किया था। इसका पहला संस्करण 1953 में प्रकाशित हुआ था, और अब तक 97 संस्करण छप चुके हैं।
गीताप्रेस के प्रबंधक डॉ. लालमणि तिवारी के अनुसार, आरती संग्रह में संस्कृत और हिंदी दोनों भाषाओं की आरतियां शामिल हैं। भारत की सबसे लोकप्रिय आरती ‘ओम जय जगदीश हरे’ पंडित श्रद्धाराम शर्मा फिल्लौरी ने 1875 में लिखी थी, जो 150 वर्षों से पूजन-अनुष्ठानों का हिस्सा बनी हुई है।
आरती संग्रह के संपादक हनुमान प्रसाद पोद्दार स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहे और महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी थे। उन्होंने गीताप्रेस को प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लोकमान्य तिलक, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी, मदन मोहन मालवीय, सरदार पटेल और अन्य क्रांतिकारियों से उनका गहरा संबंध था।
गीताप्रेस ने डिजिटल युग के अनुरूप अपने प्रकाशनों को ऑनलाइन उपलब्ध कराया है। अब 15 से अधिक देशों के लोग इसकी वेबसाइट के माध्यम से सनातन साहित्य पढ़ रहे हैं।
अदाणी समूह इस्कॉन के साथ मिलकर प्रतिदिन 1 लाख से अधिक श्रद्धालुओं को महाप्रसाद वितरित कर रहा है। सनातन संस्कृति को बढ़ावा देने के इस प्रयास से महाकुंभ में युवाओं और श्रद्धालुओं की भागीदारी बढ़ रही है।