(prabhat singhal)
दिल्ली। भारत मंडपम में आयोजित विश्व पुस्तक मेले में मंगलवार को युवा कवि और गद्यकार ओम नागर की डायरी ‘एकांतनामा’ का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर प्रसिद्ध शायर और नाटककार इरशाद खान सिकंदर मुख्य अतिथि रहे, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में आलोचक व 'बनास जन' के संपादक पल्लव उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध साहित्य अध्येता प्रो. माधव हाड़ा ने की।
इरशाद खान सिकंदर ने ‘एकांतनामा’ को डायरी विधा का अनमोल मोती बताते हुए कहा कि ओम नागर ने डायरी लेखन में अपनी प्रयोगशील मेधा को सिद्ध किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल की भयावहता को साहित्य में दर्ज कर यह पुस्तक संग्रहणीय बन गई है। नागर की भाषा प्रवाहमयी और सरस है, जिससे गंभीर विषय भी सहजता से पाठक तक पहुंचते हैं।
पल्लव ने कहा कि भारत में डायरी लेखन की परंपरा गांधीजी के आंदोलन से जुड़ी रही है। सत्याग्रहियों के लिए डायरी लिखना एक आवश्यक कार्य माना जाता था। उन्होंने बताया कि इससे पहले राजाओं के दौर में भी रोजनामचे लिखे जाते थे। उन्होंने ‘एकांतनामा’ को एक गंभीर साहित्यिक कृति बताते हुए कहा कि ओम नागर का लेखन कथेतर साहित्य की महत्ता को नए शतक में फिर से स्थापित कर रहा है।
प्रो. माधव हाड़ा ने ‘एकांतनामा’ को हमारी भीतरी अदृश्य हलचलों का जीवंत दस्तावेज बताया। उन्होंने कहा कि यह डायरी प्रमाणित करती है कि एकांत की भी अपनी भाषा होती है, जो पाठक से संवाद स्थापित करती है। कोरोना काल के भय, असुरक्षा, चिंता, हताशा और असहायता जैसे भावों को ओम नागर ने गहरे संवेदनात्मक स्तर पर दर्ज किया है। यह डायरी पाठकों को उस कठिन समय में वापस ले जाकर सोचने-समझने के लिए प्रेरित करेगी।
इससे पूर्व, सूर्य प्रकाशन मंदिर के स्टॉल पर प्रकाशक प्रशांत बिस्सा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए अपने प्रकाशन की 60 वर्षों की यात्रा का परिचय दिया। उन्होंने बताया कि हिंदी और भारतीय भाषाओं के कई महत्वपूर्ण रचनाकारों की कृतियां सूर्य प्रकाशन मंदिर से प्रकाशित हुई हैं।