उदयपुर। प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र पर मिल रही दवाओं के प्रति लोगों का विश्वास काफी ज्यादा है इसीलिए 10 से 12 लाख लाख लोग प्रतिदिन इन केंद्रों से दवाएं खरीद रहे हैं। इन केंद्रों पर एमआरपी से 50 से 80 प्रतिशत छूट पर दवाएं मिल रही है। केंद्र खोलने के लिए केंद्र सरकार अनुसूचित जाति व जनजाति के सदस्यों के लिए 2 लाख रुपए की एक मुश्त प्रोत्साहन राशि भी देती है। पिछले पांच सालों में राजस्थान में 215 प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोले गए हैं।
सांसद डॉ मन्नालाल रावत द्वारा शुक्रवार को संसद में रसायन और उर्वरक मंत्रालय औषध विभाग से पूछे गए प्रश्न पर रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने जानकारी दी है। सांसद श्री रावत ने अतारांकित प्रश्न द्वारा प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र को लेकर प्रश्न किए थे कि विगत पांच वर्षों के दौरान, देश में स्थापित किए गए प्रधान मंत्री जन औषधि केंद्रों की राजस्थान सहित क्षेत्रवार कुल संख्या कितनी है। क्या अस्पताल परिसरों में स्थापित किए जा रहे केंद्रों को सरकार द्वारा कोई वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है, यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?
वर्ष 2025 तक देश में स्थापित किए जाने वाले जन औषधि केंद्रों की संख्या के लक्ष्य सहित राजस्थान के उदयपुर संभाग के जिलों में स्थापित किए जाने वाले केंद्रों की संख्या कितनी है? प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों के माध्यम से आम जनता को प्रदान किए जा रहे लाभ का ब्यौरा क्या है? प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों की स्थापना करने की पात्रता, शर्तें और लागत का ब्यौरा क्या है?
20 हजार रुपए तक की प्रोत्साहन राशि मिलती है
रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने जवाब में बताया कि प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2019-2020 और 2023-2024 के बीच देशभर में कुल 7,484 जन औषधि केंद्र खोले गए हैं, जिनमें से 215 राजस्थान राज्य में खोले गए हैं। सभी जन औषधि केंद्रों के मालिक उनके द्वारा की गई मासिक खरीद के 20 प्रतिशत की दर से मासिक अधिकतम सीमा 20,000 रुपए तक के प्रोत्साहन के लिए पात्र हैं, बशर्ते कि उन्होंने दवाओं का स्टॉक बनाए रखने जैसी कुछ शर्तें पूरी करी हौं। इसके अलावा, पूर्वाेत्तर राज्यों, हिमालयी क्षेत्रों, द्वीप क्षेत्रों और आकांक्षी जिलों में खोले गए केन्द्रों या महिला उद्यमियों, पूर्व सैनिकों, दिव्यांगजनों और अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों द्वारा खोले गए केन्द्रों को फर्नीचर, कंप्यूटर, रेफ्रिजरेटर और अन्य फिक्स्चर के लिए सहायता के रूप में 2 लाख रुपये की एकमुश्त प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है।
देश भर में 15 हजार जन औषधि केंद्र खोले गए
जवाब में बताया गया कि सरकार ने 31 मार्च 2025 तक देश भर में 15,000 जन औषधि केंद्र खोलने का निर्णय लिया और यह लक्ष्य पहले ही हासिल किया जा चुका है। योजना के के अंतर्गत 2,047 दवाएं और 300 सर्जिकल्स, चिकित्सीय उपभोग्य वस्तुएं और उपकरण शामिल हैं। इनमें हृदयवाहिका, कैंसर रोधी, मधुमेह-रोधी, संक्रमण-रोधी, एलर्जी-रोधी और गैस्ट्रो-आंत्र संबंधी दवाएं और न्यूट्रास्युटिकल्स को कवर करते हैं।
10 सालों में 30 हजार करोड रुपए की बचत हुई
ये दवाएं ब्रांडेड दवाओं की तुलना में लगभग 50 से 80 प्रतिशत किफायती दरों पर उपलब्ध कराई जाती हैं। पिछले 10 वर्षों में, जन औषधि केंद्रों के माध्यम से एमआरपी के संदर्भ में 6,462 करोड़ रुपए की दवाइयों की बिक्री की गई है जिसके फलस्वरूप ब्रांडेड दवाओं के मूल्यों की तुलना में नागरिकों को लगभग 30,000 करोड़ रुपए की अनुमानित बचत हुई। प्रतिदिन औसतन 10 से 12 लाख लोग जन औषधि केंद्रों पर जाते हैं और किफायती मूल्यों पर गुणवत्तापूर्ण दवाइयां प्राप्त करते हैं। इसके अलावा, महिलाओं के लिए किफायती दामों पर मासिक धर्म स्वास्थ्य सेवाओं की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक रुपए प्रति पैड की दर से जन औषधि सुविधा सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
आवश्यक पात्रता वाला व्यक्ति खोल सकता है केंद्र
जवाब में बताया गया कि कोई भी व्यक्ति जिसके पास स्वयं डी. फार्मा. या बी. फार्मा. योग्यता हो या कोई व्यक्ति या संगठन जिसने संबंधित राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण से दवा लाइसेंस प्राप्त करने के लिए फार्मासिस्ट के रूप में ऐसी योग्यता नियोजित की हो, वह जन औषधि केंद्र खोलने के लिए पात्र है। ऐसे आउटलेट खोलने के लिए न्यूनतम 120 वर्ग फीट स्थान, संबंधित राज्य फार्मेसी परिषद के साथ फार्मासिस्ट का पंजीकरण तथा दिव्यांगजन, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति श्रेणी के आवेदकों के संबंध में, संबंधित प्राधिकारी द्वारा जारी उपयुक्त प्रमाण पत्र जरुरी है।