राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय कोटा मे महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को शहीद दिवस के रूप मे मनाया गया | इस अवसर पर पाठको ने 2 मिनट का मौन रखा | इसके बाद परामर्शदाता रामनिवास धाकड़ ने इस अवसर पर पाठको को संबोधित करते हुये कहा कि - इतिहास की बात करें तो 30 जनवरी 1948 की घटना आज भी देश की यादों में बसी हुई है। 1948 में इसी दिन नई दिल्ली के बिड़ला हाउस परिसर में गांधी की हत्या कर दी गई थी। यह घटना उनकी नियमित बहु-धार्मिक प्रार्थना सभा के बाद हुई थी।
कार्यक्रम संयोजिका शशि जैन सहायक पुस्तकालय अध्यक्ष ने कहा कि - भारत के विभाजन पर गांधी के विचारों का विरोध करने वाले हिंदू महासभा के सदस्य नाथूराम गोडसे ने उन पर तीन गोलियां चलाई, जिससे उनकी तुरंत मृत्यु हो गई। जैसा कि बताया जाता है, गांधी के अंतिम शब्द "हे राम" थे।
इस अवसर पर शोधार्थी मधुसूदन चौधरी ने कहा कि - अपनी हत्या से कुछ दिन पहले गांधी ने कहा था, "क्या मुझमें बहादुरों जैसी अहिंसा है? मेरी मृत्यु ही यह दर्शाएगी। अगर कोई मुझे मार डाले और मैं अपने होठों पर हत्यारे के लिए प्रार्थना करते हुए मरूं और मेरे दिल में ईश्वर की याद और उनकी जीवंत उपस्थिति की चेतना हो, तभी कहा जाएगा कि मुझमें बहादुरों जैसी अहिंसा थी।