विद्याभवन में प्रदर्शित  हुई  हजारों वर्ष पूर्व की मानव सभ्यताएं 

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Published on : 02 Feb, 25 06:02

 प्राचीन  सभ्यताओं के  समाज जीवन, नगरीय बसावट, जल प्रबंधन ,  संस्कृति, व्यापार पर  अनोखी प्रदर्शनी का शुभारंभ

विद्याभवन में प्रदर्शित  हुई  हजारों वर्ष पूर्व की मानव सभ्यताएं 

उदयपुर, विद्याभवन  सीनियर सेकेंडरी स्कूल  के  एक  हजार विद्यार्थियों और शिक्षकों ने मिलकर पांच से सात हजार वर्ष पूर्व रही मानव सभ्यताओं का विशद अध्ययन कर 
" प्राचीन विश्व  नगरीय सभ्यताएं" विषयक प्रदर्शनी तैयार की है।

प्रदर्शनी  का उदघाटन शनिवार को राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति प्रो एस एस सारंगदेवोत तथा विद्या भवन के अध्यक्ष डॉ  जितेंद्र कुमार तायलिया ने किया।

प्रदर्शनी के प्रवेश द्वार पर  सिंधु घाटी कालीन लिपि का   चित्रण है।  अभिवादन की मुद्रा में लेटी     ममी   मिश्रकालीन युग में ले जाती है । वहीं सिंधु घाटी सभ्यता कालीन औजार,  पुजारी व  नृत्यकी  की प्रतिमा, मिट्टी के बर्तन  ध्यान खिंचते है । उस काल की नगरीय बसावट, जल प्रबंधन व्यवस्था  तथा खेत व फसलों  के मॉडल   उसी  काल में ले जाते  है।। मुद्राओं व  मोहरों को भी रखा गया है।मोहनजोदड़ो  कालीन नृत्य कला, हड़प्पा  नगर व्यवस्था अचंभित करती है। 

नील नदी को  को खूबसूरती से दिखाया गया  है। मिश्र के पिरामिड बनाए गए हैं। विद्यार्थियों ने मेसोपोटामिया  के मंदिरों का मॉडल बनाया है तथा उस काल की लिपि को मिट्टी पर उकेरा है।   स्टेडियम, आर्किमिडियन स्क्रू , जल लिफ्ट व्यवस्था, झूलते बाग   इत्यादि  भी प्रदर्शित किए गए है। 

विद्यार्थियों ने इन प्राचीन सभ्यताओं के व्यापार, संस्कृति व समाज जीवन की कई महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदर्शनी में लगाई है  । राजस्थान   साहित्य संस्थान ने भी सिंधु कालीन मूल  वस्तुओं को प्रदर्शित किया है।

उदघाटन करते हुए के   प्रो  सारंगदेवोत ने कहा कि हजारों वर्ष पूर्व जिस तरह का नगरीय विकास  मॉडल था,  ग्रामीण जनजीवन रहा, सामाजिक, आर्थिक विकास हुआ , उसी ज्ञान का   उपयोग करते हुए हम वर्तमान में  सुंदर, स्वच्छ, विकास मूलक नगरों  का निर्माण कर  सकते हैं। उन्होंने भारत की सिंधु सभ्यता  का उल्लेख करते हुए कहा कि इतिहास में भारतीय ज्ञान व सभ्यता को वैसा स्थान नहीं मिला जैसा मिलना चाहिए था। अब इतिहास का पुनर्लेखन हो रहा है और उसमें पुनः हमारा वही गौरव स्थापित हो रहा है।  उन्होंने प्रदर्शनी से जुड़े  विद्यार्थियों व शिक्षकों के प्रयासों की सराहना की।

विद्याभवन सोसायटी के अध्यक्ष  डॉ. जितेन्द्र कुमार तायलिया ने कहा कि विद्याभवन विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास तथा उनमें संस्कृति, सभ्यता , नागरिकता तथा उत्कृष्ट जीवन मूल्यों की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध है।वार्षिकोत्सव थीम आधारित प्रदर्शनी उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण सोपान है। 

विद्यालय के प्राचार्य पुष्पराज राणावत ने बताया कि हर दूसरे वर्ष  वार्षिकोत्सव परियोजना के तहत विद्यालय के पहली से बारहवीं तक के विद्यार्थी व शिक्षक किसी एक थीम पर  गहन  अध्ययन करते हुए जानकारियों का दस्तावेजीकरण,  चार्ट, मॉडल व पेंटिंग इत्यादि  बनाते है। थीम के इर्द-गिर्द सांस्कृतिक कार्यक्रमों भी तैयार किए जाते है। इस वर्ष की थीम विश्व की प्राचीन सभ्यताओं पर थी। ढाई सौ - ढाई सौ के चार समूहों में विद्यार्थियों ने  सिंधु घाटी सभ्यता, मिश्र की सभ्यता, मेसोपोटामिया  सभ्यता और ग्रीक सभ्यता (यूनानी सभ्यता)  का एक महीने तक अध्ययन किया। पुरातत्वविदों तथा पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों से मार्गदर्शन लिया। दो फरवरी को थीम आधारित सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी जाएगी।

कार्यक्रम में विद्याभवन सोसायटी के मानद सचिव श गोपाल बम्ब, विद्याबंधु संस्थान अध्यक्षा  पुष्पा शर्मा , प्रो अरुण चतुर्वेदी सहित  विद्याभवन समिति कार्यकारिणी सदस्य  , अभिभावकगण, शिक्षाविद , पुरातत्वविद उपस्थित रहे।


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