जनता को आयकर व महंगाई में राहत देने वाला बजट परंतु उद्योग जगत को पर्याप्त प्रोत्साहन नहीं

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Published on : 01 Feb, 25 15:02

जनता को आयकर व महंगाई में राहत देने वाला बजट परंतु उद्योग जगत को पर्याप्त प्रोत्साहन नहीं


उदयपुर, केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना रिकॉर्ड आठवां बजट प्रस्तुत करते हुए देश को विकासशील से विकसित देश बनाने के लिए बजट में पावर, माइनिंग, शहरी विकास,  वित्तीय क्षेत्रों, विन्यामक सुधार, कर क्षेत्रों पर जोर देते हुए कई योजनाओं एवं बदलाव की घोषणा की है, जो स्वागत योग्य है। यह विचार वरिष्ठ सीए निर्मल सिंघवी ने बजट पर व्यक्त किए।
सिंघवी ने बताया कि राजकोषी घाटा जीडीपी का 4.9 प्रतिशत से घटाकर 4.4 प्रतिशत किराए पर टीडीएस काटने की सीमा 2.4 लाख से बढ़कर 6 लाख करने से छोटे करदाताओं को जिनकी आय, आयकर कटौती की सीमा के अंदर है उन्हें अपनी पूरी किराए राशि प्राप्त होगी, साथ ही नए आयकर प्रावधानों के तहत आयकर की छूट की सीमा 12 लाख तक आय वालों को 100 प्रतिशत प्राप्त होगी ,परंतु अगर आय 12 लाख रुपए से अधिक है तो कर की गणना 4 लाख रूपये से ही होंगी। इन आयकर छूटो का असर अप्रत्यक्ष रूप से असर एफएमसीजी सेक्टर उद्योगो ,ऑटो सेक्टर उद्योगो, रियल स्टेट सेक्टर पर पड़ेगा एवं साथ ही जनता के हाथ में पैसा रहने से उनकी खरीदने की क्षमता बढ़ेगी जो की एक स्वागत योग्य कदम है।
सिंघवी ने बताया कि सरकार द्वारा नए आयकर बिल को अगले सप्ताह में लाने का प्रस्ताव किया गया है जिससे कि आयकर की जटिलताओं को और कम करने का प्रस्ताव भी स्वागत योग्य है। उन्होंने बताया कि अप्रत्यक्ष कर में लिथियम आयरन बैटरीज के उत्पादन में लगने वाले कच्चे माल पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी की छूट से राहत म्ट और बैटरी उत्पादन करने वाली कंपनियों के लिए स्वागत योग्य है एवं साथ ही शिप बनाने वाली कंपनियों बेसिक कस्टम ड्यूटी की छूट को आगे 10 वर्ष और बढ़ाने का प्रस्ताव भी स्वागत योग्य है।
परंतु जहां निर्माण क्षेत्र के उद्योगों उत्पादन क्षेत्र के उद्योगों द्वारा काफी समय से बजट से आशा लगाई जा रही थी एवं साथ ही जनता द्वारा पेट्रोल डीजल की कीमतों में कमी की उम्मीद लगाई जा रही थी वह धूमिल हो गई ।
कुल मिलाकर बजट मिला-जुला है जहां एक तरफ मध्य वर्क को आयकर की छूट प्रदान की गई है, वही उद्योगों को मिलने वाली पूंजीगत सहायता राशि एवं सब्सिडी के रूप में प्रदान की जाने वाली सहायता के संबंध में कोई घोषणा न करना उद्योगों  के विकास की गति धीमा करेगी।


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