किसानों को 'क्रेडिट फैसिलिटी' नहीं बल्कि कर्ज माफी और एमएसपी की गारंटी चाहिए - डॉ संजीव राजपुरोहित

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Published on : 01 Feb, 25 11:02

डबल इंजन की दुहाई देकर राजस्थान की सता में आने के बाद देश बजट में राजस्थान का नाम तक नहीं लिया - कचरू लाल चौधरी

किसानों को 'क्रेडिट फैसिलिटी' नहीं बल्कि कर्ज माफी और एमएसपी की गारंटी चाहिए - डॉ संजीव राजपुरोहित

उदयपुर। केंद्र की मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले पूर्ण बजट पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया देते हुए उदयपुर देहात जिला कांग्रेस अध्यक्ष कचरू लाल चौधरी ने कहा कि डबल इंजन की दुहाई देकर राजस्थान की सता में आने के बाद देश के बजट में राजस्थान का नाम तक नहीं लिया। ये राजस्थान की जनता के साथ विश्वासघात है। केंद्र सरकार का बजट पूरी तरह निराशाजनक है। व्यापारी वर्ग जटिल जीएसटी प्रणाली को लेकर चिंतित रहता था और उसे इस आम बजट से राहत की उम्मीद थी लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने व्यापारी वर्ग को पूरी तरह निराश किया है। व्यापारी वर्ग का देश की अर्थव्यवस्था बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान रहता है लेकिन उस व्यापारी वर्ग को जटिल जीएसटी प्रणाली से राहत नहीं मिली। कुल मिलाकर केंद्र सरकार का यह बजट पूरी तरह निराशाजनक है।
उदयपुर शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष फतह सिंह राठौड़ ने कहा कि देश गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी से बुरी तरह 'त्रस्त' है और मोदी जी के पूंजीपति मित्र 'मस्त' है। केंद्र सरकार ने इस बजट में महंगाई और रोजगार की दिशा में कोई घोषणा नहीं करी। पुरानी पेंशन (ओपीएस) को लेकर निराशाजनक रवैया बरकरार है। ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना बनाने को लेकर कोई घोषणा नहीं करी गई। कुल मिलाकर मध्यम वर्ग से 'मोदी की लूट' निरंतर जारी रहेगी। देश का बजट पूरी तरह निराशाजनक है।
उदयपुर देहात जिला कांग्रेस प्रवक्ता डॉ संजीव राजपुरोहित ने कहा कि आज देश में किसानों की आत्महत्या सबसे बड़ा मुद्दा है। अलग-अलग राज्यों में देश के अन्नदाताओं द्वारा करी जाने वाली आत्महत्याओं की संख्या बढ़ती जा रही है। देश के किसान को एमएसपी की गारंटी चाहिए। उन्हें 'क्रेडिट फैसिलिटी' नहीं, बल्कि कर्जमाफी चाहिए। किसान सरकार से बात करना चाहते हैं। पहले वे दिल्ली के बॉर्डर पर एक साल से ज्यादा तक बैठे रहे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। पेट्रोल-डीजल पर वेट को लेकर भी देश का आमजन इस आम बजट में वेट कम होने की उम्मीद लगाए बैठा था। लेकिन देश के आमजन को इसमें निराशा हाथ लगी है। कुल मिलाकर मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट झूठ और जुमलो का पुलिंदा है।


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