पुणे में आयोजित चेस्ट फिजीशियन के वार्षिक सम्मेलन NAPCON में गीतांजली मेडिकल कॉलेज के चेस्ट विशेषज्ञ, डॉ. ऋषि कुमार शर्मा ने बतौर विशिष्ट वक्ता भाग लिया। उन्होंने अस्थमा के निदान में स्पाइरोमेट्री जांच की आवश्यकता पर जोर दिया।
डॉ. शर्मा ने बताया कि अस्थमा प्रायः बचपन में प्रारंभ होता है और खांसी के रूप में बच्चों को प्रभावित करता है। अतः प्रारंभिक अवस्था में ही इसका निदान आवश्यक है ताकि सही दवाइयाँ समय पर दी जा सकें। इसमें स्पाइरोमेट्री जांच की अहम भूमिका होती है।
इसके अतिरिक्त, डॉ. शर्मा ने हेमोप्टाइसिस (Hemoptysis) के उपचार पद्धतियों पर आधारित सत्र की अध्यक्षता भी की।