बच्चियों की अध्ययन और संगीत में रुचि देखकर प्रो. सिंह भावविभोर हो गए। उन्होंने अनाथ बच्चियों के अभिभावकों की जानकारी लेने का प्रयास किया और कहा कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वे अनाथ बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहयोग करें। उन्होंने आश्रम के संचालकों और कर्मचारियों द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए इसे अनुकरणीय बताया।
प्रो. सिंह वर्षों से अपना जन्मदिवस अनाथालयों, मंदिरों और गरीब बस्तियों में मनाते आ रहे हैं। उनका मानना है कि अनाथ बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए शिक्षा और संस्कार आवश्यक हैं। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि विभिन्न आश्रमों के बच्चे चिकित्सा, इंजीनियरिंग और प्रशासनिक सेवाओं में उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं।
उन्होंने राजस्थान के एक अनाथालय की विशेष प्रशंसा की, जहाँ के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर विभिन्न प्रतिष्ठित पदों पर कार्यरत हैं। इस अवसर पर उन्होंने घोषणा की कि विक्रांत विश्वविद्यालय अनाथ बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करेगा।
विश्वविद्यालय के वार्षिक उत्सव (5 से 15 फरवरी) में अनाथालय के बच्चों को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है, ताकि वे विश्वविद्यालय के शैक्षणिक वातावरण से परिचित हो सकें।
कार्यक्रम के दौरान सरकार द्वारा अनाथालयों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी गई। प्रो. सिंह ने इन योजनाओं की भूरि-भूरि प्रशंसा की और इसे एक सराहनीय पहल बताया।
इस कार्यक्रम में वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. बी. नारायण, भारत भूषण तिवारी (मुख्य प्रबंधक), श्री एन. के. गोयल और डॉ. पीयूष पाठक उपस्थित रहे। डॉ. बी. नारायण ने घोषणा की कि यदि कोई अनाथ बच्चा विधि (लॉ) की पढ़ाई करना चाहता है, तो विश्वविद्यालय उसे निःशुल्क शिक्षा देगा और उसे कुशल वकील या न्यायाधीश बनने की प्रेरणा देगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि एक दिन इस आश्रम से अवश्य ही कोई बच्चा न्यायाधीश बनेगा।
कार्यक्रम का समापन आश्रम की बच्चियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना और समाज से उनके उत्थान में सहयोग की अपील के साथ हुआ।