उदयपुर, अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तहत ’पशुपालन के लिए मशीनीकरण’ विषयक 24वीं वार्षिक राष्ट्रीय कार्यशाला मंगलवार को अनुसंधान निदेशालय सभागार में आरंभ हुई। इस कार्यशाला में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली सहित देश भर के सौ से अधिक कृषि वैज्ञानिक, अभियंता और अनुसंधानकर्ता भाग ले रहे हैं। कार्यशाला का आयोजन महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा है।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में आयुक्त पशुपालन, भारत सरकार, डॉ. अभिजीत मित्रा ने कृषि-पशुपालन के विभिन्न क्षेत्रों में मशीनीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि डेयरी और पोल्ट्री के क्षेत्रों में मशीनीकरण को बढ़ावा देना आवश्यक है। डॉ. मित्रा ने यह भी बताया कि 70 फीसदी महिलाएं पशुपालन में कार्यरत हैं और मशीनीकरण से मानव श्रम की बचत हो सकती है।
आईसीएआर के उपमहानिदेशक डॉ. एस.एन. झा ने कहा कि दुनिया के विकास की गति काफी तेज है और केवल ज्ञान के बल पर हम इससे मुकाबला कर सकते हैं।
कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने जल, जंगल, जमीन के संदर्भ में सभी जीवों के अधिकार की बात करते हुए कहा कि प्रकृति की देन को मनुष्य ने अपनी बपौती समझ लिया है, जो गलत है।
कार्यशाला में विभिन्न अनुसंधान संस्थानों के प्रतिनिधि और विशेषज्ञ उपस्थित रहे। इस दौरान आधुनिक पशुपालन एवं प्रबंधन पर पुस्तक और पेम्फलेट का विमोचन भी किया गया।