पीकेसी ईआरसीपी परियोजना का नाम बदलना राजस्थान और मध्य प्रदेश के पहले अक्षर का संयोजन या राम मन्दिर की वर्षगांठ से जुड़ा संयोग?

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Published on : 25 Jan, 25 04:01

पीकेसी ईआरसीपी परियोजना का नाम बदलना राजस्थान और मध्य प्रदेश के पहले अक्षर का संयोजन या राम मन्दिर की वर्षगांठ से जुड़ा संयोग?

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

राजस्थान सरकार ने हाल ही पीकेसी ईआरसीपी  परियोजना का नाम बदल दिया है। इस  महत्वाकांक्षी परियोजना  का नाम रामजल सेतु परियोजना यानी पीकेसी लिंक परियोजना को अब रामजल सेतु परियोजना के नाम से जाना जाएगा।

राजस्थान की भजन लाल सरकार ने  परियोजना का नाम बदलने के लिए 22 जनवरी का समय चुना। यह दिन अयोद्धा में बने भव्य राममंदिर की स्थापना की पहली वर्षगांठ था। ठीक एक साल पहले 22 जनवरी 2024 को ही अयोध्या में श्रीराम मंदिर की स्थापना और रामलला की नयनाभिरामी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा  हुई थी।

इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश के तमाम संत महात्मा, जनप्रतिनिधि और विभिन्न क्षेत्रों की बड़ी हस्तियां मौजूद रही थी। इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह के एक साल पूरा होने पर राजस्थान की सबसे बड़ी जल परियोजना का नाम बदलकर भगवान श्री राम के नाम पर कर दिया गया है ।

 

 

राजस्थान के सतरह जिलों को जल उपलब्ध कराने वाली इस परियोजना का नाम बदलने के बाद कांग्रेस के नेताओं ने सवाल भी उठाए और  कहा है कि एक ओर राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच हुए एमओयू को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर इस महत्वपूर्ण परियोजना का नाम बदल कर भाजपा लोगों का ध्यान भटका रही हैं और जन भावनाओं के साथ खेला जा रहा हैं। इसके जवाब में सत्ता पक्ष भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने नाम बदलने के पीछे जो लॉजिक बताया है वह दिलचस्प हैं। सत्ता पक्ष के नेताओं का कहना है कि दो प्रदेशों की इस सांझा परियोजना में राजस्थान से 'रा' और मध्यप्रदेश से 'म' शब्द लिया गया है। दोनों को मिलाने से राम शब्द बना हैं। चूंकि यह योजना दोनों राज्यों से जुड़ी जल परियोजना है। ऐसे में इस योजना का नाम राम जल सेतु रखा गया है लेकिन कांग्रेस के नेता इसे नामों का संयोग नहीं बता राम मंदिर की स्थापना की वर्षगांठ से जोड़ रहे हैं।

 

राजस्थान और मध्यप्रदेश से जुड़ी इस जल परियोजना का शुभारंभ  जयपुर के सांगानेर में आयोजित मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की भाजपा सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल पूरा होने पर 17 दिसंबर 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था । राज्य सरकार के एक साल का कार्यकाल पूरा होने के उपलक्ष में जयपुर में  आयोजित इस समारोह में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मावके साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी मौजूद रहें थे। पानी के मटकों को राजस्थान और मध्य प्रदेश का प्रतीक बनाकर प्रधानमंत्री मोदी ने एक मटके का जल दूसरे मटके में भर परियोजना का शुभारंभ करने का नवाचार किया था। साथ ही कहा था कि  दोनों राज्यों के जल को मिलाकर अब यह नई जल परियोजना करोड़ों लोगों और राजस्थान की प्यासी भूमि की प्यास बुझाएगी। हालांकि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इस महती परियोजना का अभी तक सार्वजनिक ढंग से खुलासा नहीं होने से लगता हैं कि कहीं यह मटके खाली तो नहीं है? 

 

रामजल सेतु परियोजना से राजस्थान के 17 जिले लाभान्वित होने वाले हैं। इन 17 जिलों में  प्रतापगढ़, कोटा, बारां, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, डीग, खैरथल तिजारा, कोटपूतली बहरोड़, जयपुर, अजमेर और ब्यावर हैं। इन 17 जिलों की 3.25 करोड़ की आबादी को शुद्ध पेयजल मिलेगा। साथ ही 25 लाख किसानों की आय बढ़ाने के लिए लगभग 4 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई के लिए भी पानी मिलेगा। यह परियोजना पूर्वी राजस्थान के चहुंमुखी विकास के लिए एक वरदान साबित होने वाली है। इस परियोजना में बनास, मोरेल, बाणगंगा, रूपारेल, पार्वती, गंभीर, साबी जैसी नदियों को पुनर्जीवित करके जल का पुनर्भरण किया जाएगा।

 

उल्लेखनीय है कि वसुंधरा राजे के दूसरे कार्यकाल में अवधारित इस महत्वाकांक्षी परियोजना को कांग्रेस की अशोक गहलोत ने भी आगे बढ़ाया और इसे राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित करने की पुरजोर मांग भी रखी गई लेकिन इस परियोजना के शुरू होने से पहले ही इस पर जबरदस्त राजनीति हुई तथा तत्कालीन केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत द्वारा मध्य प्रदेश को भरोसे में लिए बिना इस दोष पूर्ण परियोजना का एक तरफा कार्य शुरू करने पर गहलोत सरकार की कड़ी आलोचना भी की।इस मसले को लेकर गहलोत और शेखावत के मध्य लंबा वाक युद्ध चला। गहलोत अभी भी  संशोधित पीकेसी ईआरसीपी परियोजना के लिए मध्य प्रदेश और भारत सरकार के मध्य हुए करार को सार्वजनिक नहीं  किए जाने को लेकर हमलावर हैं।

इधर मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा का कहना है कि यह महती परियोजना न केवल समुद्र ने व्यर्थ बह कर जाने वाले पानी का सदुपयोग करने अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में नदियों को जोड़ने की संकल्पना को पूरी करेंगी वरन पूर्वी राजस्थान की जीवन रेखा साबित होंगी। देखना है  यह महत्वपूर्ण परियोजना कब तक मूर्त रूप लेकर  पूर्वी राजस्थान की गंगा बनेगी और मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को प्रदेश का एक ओर भागीरथ बनाएंगी?


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