स्मार्ट सिटी परियोजना के झीलों को सिवरेज मुक्त रखने के दावों के बावजूद, उदयपुर की झीलों में लगातार सिवरेज का प्रवाह हो रहा है, जो जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है।
रविवार को झील निरीक्षण के दौरान कार्यकर्ताओं ने अंबामाता सामुदायिक भवन के पास भारी मात्रा में सिवरेज झील में गिरते हुए देखा।
झील संरक्षण समिति के विशेषज्ञ डॉ. अनिल मेहता ने कहा कि स्मार्ट सिटी के लिए प्राथमिक जिम्मेदारी सुरक्षित सेनिटेशन सुनिश्चित करना और स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना है। लेकिन अफसोस है कि ये महत्वपूर्ण आवश्यकताएं अब तक पूरी नहीं हो पाई हैं।
झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने बताया कि यह समस्या कई महीनों से बनी हुई है, और जिम्मेदार अधिकारियों को बार-बार ध्यान दिलाने के बावजूद कोई समाधान नहीं हुआ है।
गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने चेतावनी दी कि झील में सिवरेज का प्रवाह पर्यावरण और पेयजल गुणवत्ता को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा रहा है। मल-मूत्र के साथ प्लास्टिक और अन्य कचरा झील में पहुंच रहा है।
युवा पर्यावरणविद कुशल रावल ने कहा कि सिवरेज के ओवरफ्लो और सड़कों पर जमाव से भूजल भी प्रदूषित हो रहा है। पास की बावड़ी का पानी सड़ चुका है और घरों के ट्यूबवेल का पानी भी दूषित हो गया है।
वरिष्ठ नागरिक द्रुपद सिंह और पल्लब दत्ता ने झील विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और जिला कलेक्टर से अपील की है कि एक विशेष टास्क फोर्स का गठन कर नियमित रूप से सिवरेज प्रणाली का निरीक्षण और रखरखाव सुनिश्चित किया जाए।