मकर संक्रांति के पावन अवसर पर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के खेल मैदान पर पारंपरिक खेल प्रतियोगिताओं का शुभारंभ कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने सितोलिया खेलकर किया। इस दौरान उन्होंने भारतीय संस्कृति और पारंपरिक खेलों के महत्व को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया।
कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने कहा, "मकर संक्रांति का पर्व हमारे जीवन में नई ऊर्जा, शांति और सकारात्मकता लाने का संदेश देता है। यह पर्व वैदिक संस्कृति के शाश्वत संदेश 'तमसो मा ज्योतिर्गमय' को साकार करता है, जो अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है।"
उन्होंने युवाओं और कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे पारंपरिक खेलों को अपनाएं और उनके संरक्षण में योगदान दें। उन्होंने कहा, "आज युवापीढ़ी मोबाइल और किताबों में उलझने के कारण खेलों से दूरी बना रही है, लेकिन हमारे तीज-त्योहार और खेल न केवल मनोरंजन के साधन हैं, बल्कि वे सामाजिक, मानसिक और शारीरिक विकास के महत्वपूर्ण स्तंभ भी हैं। मकर संक्रांति जैसे पर्व इन मूल्यों को सुदृढ़ करने का माध्यम बनते हैं।"
कार्यक्रम में अकादमिक और गैर-अकादमिक कार्यकर्ताओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। क्रिकेट, टेबल टेनिस, रस्साकशी और सितोलिया जैसे खेल खेले गए। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग ने बताया कि विजयी प्रतिभागियों को वार्षिकोत्सव समारोह में पुरस्कृत किया जाएगा।
इस आयोजन में डॉ. रचना राठौड़, डॉ. बलिदान जैन, डॉ. सुनीता मूर्डिया, डॉ. अमित दवे, डॉ. हरीश मेनारिया, डॉ. हरीश चौबीसा और डॉ. रोहित कुमावत सहित कई कार्यकर्ताओं ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. हरीश चौबीसा ने किया और आभार प्रदर्शन डॉ. रचना राठौड़ ने किया।