जीवन में सफलता के लिए खुद पर काम करें

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Published on : 08 Jan, 25 06:01

जीवन में सफलता के लिए खुद पर काम करें

"आप ही हैं अपने मददगार"

  • अतुल मलिकराम (लेखक और राजनीतिक रणनीतिकार)

खुद में वो बदलाव लाएं जिसकी अपेक्षा आप दूसरों से कर रहे हैं….

जीवन एक अनोखी पाठशाला है, जहाँ हर दिन कुछ नया सीखने का अवसर मिलता है। यह पाठशाला समय-समय पर परीक्षाएं लेती है और आपकी मेहनत के अनुसार परिणाम देती है। एक सामान्य स्कूल में, पढ़ाई के दौरान आपको कई लोग मिलते हैं, जो आपकी शैक्षणिक यात्रा के साथी बनते हैं। जब किसी सवाल को समझ नहीं पाते, तो शिक्षक से मदद ली जाती है, और दोस्तों की मदद से परीक्षा में सफलता पाई जाती है। इस तरह, साथियों और शिक्षकों की मदद से शैक्षणिक यात्रा सहज हो जाती है।

लेकिन जीवन की पाठशाला में यह नियम थोड़ा अलग होते हैं। यहाँ आपके साथी केवल आप ही होते हैं। इसका मतलब यह है कि जीवन में सफलता या असफलता आपके खुद के निर्णयों और मेहनत पर निर्भर करती है।

इंसान एक सामाजिक प्राणी है और बचपन से हम किसी न किसी पर निर्भर रहते हैं। माता-पिता, शिक्षक, दोस्त, और जीवनसाथी की मदद से हम आगे बढ़ते हैं। परंतु जब सफलता की बात आती है, तो हम जाने-अनजाने में दूसरों और परिस्थितियों को दोष देने लगते हैं। उदाहरण के लिए, परीक्षा में कम अंक आए तो शिक्षक को दोष देते हैं, नौकरी नहीं मिली तो कॉलेज को जिम्मेदार ठहराते हैं, और यदि कहीं दोष नहीं मिलता, तो किस्मत को दोषी मान लेते हैं। यह संकीर्ण सोच हमें मानसिक रूप से कमजोर बना देती है, और हम अपनी असफलताओं का कारण दूसरों में ढूंढने लगते हैं।

लेकिन क्या हमेशा परिस्थितियाँ और दूसरों को दोषी ठहराना सही है? क्या हम कभी अपनी स्थिति का जिम्मेदार नहीं होते? अपने जीवन का मूल्यांकन कीजिये, आपने भी कभी दोष दूसरों पर डाला होगा। भले ही उस समय आपको राहत मिली हो, लेकिन क्या उससे किसी और को कुछ फायदा हुआ? नहीं, इससे सिर्फ आपने अपना नुकसान किया।

सच्चाई यह है कि सफल लोग कम होते हैं क्योंकि वे खुद पर काम नहीं करते। यदि आप सफल होना चाहते हैं, तो यह केवल आप ही हैं जो अपनी मदद कर सकते हैं। सफलता के लिए निरंतर खुद पर काम करना जरूरी है। इसके लिए सबसे पहली बात यह है कि अपनी हर परिस्थिति की जिम्मेदारी खुद लें, अपना आकलन करें और अपनी कमियों को पहचानकर उन्हें सुधारने का प्रयास करें।

जिन महान व्यक्तियों ने सफलता पाई है, वे भी सामान्य लोग थे। अंतर बस इतना है कि उन्होंने अपनी कमियों पर काम किया और उन्हें अपनी ताकत बना लिया। वे दृढ़ निश्चयी थे और उन्होंने ठान लिया कि वे अपनी राह खुद बनाएंगे और कभी खुद का साथ नहीं छोड़ेंगे।

याद रखिए, जब तक आप खुद के बारे में गंभीर नहीं होंगे, तब तक कोई भी आपकी मदद नहीं कर सकता।


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