देश के विभिन्न राज्यों में, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां लोक संस्कृति जीवित रहती है, वहां फसल कटाई के बाद लोक नृत्य, स्वादिष्ट व्यंजन और नई पोशाक पहनने की परंपरा होती है। गुरुवार को पश्चिम क्षेत्र संस्कृति केंद्र, उदयपुर के 'शिल्पग्राम महोत्सव' में मुक्ताकाशी मंच पर असम के बिहू डांस और हरियाणवी घूमर नृत्य ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके अलावा, गुजरात के राठवा और ओडिशा के गोटीपुआ नृत्य में एक्रोबेटिक करतबों का शानदार मिश्रण भी देखने को मिला।
कार्यक्रम की शुरुआत नगाड़ा वादन, गरासिया डांस, पुरुलिया छाऊ नृत्य, मांगणियार गायन और मारवाड़ी सफेद आंगी गेर से हुई, जिसने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। सफेद आंगी गेर में चंग की धुन और गेरियों का नृत्य दर्शकों को होली पर बच्चों की ढूंढ की याद दिला गया। यह गेर बच्चों की पहली होली पर की जाती है।