सुकून मिशन: एक दशक की प्रेरणादायक यात्रा"

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Published on : 25 Dec, 24 06:12

सुकून मिशन: एक दशक की प्रेरणादायक यात्रा"

उदयपुर – आजकल की जीवनशैली ने हमें इतना उपभोगवादी बना दिया है कि हमारी जरूरतें निरंतर बढ़ती जा रही हैं। अनावश्यक खरीदी से मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलता है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि हो रही है, जो पर्यावरण और मानवता के लिए खतरनाक है।

लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि हमारे पास जो अतिरिक्त या अनुपयोगी सामान है, वह किसी और के लिए उपयोगी हो सकता है? क्या वह किसी अन्य को खुशी दे सकता है?

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यही विचार था, जिसे लेकर सम्पत बापना ने 2014 में "सुकून" नामक अनोखा मिशन शुरू किया। "सुकून" एक ऐसा मंच है, जो लोगों को उनके अनुपयोगी सामान को जरूरतमंदों तक पहुँचाने का अवसर प्रदान करता है।

"सुकून" एक ऐसा शोरूम है, जहां आप अपने घर, दुकान या ऑफिस में पड़े किसी भी उपयोगी सामान को दान कर सकते हैं। ये सामान फिर जरूरतमंदों को निःशुल्क उपलब्ध कराया जाता है। 2014 में फतेहपुरा में शुरू हुआ यह शोरूम अब शोभागपुरा में एक भव्य बहुमंजिला शोरूम में बदलने जा रहा है, जो इस क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा शोरूम होगा।

लोगों द्वारा दान किए गए सामान "सुकून शोरूम" में सजाकर रखे जाते हैं। शहर और गाँवों से लोग यहाँ आते हैं, अपनी जरूरत बताते हैं और यह सामान उन्हें निःशुल्क प्रदान किया जाता है। दान किए गए सामान से किसी व्यक्ति, संस्था, संगठन या जरूरतमंद की जरूरत पूरी होती है। अगर किसी को कोई सामान पसंद आता है, तो वह उसे बिना किसी शुल्क के ले सकता है।

"सुकून" शोरूम में दवाइयाँ और पैसे किसी से भी नहीं लिए जाते। सभी खर्चों का वहन फाउंडर सम्पत बापना अपनी जेब से करते हैं और यह सामाजिक सेवा का आंदोलन चला रहे हैं। इनके पास कोई रसीद बुक या बिल बुक नहीं है, और "सुकून" के नाम से कोई बैंक खाता भी नहीं है। "सुकून" कोई संस्था, एनजीओ, फाउंडेशन, सोसाइटी या ट्रस्ट नहीं है, बल्कि यह एक देशव्यापी मिशन है। वे किसी से भी रूपया या पैसा स्वीकार नहीं करते। इस कार्य में लगभग 150 स्वयंसेवक सेवा दे रहे हैं, जो अपनी स्वेच्छा से निःशुल्क सेवाएँ प्रदान करते हैं।

आप कपड़े, किताबें, जैकेट, जूते, मोजे, कोट, पैंट, साड़ियाँ, खेल सामग्री, खिलौने, परीक्षा नोट्स, खाली कागज, स्टील बर्तन, बल्ब, घड़ी, क्रॉकरी, चश्मे, कृत्रिम आभूषण, बच्चों का झुला, वाकर, पुराना वाहन, साइकिल, टीवी, सॉफ्ट टायर्स, सिलाई मशीन, तस्वीरें, म्यूज़िकल इंस्ट्रूमेंट्स, म्यूज़िक सिस्टम, फिटनेस उपकरण, गैस चूल्हा, केरम, शतरंज, बाल, हाकी स्टिक, स्केटिंग शूज़, गिफ्ट आर्टिकल, प्रेस, क्रिकेट बैट, चार्जर, मोबाइल फोन, कंप्यूटर, प्रिंटर, पेन ड्राइव, सीडी, डीवीडी, कूलर, फ्रिज, ट्यूबलाइट, हीटर, गीजर, फर्नीचर, अलमारी, प्लाईवुड, दरवाजे, खिड़कियाँ, बेडशीट, कंबल, रजाई, बिस्तर, दरी, मैगज़ीन, धार्मिक किताबें, स्टेशनरी, डायरेक्ट्री, नोटबुक, हस्तशिल्प, सैनिटरी या हार्डवेयर सामान, पानी की बोतल, नली, बागवानी का सामान, औजार, मशीनरी, वाटर पंप आदि किसी भी उपयोगी सामान को दान कर सकते हैं।

"ग्लोबल वार्मिंग: बढ़ती चुनौती में 'सुकून' बन रहा है आशा की किरण"

वर्तमान समय में ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी पर सबसे बड़ी समस्याओं में से एक बन गई है। कार्बन उत्सर्जन, जो मुख्य रूप से चीन, अमेरिका, भारत, रूस और जापान जैसे देशों में अधिक होता है, अब अत्यधिक स्तर तक पहुँच चुका है। वैश्विक कार्बन उत्सर्जन लगभग 40 बिलियन मीट्रिक टन तक पहुँच गया है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। शोध में यह भी कहा गया है कि सूर्य का योगदान भी जलवायु के गर्म होने में है।

इसके अलावा, हर साल लगभग 10 मिलियन हेक्टेयर वन नष्ट हो रहे हैं, जो पर्यावरण असंतुलन का प्रमुख कारण है। अनुमान के अनुसार, लगभग 60-70% कार्बन उत्सर्जन मानव जनित गतिविधियों के कारण हो रहा है, जो जलवायु परिवर्तन और कार्बन उत्सर्जन के प्रमुख कारण हैं।

पृथ्वी का औसत तापमान लगभग 1.2 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है, और यह आने वाले दशकों में 1.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच सकता है। इसके परिणामस्वरूप, 70% समुद्री प्रजातियाँ संकट में पड़ सकती हैं और 10,000 से अधिक प्रकार के जीव और पौधे हमेशा के लिए नष्ट हो सकते हैं।

तापमान वृद्धि के कारण, अंटार्कटिका में स्थित विशालकाय ग्लेशियर, जो आकार में एक शहर जितने बड़े हैं, पिघलने लगे हैं। इसके परिणामस्वरूप समुद्र स्तर में वृद्धि हो रही है, जिससे आने वाले दशकों में समुद्र तटों के पास बसे देशों और राज्यों को गंभीर समस्याएँ हो सकती हैं। जलमग्न होने का खतरा बढ़ रहा है।

यह परिवर्तन पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलन और प्राकृतिक आपदाओं की वृद्धि का एक बड़ा संकेत है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण हमारा ग्रह एक गंभीर खतरे का सामना कर रहा है। इसके प्रभावों को कम करने के लिए तत्काल कार्रवाई करना जरूरी है ताकि हम अपने ग्रह को बचा सकें और आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित कर सकें।

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को कम करने के लिए, हमें अपनी दैनिक आदतों में बदलाव लाने की आवश्यकता है। हमें पौधारोपण, जल संरक्षण और ऊर्जा बचत की दिशा में कदम उठाने होंगे। साथ ही, प्लास्टिक के उपयोग को कम करना और पुनः उपयोग और रिसाइक्लिंग को बढ़ावा देना भी आवश्यक है।

हमें प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और उनकी रक्षा के लिए गंभीरता से सोचना चाहिए, ताकि हम भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और हरी-भरी पृथ्वी छोड़ सकें। दुनिया भर के लोगों को ग्लोबल वार्मिंग के खतरनाक प्रभावों को पर्यावरण को नष्ट करने से रोकने के लिए अपनी आदतों को बदलने की जरूरत है। हमें हर बार नया सामान खरीदने की आदत को बदलना होगा और रिसाइक्लिंग की ओर बढ़ना होगा। तभी हम मैन्युफैक्चरिंग से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम कर पाएंगे।

रिसाइक्लिंग की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने के लिए, 2014 में सम्पत बापना ने "सुकून" सोशल सेवा परियोजना की शुरुआत उदयपुर से की।


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