शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी मंच पर आयोजित एक रंगीन सांस्कृतिक संध्या में विविध फोक डांसों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। राजस्थानी गुर्जर समुदाय के चरी डांस में सिर पर जलती आग वाली चरी लिए नृत्यांगनाओं ने दर्शकों को रोमांचित किया। वहीं, गुजराती आदिवासी डांस राठवा और हिमाचल प्रदेश के सिरमौरी नाटी ने भी दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
कर्नाटक के देवी उपासना नृत्य पूजा कुनिथा ने भक्तिरस से माहौल को सराबोर किया, जबकि कश्मीर के लोक नृत्य रौफ में डांसर्स का समन्वय और 'बुमरो बुमरो' गीत पर दर्शकों ने खूब आनंद लिया। गुजरात के तलवार रास और मणिपुरी लाई हारोबा डांस ने देश की आजादी की कुर्बानियों को और संस्कृति की समृद्धता को दर्शाया, वहीं उत्तर प्रदेश के ढेडिया डांस और भवाई नृत्य के रोमांचक करतबों ने भी दर्शकों को खूब लुभाया। आदिवासी सहरिया स्वांग और पंजाबी लुड्डी ने भी अपनी छाप छोड़ी, और पश्चिम बंगाल का पुरुलिया छाऊ लोक नृत्य कला प्रेमियों का दिल जीतने में सफल रहा।