पुस्तक के प्रकाशन और विमोचन के पश्चात् जब साहित्य प्रेमी और पाठकों को उसे भेंट किया जाता है तो पुस्तक और उसमें समाहित विषय वस्तु की यात्रा अपनी आभा के साथ आगे बढ़ती है।
इन्हीं सन्दर्भों के साथ आज सोमवार 23 दिसम्बर 2024 को दिन में सवा बारह बजे वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार तथा राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के पूर्व संयुक्त निदेशक डॉ. प्रभात कुमार सिंघल घर पधारे और अपनी पुस्तक " कोटा : एक विहंगम दृष्टि " भेंट की।
अख्तर खान ' अकेला ' और डॉ. प्रभात कुमार सिंघल लेखक द्वय द्वारा लिखित यह पुस्तक कोटा और उसके समूचे परिदृश्य को सामने लाती है और सूचनात्मक रूप से उभारती है।
बहुत कम होता है ऐसा कि जब किसी शहर विशेष में उसके कर्म, कौशल, कीर्ति के सन्दर्भ में महोत्सव मनाया जा रहा हो और उसी शहर से सम्बन्धित पुस्तक आपको भेंट मिले। यह प्रसंग आज साकार हुआ जब " कोटा : एक विहंगम दृष्टि " भेंट में मिली और आज ही से "कोटा महोत्सव " का आयोजन 23 से 25 दिसम्बर 2024 तक शहर के विभिन्न ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्थलों पर किया जा रहा है।
यह भी बहुत कम होता है कि लेखक पाठक को विमोचित कृति ही भेंट कर पुस्तक और पाठक के मध्य के सेतु को सुदृढ़ रखे। डॉ. प्रभात कुमार सिंघल साहब ने ऐसा ही किया और 23 अप्रैल 2019 को विमोचित तथा विमोचनकर्ता आदरणीय शान्ति धारीवाल जी, आदरणीय नरेश विजयवर्गीय और श्री डॉ. दीपक श्रीवास्तव द्वारा हस्ताक्षरित प्रति आज भेंट की। यह भी संयोग रहा कि विमोचन और भेंट की तारीख 23 समान रही।
डेल्टन पब्लिशिंग हाऊस, कमल विहार, दिल्ली से वर्ष 2019 में प्रकाशित इस कृति में कोटा की तब तक की सम्पूर्ण जानकारी शोधात्मक और सूचनात्मक रूप से दी गई है जो पाठकों और प्रतियोगी परीक्षाओं के विद्यार्थियों के उपयोगी है।
आरम्भ में कोटा के "सामान्य परिचय" के अन्तर्गत नामकरण, भौगोलिक, प्राकृतिक स्थिति, धरातल, पठार एवं समतल, नदियाँ और जल स्रोत, भू - गर्भ विषयक जानकारी, खनिज सम्पदा, वन, वनस्पति एवं वन्य जीव, जलवायु, जनसंख्या के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी है।
"इतिहास" में कोटा इसकी स्थापना और उत्तरोत्तर विकसित व्यवस्था तथा स्वतंत्रता आंदोलन में कोटा का योगदान विषय पर सारगर्भित और तथ्यात्मक विवरण दिया है। वहीं "प्रशासनिक व्यवस्था" में कोटा के सामान्य प्रशासन, पुलिस प्रशासन, जेल प्रशासन, न्यायिक प्रशासन के साथ केन्द्रीय सरकार के भीकार्यालय तथा अन्य विभागों अतिरिक्त स्थानीय निकायों की जानकारी से यहाँ के प्रशासनिक सन्दर्भों को उजागर किया है तो "परकोटे से बाहर आया कोटा" में नये कोटा के विकास और विस्तार पर सारगर्भित विश्लेषण कर जानकारी दी गई है।
"विकास का परिदृश्य" के अन्तर्गत कोचिंग हब, उद्योग, पावर हब, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, पेयजल, कृषि एवं सिंचाई, सूचना एवं प्रौद्योगिकी, संचार एवं यातायात, शिक्षा का परिदृश्य, पुस्तकालय, कल्याण सेवाएं, युवा कल्याण, सैनिक कल्याण तथा लोक कल्याण संस्थाएं को उनके कार्य और उद्देश्यों के साथ विस्तार दिया है। वहीं "सामाजिक जनजीवन" में यहाँ की विभिन्न जातियों, शास्त्रोक्त विधियाँ, खेल और मनोरंजन, साज - सज्जा, वेश - भूषा, भोजन तथा सामाजिक परिवर्तन को दर्शाया गया है।
"धर्म एवं आध्यात्म" के अन्तर्गत यहाँ के प्रमुख धार्मिक स्थल और धार्मिक संस्थाओं की जानकारी दी गई है। "कला एवं संस्कृति" के अन्तर्गत लोक गाथा, लोक नाट्य, शैल चित्र, भित्ति चित्र और उनकी तकनीक, पर्व और उत्सव, हस्त शिल्प कला, मूर्तिकला, जैन पुरा सम्पदा और सहारिया संस्कृति के बारे में सूक्ष्मता से विवरण देकर उनकी विशेषता को बताया गया है। "पर्यटन" के अन्तर्गत कोटा के साथ बून्दी, झालावाड और बाराँ प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में बताया है।
"प्रचार-माध्यम" में यहाँ की पत्रकारिता, समाचार पत्र - पत्रिकाएँ, सरकारी प्रचार माध्यम की सार्थक जानकारी है। "राजनैतिक परिदृश्य" में विधानसभा और लोकसभा चुनाव से संदर्भित जानकारी और क्षेत्र का विवरण है।
कुल मिलाकर यह पुस्तक कोटा और उसके साथ सम्पूर्ण हाड़ौती अंचल की संस्कृति और विकास के पहलुओं को उभारती हुई सारगर्भित जानकारी प्रदान कर इस क्षेत्र विशेष को जानने और समझाने की पहल करती है। यह शोधार्थियों को दिशा और प्रतियोगी परीक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी जानकारी प्रदान करती है।