उदयपुर। विद्या भवन गो. से. शिक्षक महाविद्यालय में शिक्षा में गुणात्मक अनुसंधान विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला प्रारंभ हुई। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि शिक्षाविद् प्रो. एम.पी. शर्मा ने कहा कि समस्याओं को दूर करने और समस्याएं नहीं है तो नयापन लाने के लिए अनुसंधान करना होता है। जो नवाचार करता है वही आगे बढ़ता है। उन्होंने कहा कि हमारे शोध और नया चिंतन स्कूलों अध्यापकों और अभिभावकों तक पहुंचना चाहिए। प्रो. शर्मा ने कहा कि अनुसंधान में गुणवत्ता तभी आएगी जब हम उस पर ईमानदारी से काम करेंगे। विशिष्ट अतिथि शिक्षाविद् प्रो. दिव्य प्रभा नागर ने कहा कि हमारे शोध खानापूर्ति ना बनें इसका विशेष प्रयास करना चाहिए। शोधार्थी जब तक शोध की मानसिकता बनाकर नहीं जुड़ेगा तब तक शोध की सार्थकता नहीं होगी। हमारे शोध केवल उपाधि के लिए ना होकर शैक्षिक उन्नयन के उद्देश्य से किए जाए यह अधिक महत्वपूर्ण है। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. फरजाना इरफान ने बताया कि पहले दिन प्रथम सत्र में प्रो. पीसी जैन ने शोध में गुणात्मक अनुसंधान एवं विभिन्न विधियों पर अंतःक्रिया पर चर्चा करते हुए सामाजिक अनुसंधान को विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से समझाया। दूसरे सत्र में प्रो. संजय लोढ़ा ने शोध में आंकड़ों और सूचनाओं को एकत्र करने के बारे में प्रश्नावली के माध्यम से चर्चा की। तीसरे सत्र में प्रो. एस.के. कटारिया ने केस अध्ययन विधि पर चर्चा की।
प्रारंभ में महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. फरजाना इरफान ने अतिथियों का स्वागत किया और इस कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। कार्यशाला समन्वयक डॉ. अख्तर बानो ने आधार पत्र पढ़ा। संचालन डॉ. संतोष उपाध्याय ने दिया। कार्यशाला में 70 शोधार्थी एम.एड. के विद्यार्थी एवं रिसर्च गाईड भाग ले रहे हैं।