कांग्रेस के माथे से इमरजेंसी का पाप नहीं धुलेगा

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Published on : 15 Dec, 24 12:12

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

कांग्रेस के माथे से इमरजेंसी का पाप नहीं धुलेगा

संविधान लागू होने के अमृत वर्ष के उपलक्ष्य में संसद में भारत के संविधान की ‘75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा' पर लोकसभा में दो दिनों तक चली चर्चा में प्रतिपक्ष के बाउंसर हमलों का सामना करने के लिए भाजपानीत एनडीए की तरफ से केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ओपनर की भूमिका निभाई और बाद में पूर्व केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने ताबड़तोड़ तरीके में प्रतिपक्ष के हमलों का करारा जवाब दिया। वहीं संविधान पर हुई बहस का अपनी स्टाईल में शेर की तरह दहाड़ लगाते देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऐसी शानदार पारी खेली कि संसद की पीच पर उन्होंने कोई ऐसा क्षेत्र नहीं छोड़ा जिसका करारा जवाब उनके मुंह से नहीं निकला हो।

संविधान स्वीकार किए जाने के 75 साल पूरे होने के मौके़ पर शुक्रवार और शनिवार को संविधान पर बहस हुई जिसमें पक्ष प्रतिपक्ष के चुनिंदा नेताओं ने भाग लिया।

शनिवार को लोकसभा में संविधान पर हुई बहस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर जम कर प्रहार किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में संविधान पर चर्चा का जवाब देते हुए नेहरू गांधी परिवार का नाम लिए बिना कहा कि कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को जितनी चोट पहुंचाई उतनी ओर किसी ने नहीं पहुंचाई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के एक परिवार ने 55 साल राज किया। इस परिवार ने आपातकाल लगा कर संविधान को चुनौती दी। अभिव्यक्ति की आजादी पर कांग्रेस ने हमला किया। चुनी हुई सरकारों को भंग किया। कांग्रेस हमेशा संविधान का शिकार करती रही है. इंदिरा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटा था।इंदिरा ने गुस्से में आकर देश में इमरजेंसी लगाई और इमरजेंसी में लोगों के अधिकार छीन लिए गए। इमरजेंसी में हजारों लोग जेल में डाले गए। इंदिरा के खिलाफ कोई कोर्ट में नहीं जा सकता था। उनके माथे पर कांग्रेस हमेशा संविधान का शिकार करती रही है। मोदी ने कहा कि संविधान के 25 साल पर इमरजेंसी लगी थी। आपातकाल में देश को जेलखाना बना दिया गया था। कांग्रेस के माथे से ये पाप नहीं धुलेगा। प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला किया गया. प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने संविधान निर्माताओं का अपमान किया। प्रधानमंत्री मोदी ने नेहरू की चिट्ठी का जिक्र करते हुए कहा कि नेहरू ने पिछले दरवाजे से संविधान को बदला । देश में नेहरू जी का अपना संविधान चलता था। 

मोदी ने कहा कि  भारत के गौरवशाली संविधान के कारण ही मेरे जैसे सामान्य लोग प्रधानमंत्री  बन सके है। उन्होंने जम्मू कश्मीर का जिक्र करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 देश की एकता में रुकावट था। इसलिए हमने डंके की चोट पर अनुच्छेद 370 को खत्म किया। उन्होंने कहा कि  हमारी सरकार की नीतियां संविधान के अनुरूप है। देश की एकता हमारी प्राथमिकता है। हमने संतुलित विकास को बढ़ावा दिया। हमने वन नेशन वन राशन कार्ड दिया। हमने मातृभाषा को बढ़ावा दिया। अटल सरकार में संविधान का 50वां वर्ष मनाया गया। मोदी ने बताया कि मेरे गुजरात का मुख्यमंत्री बनने पर संविधान के 60 साल हुए थे। तब हमने गुजरात में संविधान यात्रा निकाली थी। 

प्रधानमंत्री मोदी ने बाबा साहेब अंबेडकर का जिक्र करते हुए कहा कि लोकतंत्र हमारी संस्कृति में है। संविधान को सशक्त बनाने में नारी शक्ति की भूमिका है। आज हर बड़ी योजना के केंद्र में महिलाएं है। हमारा देश बहुत तेज गति से विकास कर रहा हैं। हम 2047 तक विकसित भारत बनाएंगे। हमारा देश जल्द ही दुनिया में तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होगा।  मोदी ने कहा कि विविधता में एकता हमारे देश की विशेषता रही है तथा संविधान भारत की एकता का आधार है। संविधान निर्माताओं के दिल में एकता  की भावना थी।

मोदी ने कहा कि हमारा लोकतन्त्र 75 का हो गया है यह हमारे लिए बहुत गौरव का पल है। यह विश्व के महान लोकतंत्र भारत की ऐतिहासिक यात्रा की कहानी है। हम लोकतंत्र का यह उत्सव गर्व से मना रहे हैं। 75 साल की उपलब्धिया असाधारण है। हमने सभी आशंकाओं को परास्त किया है। भारत का संविधान ही हमें यहां तक लाया है। संविधान निर्माता भारत की महान परंपरा मानते थे। मोदी ने कहा कि भारत पूरे विश्व में लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है और भारत का लोकतंत्र बहुत ही समृद्ध रहा है। सारे विश्व के लिए प्रेरक भी है। संविधान की 75 साल की यात्रा यादगार रही है। मोदी ने कहा इसलिए 75 साल में 55 साल एक परिवार ने राज किया. इसलिए देश में क्या-क्या हुआ ये जानने का सबको अधिकार है।उन्होंने कहा कि 1947 से 1952 तक इस देश में चुनी हुई सरकार नहीं थी. चुनाव नहीं हुए थे, एक अंतरिम व्यवस्था के रूप में खाका खड़ा किया गया था। 1952 के पहले राज्यसभा का भी गठन नहीं हुआ था. राज्यों में भी कोई चुनाव नहीं थे, जनता का कोई आदेश भी नहीं था। उसके बावजूद 1951 में जब चुनी हुई सरकार नहीं थी, उन्होंने संविधान को बदला और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला किया गया। ये संविधान निर्माताओं का अपमान था।

मोदी ने अपने संबोधन में जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी का नाम लिया और कहा कि क़रीब छह दशक में 75 बार संविधान बदला गया। उन्होंने कहा कि जो बीज देश के पहले प्रधानमंत्री जी ने बोया था, उस बीज को खाद-पानी देने का काम एक और प्रधानमंत्री ने किया।1971 में सुप्रीम कोर्ट का एक फै़सला आया था।उस फै़सले को संविधान बदलकर पलट दिया गया और 1971 में संविधान संशोधन किया गया था. उन्होंने हमारे देश की अदालत के पंख काट दिए थे।
मोदी ने अपने संबोधन में संविधान के अनुच्छेद 370 से लेकर यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड तक की चर्चा की। उन्होंने नाम लिए बग़ैर गांधी परिवार को निशाने पर लिया और कहा "कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।"अपने पूरे भाषण में पीएम नरेंद्र मोदी ने जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी से लेकर कांग्रेस के लंबे शासन पर निशाना साधा.

उससे पहले लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सावरकर का नाम लेते हुए संविधान के प्रति उनकी धारणा पर सवाल उठाए जबकि पहली बार संसद पहुंचीं उनकी बहन और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी सरकार को घेरा.

संविधान पर हुई लंबी चर्चा की गूंज सोशल मीडिया पर भी सुनाई दी और कई लोगों ने पीएम मोदी के भाषण को शानदार बताते हुए उसे हालिया हरियाणा और महाराष्ट्र चुनावों में बीजेपी की अप्रत्याशित जीत का 'आत्मविश्वास' क़रार दिया। वहीं बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि राहुल गांधी ने जब संसद में अपनी सरकार के पारित विधेयक को फाड़ दिया था, उसी दिन उन्होंने संविधान की धज्जियां उड़ा दी थीं।

इससे पहले लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अपने भाषण में विनायक दामोदर सावरकर के एक लेख का हवाला देते हुए मोदी सरकार को घेरा। उन्होंंने जाति जनगणना और रिज़र्वेशन बढ़ाने का भी मुद्दा उठाया.

राहुल गांधी के संबोधन के बाद बीजेपी नेताओं ने उनके भाषण पर टिप्पणी की।संसदीय कार्य मंत्री और बीजेपी नेता किरेन रिजिजू ने सावरकर पर दिए उनके बयान को ग़लत बताया और सोशल मीडिया पर एक दस्तावेज़ साझा किया।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पक्ष और प्रतिपक्ष दोनों भारतीय संविधान की तारीफ करते नहीं थकते है लेकिन संसद में एक दूसरे पर वही पुराने आरोप प्रत्यारोपों से नहीं उबर पा रहे है। उनका यह भी मानना है कि आज देश के अंदर और बाहर एशिया एवं दुनिया में जो राजनीतिक माहौल है उसे देखते हुए संविधान को और अधिक ताकतवर बनाने पर सभी को मिल कर फोकस करना चाहिए।

देखना है कि राज्यसभा में संविधान पर यह बहस किस दिशा में आगे बढ़ेगी?


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