बहुभाषी डिजिटल संसाधनों के संवर्धन के लिए एआई- एम एल का उपयोग विषयक कार्यशाला

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Published on : 06 Dec, 24 11:12

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग कृषि का मौजूदा परिदृश्य बदलने में सक्षम: डॉ. कर्नाटक

बहुभाषी डिजिटल संसाधनों के संवर्धन के लिए एआई- एम एल का उपयोग विषयक कार्यशाला

उदयपुर । महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए.आई.) और मशीन लर्निंग (एम.एल.) के आगमन से कई क्षेत्रों में बड़े बदलाव आए हैं और भविष्य में कृषि की मौजूदा तस्वीर और विराट रूप में निखर कर सामने आएगी। डॉ. कर्नाटक शुक्रवार को सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय सभागार में आयोजित बहुभाषी डिजिटल संसाधनों के संवर्धन के लिए एआई/एमएल के उपयोग विषयक एक दिवसीय कार्यशला में आए प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे।
सेन्टर फॉर डवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (सी-डैक) हैदाराबाद के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में राजस्थान कृषि महाविद्यालय उदयपुर व भीलवाड़ा, प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय, डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के वैज्ञानिकों एवं छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
डॉ. कर्नाटक ने कहा कि सी-डैक की ओर से विकसित विकासपीडीया पोर्टल का पूरे विश्व भर में कृषि से प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से जुड़े सभी लोग फायदा उठा सकते हैं। यदि आपमें विषय-विशेषज्ञता, ज्ञान है तो स्थानीय भाषा में उपयोगी सामग्री इस पोर्टल पर अपलोड कर सकते हैं। मोबाइल फ्रेण्डली विकासपीडीया एप 22 भाषाओं का प्लेटफॉर्म है। एमपीयूएटी से जुड़े वैज्ञानिक स्थानीय मेवाड़ी भाषा मंें कृषि, उद्यान, डेयरी व फिशरीज से जुड़ी सामग्री का अनुवाद कर विकासपीडीया पर डालें ताकि लोगों को सरस भाषा में ज्ञानार्जन हो सके। यह कार्य एक दिन में संभव नहीं है। हमारे यहां हर 40 किलोमीटर पर भाषा बदलती है और यहीं भाषा उस क्षेत्र विशेष की पहचान भी कराती है। हमें किसानों से उन्हीं की भाषा में बात करते हुए तकनीक का अनुप्रयोग करना होगा। खेती में एआई और मशीन लर्निंग से सटीक खेती, मौसम का पैटर्नं, पूर्वानुमान, मिट्टी की स्थिति पौधों की पानी की आवश्यकताओं का विश्लेषण आदि पर ध्यान रखते हुए पैदावार बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
सी-डैक हैदराबाद में वैज्ञानिक एवं सह निदेशक डॉ. बी. विजयलक्ष्मी ने कहा कि सेन्टर फॉर डवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग 1988 में स्थापित एक भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी और स्वायत्त निकाय है जो इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय की मानिंद काम करता है। विकासपीडीया पोर्टल भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की एक पहल है। इसका उद्देश्य भारतीय भाषाओं में डिजिटल सूचना की उपलब्धता और पहुंच में तेजी लाना है। साथ ही कृषि सहित सभी विकास क्षेत्रों में प्रामाणिक और विश्वसनीय बहुभाषी जानकारी प्रदान करके डिजिटल परिवर्तन को गति देना विकासपीडीया का मुख्य ध्येय है। इसमें कृषि के अलावा स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक कल्याण ऊर्जा आदि आजीविका क्षेत्र शामिल है। उन्होंने कहा कि विकासीपीडीया के लिए एमपीयूएटी उदयपुर के साथ सहयोग की विहंगम गुजांइश है। इसीलिए सी-डैक ने राजस्थान में एमपीयूएटी का चयन किया है। कृषि एवं संब˜ क्षेत्र पर विकासपीडीया ढांचे का उपयोग करते हुए अपनी पसंद की भाषाओं में ज्ञान साझा करने वाला मंच तैयार किया जाएगा। इससे राजस्थान के कृषि हितधाराकों को भी काफी लाभ होगा।
आरंभ में सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय उदयपुर की अधिष्ठाता डॉ. धृति सोलंकी ने स्वागत उद्बोधन के साथ बताया कि सत्र के दौरान साईबर सिक्योरिटी, साईबर क्राइम एवं साईबर एरेस्ट के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी। डॉ. प्रकाश पवांर कार्यक्रम समन्यवयक ने बताया कि कार्यशाला में कुल 75 कृषि वैज्ञानिक एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम में कृषि महाविद्यालय अधिष्ठाता डॉ. आर.बी. दुबे, मातस्यकी महाविद्यालय अधिष्ठाता डॉ. आर.ए. कौशिक, विशेषधिकारी डॉ. वीरेन्द्र नेपालिया, डॉ. सरला लखावत, डॉ. सुमन सिंह, डॉ. राजश्री उपाध्याय आदि मौजूद थे। अन्त में डॉ. हेमू राठौड़ ने धन्यवाद ज्ञापित किया।


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