उर्वरक एवं कीटनाशी बेचने वाले विक्रेता नही डॉक्टर बने: डॉ. कर्नाटक

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Published on : 06 Dec, 24 01:12

 15 दिवसीय खुदरा उर्वरक विक्रेता प्राधिकार पत्र प्रशिक्षण का समापन

उर्वरक एवं कीटनाशी बेचने वाले विक्रेता नही डॉक्टर बने: डॉ. कर्नाटक

 
प्रसार शिक्षा निदेशालय, उदयपुर द्वारा आयोजित 15 दिवसीय खुदरा उर्वरक विक्रेता प्रशिक्षण  के समापन के अवसर पर मुख्य अतिथि माननीय कुलपति डॉ. अजीत कुमार  कर्नाटक ने अपने उद्बोधन में प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि उर्वरक विक्रेताओं के लिए यह प्रशिक्षण अति महत्वपूर्ण है प्रशिक्षण के बाद वे महज विक्रेता नहीं बल्कि ज्ञानार्जन से कृषि के क्षेत्र में डॉक्टर बन जाते है। उन्होने यह भी आहृान किया कि वे प्रशिक्षण प्रप्ति पश्चात् सच्ची लगन व निष्ठा से अपने व्यवसाय के साथ किसानों को सही समय पर सही सुझाव देकर अप्रत्यक्ष रूप से उनके लिए बदलाव अभिकर्ता के रूप में सहायता करें। सभी उर्वरक विक्रेताओं को किसानों से सीधा सम्पर्क स्थापित कर विभिन्न प्रकार की नवीनतम एवं आधुनिक कृषि तकनीकियों को अपनाने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए और उनकी आमदनी को बढ़ाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। साथ ही बताया कि ज्ञान को सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। जीवन में उचांईयों को छुना है तो लर्न, अनलर्न एवं रीलर्न के सिद्वान्त को अपनाना चाहिये। इसके लिए सभी प्रतिभागियों को कृषि सम्बन्धित नवीनतम साहित्य एवं विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के सम्पर्क में रहना चाहिए ताकि कृषि में हो रहे नवाचारों द्वारा आप किसानों को अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित कर सकते है।
इस अवसर पर डॉ. आर. एल. सोनी, निदेशक प्रसार शिक्षा निदेशालय, उदयपुर ने उर्वरकों के सन्तुलित उपयोग एवं मृदा परीक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मृदा स्वास्थ्य कार्ड, पोषक तत्व प्रबन्धन, समन्वित पोषक तत्व के लाभ, जैविक खेती और उसके लाभ, कार्बनिक खेती आदि के बारे में भी चर्चा की। उन्होने बताया कि इस प्रशिक्षणार्थियों को उर्वरक उपयोग दक्षता बढ़ाने के उपाय सुझाऐं तथा टिकाऊ खेती समन्वित कृषि पद्धति की फसल विविधीकरण आदि विषयों पर जानकारी देकर उनका ज्ञान वर्धन किया।  
प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. लतिका व्यास, प्राध्यापक ने बताया कि इस प्रशिक्षण में राज्य के विभिन्न जिलों-उदयपुर, राजसमंद, चिŸाौड़गढ़, बासंवाडा, डूंगरपुर, सलूम्बर आदि से 30 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया जिन्हें उर्वरक सर्टिफिकेट कोर्स सम्बन्धी सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक जानकारियां विश्वविद्यालय के विभिन्न कृषि वैज्ञानिकों एवं राज्य सरकार के कृषि अधिकारियों द्वारा प्रदान की गई। साथ ही अपने विचार व्यक्त करते हुए इस प्रशिक्षण का लाभ किसानों तक पहुंचाने की अपील की।
प्रशिक्षण के समापन समारोह में खुदरा उर्वरक विक्रेता प्रशिक्षण में भाग लेने वाले सभी प्रशिक्षणार्थियों को कार्यक्रम के मुख्य अतिथि द्वारा प्रमाण-पत्र एवं प्रशिक्षण सम्बन्धी साहित्य प्रदान किये गये। साथ ही प्रशिक्षणार्थियों नें प्रशिक्षण के अनुभव भी साझा किये। इस कार्यक्रम में डॉ. एस. के. इन्टौदिया, प्राध्यापक, कृष्णा शर्मा, कैलाश माली, हिमा आदि उपस्थित थे। डॉ. राजीव बैराठी ने प्रशिक्षण के समापन समारोह में पधारे सभी अतिथियों एवं प्रशिक्षणार्थियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।


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