आरसीए पूर्व छात्र परिषद का 23 वां राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित

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Published on : 24 Nov, 24 13:11

अब दलहन-तिलहन व फल-फूल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की महत्ती जरूरत

आरसीए पूर्व छात्र परिषद का 23 वां राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित


उदयपुर, केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री कृषि एवं कृषक कल्याण भारत सरकार भागीरथ चौधरी ने कहा कि खाद्यान्न में तो हम संपन्न हैं, लेकिन दलहन, तिलहन और फल-फूल उत्पादन के क्षेत्र में अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। दलहन, तिलहन में आत्मनिर्भर ही नहीं बल्कि हम निर्यातक बन सकें, इसके लिए भरसक प्रयास करने होंगे।
राज्यमंत्री चौधरी रविवार को राजस्थान कृषि महाविद्यालय के नूतन सभागार में आयोजित पूर्व छात्र परिषद के 23 वें राष्ट्रीय सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब तक किसान के घर में समृद्धि नहीं होगी देश में खुशहाली नहीं आ सकती। उन्होंने कहा कि दलहन-तिलहन उत्पादन में कृषि विज्ञान केन्द्र महत्ती भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि कृषि विश्वविद्यालय संज्ञान में लाए तो दलहन-तिलहन, फल एवं फूल उत्पादन में बेहतरी के लिए भारत सरकार हर संभव मदद को तैयार है।
भागीरथ चौधरी ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान देश की 145 करोड़ की आबादी को हमारे अन्नदाता किसान ने अविस्मरणीय संबल दिया। यही कारण रहा कि आज देश के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज मिल रहा है। किसानों की आय बढ़ाने के प्रधानमंत्री के सपने को मूर्त रूप देने के लिए देश भर के कृषि विज्ञान केन्द्र किसानों के लिए जन जागृति का काम करें। खासकर उदयपुर संभाग जनजाति बहुल इलाका है। ऐसे में यहां के विद्यार्थियों को कृषि शिक्षा लेकर किसानों की आय बढ़ाने में मददगार बनना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज धरती को बचाने की आवश्यकता है। डीएपी यूरिया के अनियंत्रित प्रयोग और अंधाधुंध रसायनों के प्रयोग से धरती माता की सेहत काफी बिगड़ चुकी है। इस पर चिंतन के साथ-साथ जन जागरण की जरूरत है। धरती स्वस्थ रहेगी तो मनुष्य भी स्वस्थ रहेगा। पानी को भी बचाना होगा। उन्नत बीज उत्पादन के साथ-साथ कम पानी से पैदावारी कृषि वैज्ञानिकों का मूल मंत्र होना चाहिए। पहले बाजरा फसल 120 दिन में तैयार होती थी लेकिन वैज्ञानिकों ने उन्नत बीज तैयार किए तो अब 70 दिन में फसल पक रही है।
समारोह के विशिष्ट अतिथि सांसद मन्नालाल रावत ने देश भर से आए राजस्थान कृषि महाविद्यालय के पूर्व छात्रों को अनुभव का खजाना बताते हुए कहा कि वे कृषि से जुड़े सभी सेक्टर में अपने अनुभव साझा करें ताकि 2047 में विकसित भारत के सपने को साकार रूप दिया जा सके। कार्यक्रम के अति विशिष्ठ अतिथि देवनारायण बोर्ड के चेयरमेन ओम बढाना व जिलाध्यक्ष भगवती प्रसाद सारस्वत ने भी विचार रखे।  उन्होंने कहा कि खेती में लागत बढ़ने से किसान विचलित है।
’मक्का मेवाड़ के लिए वरदान-कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि मेवाड़ के लिए मक्का फसल किसी वरदान से कम नहीं है। वैसे भी यहां कहावत है- ’गेहूं छोड़ ’न मक्का खाणोें’ - मेवाड़ छोड़ ’न कठैई नी जाणों’। मक्का कभी अनाज और चारे के लिए बोई जाती थी, लेकिन अनुसंधान और कृषि वैज्ञानिकों के प्रयासों की बदौलत मक्का से पोपकॉर्न, बेबीकॉर्न, जर्म ऑयल (मक्का का तेल) जिसमें एण्टीऑक्सीडेन्ट भरपूर मात्रा उपलब्ध है। यहीं नहीं मक्का से स्टार्च के बाद इथेनॉल उत्पादन भी संभव है जिसे भविष्य में पेट्रोल के विकल्प के रूप में अपनाया जा सकता है। उन्होंने आश्वस्त किया कि ग्रीन फ्यूल की दिशा में एपपीयूएटी हर संभव मदद करेगा।
डॉ. कर्नाटक ने कहा कि 1955 में स्थापित राजस्थान कृषि महाविद्यालय कोई छोटा-मोटा कॉलेज नहीं है बल्कि देश का दूसरा कृषि विश्वविद्यालय है। उन्होंने कहा कि एमपीयूएटी ने हाल ही प्रताप-6 संकर मक्का बीज पैदा किया है। जिसका प्रति हैक्टेयर उत्पादन 65 क्विंटल है। कृषि राज्यमंत्री चौधरी की मंशानुरूप इस बीज के प्रयोग से मक्का का क्षेत्रफल बढ़ाने की जरूरत नही है बल्कि उत्पादन दो गुना हो सकता है। देश का पहला प्रकृतिक खेती का सेन्टर भी इस विश्वविद्यालय के अधीन भीलवाड़ा में कार्यरत है। डॉ. कर्नाटक ने बताया कि एमपीयूएटी के अंतर्गत आठ कृषि विज्ञान केन्द्र है जबकि नवां कृषि विज्ञान केन्द्र विद्याभवन में संचालित है लेकिन वह भी इसी विश्वविद्यालय का अहम हिस्सा है। एमपीयूएटी ने वर्ष 2024 में 24 पेटेन्ट प्राप्त किए। यह पेटेन्ट किसी सिफारिश से नहीं बल्कि भारत सरकार के कठिन नियम-शर्तों पर खरे उतरने पर मिले। मिलेट्स की दिशा में भी एमपीयूएटी ने सराहनीय काम किए अब जरूरत है तकनीक को विश्वविद्यालय हित में मोनीटाइजेशन किया जाए।
आंरभ में पूर्व छात्र परिषद के संरक्षक डॉ. आर.बी. दुबे ने स्वागत करते हुए बताया कि जुलाई 1955 में स्थापित राजस्थान कृषि महाविद्यालय से अबतक 4441 छात्र-छात्राएं स्नातकोत्तर, 3013 स्नातक जबकि 883 विधार्थी पी.एच.डी डिग्री प्राप्त कर चुके हैं। पूर्व छात्र परिषद के संयुक्त सचिव व प्रवक्ता डॉ.दीपंाकर चक्रवर्ती ने विगत पांच वर्षों में 915 विद्यार्थियों का देश-विदेश में विभिन्न सेवाओं में चयन हुआं है। पूर्व छात्र डॉ. लक्ष्मण सिंह राठौड़, पूर्व कुलपति उमाशंकर शर्मा के अलावा पूर्व छात्र परिषद के पदाधिकारी डॉ. आर.बी. दुबे, डॉ. एन.एस. बारहट, डॉ. जे.एल. चौधरी, डॉ. दीपांकर चक्रवर्ती, डॉ. सिद्धार्थ मिश्रा आदि ने अतिथियों को साफा, पुष्पगुच्छ, स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। समारोह में पूर्व छात्र परिषद की ओर से 30 से ज्यादा छात्र-छात्राओं, शिक्षकों, किसानों कृषक राधेश्याम कीर, रमेश कुमार डामोर, डा. के.डी. आमेटा, डॉ. एस. रमेश बाबू, रजनीकांत शर्मा, डॉ. भावेन्द्र तिवारी, वर्षा मेनारिया व अमीषा बेसरवाल को सम्मानित किया गया।  


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