बांसवाड़ा, 20 नवम्बर/सदियों पुरानी तपोभूमि एवं सिद्धों के महाधाम लालीवाव मठ में आठ दिवसीय बहुआयामी एवं विराट धार्मिक महोत्सव के विशाल शोभायात्रा के साथ बुधवार को हुए आगाज ने श्रृद्धाभक्ति का अपूर्व ज्वार उमड़ा दिया।
महोत्सव की शुरूआत विनायक पूजा के उपरान्त लालीवाव मठ के देवी-देवताओं के पूजन एवं पूर्व पीठाधीश्वरों के स्मरण तथा समाधि एवं मूर्तियों के पूजन से हुई। इसके उपरान्त मठ परिसर से अनुष्ठानी संतों, पण्डितों एवं यजमान परिवारों की आस्था यात्रा निकली, जो श्री पीताम्बरा आश्रम पहुंचकर हैमाद्रि विधान उत्सव में परिणित हो गई, जहां आचार्य मण्डल प्रमुख पं. निकुंज मोहन पण्ड्या एवं पं. दिव्यभारत पण्ड्या के आचार्यत्व में सभी को हैमाद्रि एवं दशविधि स्नान, आदि संस्कारों से शुद्धिकरण कर तर्पण, पूजन-अर्चन की प्रक्रिया पूर्ण की गई।
श्री पीताम्बरा आश्रम मेंं विधि-विधान से हैमाद्रि कर्म और अनुष्ठानों से पूर्व की विधियों की पूर्णता के उपरान्त पोथी एवं कलश लिए यजमान समूहों की यात्रा लालीवाव मठ पहुंची, जहां वैदिक यज्ञ परम्पराओं के अनुरूप मंत्रोच्चार के साथ सभी ने यज्ञ मण्डप में प्रवेश किया और कलश स्थापित किए।
शोभायात्रा का अपूर्व स्वागत
दोपहर बाद कुशलबाग स्थित सिद्धनाथ मन्दिर से बैण्डबाजों, ढोल-ढमाकों, शंख ध्वनि और विभिन्न लोकवाद्यों की गूंज के बीच भव्य शोभायात्रा निकली। इसमें गजारूढ़ भगवान श्रीपद्मनाभ, महाकाल भगवान की सवारी, परमाध्यक्ष श्रीमद् जगद्गुरु श्री टीलाद्वारागाद्याचार्य मंगलपीठाधीश्वर श्री श्री 1008 श्री माधवाचार्यजी महाराज सहित कई सुसज्जित रथों पर विराजमान देश के विभिन्न हिस्सों से आए महामण्डलेश्वरों, मठाधीशों, महंतों और साधु-संतों के दर्शनों के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। पेशवाई (शोभायात्रा) के समूचे मार्ग पर श्रृद्धालुओं द्वारा पुष्पों की वृष्टि से पुष्प पंखुड़ियों की चादर बिछ गई।
शोभायात्रा में भजन मण्डलियों ने भजनों की सरिताएं बहा दी वहीं बड़ी संख्या में कलश लिए महिलाओं ने रास्ते भर भजन-कीर्तनों और गरबों की धूम मचाते हुए नृत्य कर भक्तिभाव का झरना बहा दिया। किन्नरों ने भी भक्ति नृत्य प्रस्तुत किए। कुशलबाग क्षेत्र से आरंभ हुई शोभायात्रा शहर के विभिन्न मुख्य मार्गों से होकर लालीवाव पहुंचकर सम्पन्न हुई।
भागवत पारायण, कथा एवं यज्ञार्चन गुरुवार से
लालीवाव के विराट महोत्सव के अन्तर्गत सप्ताह भर तक चलने वाले 108 भागवत पारायण एवं यज्ञार्चन विधान 21 नवम्बर, गुरुवार को प्रातः 7 बजे से आरंभ होंगे।
भागवत कथा दोपहर 1 से 5 बजे तक
महोत्सव के अन्तर्गत भागवत कथा 21 से 27 नवम्बर तक प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक होगी। इसमें श्रीमद् जगद्गुरु द्वाराचार्य श्री अग्रमलूकपीठाधीश्वर एवं विश्वविख्यात आध्यात्मिक विभूति संत स्वामी श्री राजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज की ओजस्वी अमृतवाणी में भागवत कथा का रसास्वादन होगा।