**माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ का प्रेरक संबोधन**
16 नवंबर 2024 को मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (एमएलएसयू) के विवेकानंद सभागार में आयोजित **मोहनलाल सुखाड़िया स्मृति व्याख्यान** में भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने मुख्य वक्ता के रूप में छात्रों, शिक्षकों और गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित किया। उन्होंने भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए युवाओं को सक्रिय भागीदारी का आह्वान किया। उन्होंने युवाओं से **"राष्ट्र प्रथम"** की भावना को अपनाने और नवाचार के साथ आत्मनिर्भर बनने की अपील की।
---
### **राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका**
श्री धनखड़ ने युवाओं को परंपरागत रोजगार के विचार से ऊपर उठने का संदेश देते हुए कहा, “सिर्फ नौकरी के लिए प्रयास न करें, बल्कि नौकरी देने वाले बनें।” उन्होंने स्पेस इकोनॉमी, ब्लू इकोनॉमी, और मशीन लर्निंग जैसे क्षेत्रों में उभरते अवसरों का उल्लेख किया और युवाओं से **आउट-ऑफ-बॉक्स सोच** अपनाने की अपील की।
उन्होंने कहा, **“विकसित भारत का सपना तभी साकार होगा जब हमारे युवा नवाचार और ऊर्जा के साथ अपनी भूमिका निभाएंगे।”**
---
### **सुखाड़िया विश्वविद्यालय का योगदान**
कार्यक्रम की शुरुआत में विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा ने एमएलएसयू की उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं का परिचय दिया। उन्होंने नई शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत पाठ्यक्रमों में हुए बदलावों का उल्लेख करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय ने उच्च शिक्षा को नवाचार और कौशल विकास के साथ जोड़ने में उल्लेखनीय कार्य किया है।
प्रो. मिश्रा ने कहा, **“सुखाड़िया विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा में नए मापदंड स्थापित कर रहा है और छात्रों को वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्षम बना रहा है।”**
---
### **भारत की उन्नति का स्वरूप**
उपराष्ट्रपति ने भारत की प्रगति के उल्लेखनीय आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया:
- भारत 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था है और विकास दर 8% है।
- प्रतिवर्ष 8 नए एयरपोर्ट और हर दो साल में 3-4 नई मेट्रो रेल सेवाओं का निर्माण हो रहा है।
- प्रतिदिन 28 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग और 12 किलोमीटर रेलवे ट्रैक का निर्माण किया जा रहा है।
- भारत का डिजिटल ट्रांजेक्शन आज अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस और जर्मनी के संयुक्त ट्रांजेक्शन्स से अधिक है।
उन्होंने इन उपलब्धियों को भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव का प्रमाण बताया और युवाओं से इस गति को बनाए रखने में योगदान देने की अपील की।
---
### **सांस्कृतिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारी**
उपराष्ट्रपति ने पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए "एक पेड़ मां के नाम" अभियान का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, **“यह सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि हमारे पर्यावरण और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है।”**
उन्होंने वेद, उपनिषद और पुराण जैसे ग्रंथों को हमारी अमूल्य धरोहर बताते हुए युवाओं से इन्हें पढ़ने और अपनी संस्कृति को अपनाने की अपील की।
---
### **स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहन**
श्री धनखड़ ने "वोकल फॉर लोकल" और "वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट" अभियानों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि आयातित उत्पादों पर निर्भरता कम करना देश के आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है। उन्होंने स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देकर रोजगार के अवसर सृजित करने पर जोर दिया।
---
### **भ्रष्टाचार पर अंकुश और निवेश का माहौल**
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भ्रष्टाचार विकास में बाधा है, लेकिन वर्तमान में कानूनी एजेंसियों की सख्ती से कार्य प्रणाली में सुधार हुआ है। इसके परिणामस्वरूप भारत आज निवेश के लिए एक बेहतरीन स्थान बनकर उभरा है।
---
### **2047 के विकसित भारत का लक्ष्य**
कार्यक्रम का समापन उपराष्ट्रपति और उनकी धर्मपत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ द्वारा "एक पेड़ मां के नाम" अभियान के तहत पौधारोपण से हुआ।
अपने समापन भाषण में उन्होंने कहा:
**“युवाओं के नवाचार, समर्पण और दृष्टिकोण से ही भारत का विकसित राष्ट्र बनने का सपना साकार होगा। आइए, हम सब मिलकर राष्ट्र को सर्वोपरि रखें और इसकी प्रगति में अपना योगदान दें।”**
कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा द्वारा साझा की गई विश्वविद्यालय की प्रगति और भविष्य की योजनाओं के साथ, उपराष्ट्रपति का प्रेरणादायक संबोधन युवाओं को नवाचार, सांस्कृतिक गर्व और सतत विकास के लिए प्रेरित करने वाला साबित हुआ। मोहनलाल सुखाड़िया स्मृति व्याख्यान 2024 ने भारत के उज्जवल भविष्य की दिशा में एक सशक्त संदेश दिया।