*कोटड़ा, उदयपुर* भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर कोटड़ा में आयोजित जनजाति गौरव महोत्सव को संबोधित करते हुए कहा कि बिरसा मुंडा का योगदान न केवल जनजातीय स्वाभिमान के लिए बल्कि देश की आजादी और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी अविस्मरणीय है।
उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा का जीवन महज 25 वर्षों का था, लेकिन उनकी दूरदर्शी सोच और दृढ़ संकल्प ने इतिहास को नया आयाम दिया। उन्होंने जल, जंगल, जमीन जैसे मुद्दों को अपनी सांस्कृतिक चेतना का हिस्सा बनाकर जनजातीय समाज को स्वाभिमान के साथ जीने की प्रेरणा दी।
**महिला सशक्तिकरण और नीति निर्माण पर जोर**
उपराष्ट्रपति ने महिला सशक्तिकरण के संदर्भ में कहा कि अब लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। राजस्थान में विशेष रूप से जनजातीय क्षेत्र की महिलाओं की भूमिका को सराहा गया।
**अमृतकाल में भूले-बिसरे नायकों को सम्मान**
उन्होंने कहा कि आजादी के अमृतकाल में स्वतंत्रता संग्राम के भूले-बिसरे नायकों को उचित सम्मान दिया जा रहा है। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को हर साल राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाना इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
**जनजातीय प्रतिभाओं और कला को मिला सम्मान**
कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने चिकित्सा, इंजीनियरिंग, और खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली जनजातीय प्रतिभाओं को सम्मानित किया। अंतर्राष्ट्रीय तीरंदाजों और अन्य जनजातीय प्रतिभाओं को प्रशस्ति पत्र भेंट किए गए।
**पौधारोपण और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में भागीदारी**
उपराष्ट्रपति ने अपनी माताश्री की स्मृति में पौधारोपण किया और पारंपरिक गवरी नृत्य प्रस्तुत करने वाले कलाकारों का उत्साह बढ़ाया। उन्होंने स्वयं ढोल बजाकर कलाकारों का अभिनंदन किया।
**हस्तशिल्प और वन उत्पादों की सराहना**
आयोजन स्थल पर जनजातीय महिलाओं द्वारा तैयार हस्तशिल्प और वन उत्पादों की उपराष्ट्रपति ने सराहना की।
**उपराष्ट्रपति की प्रेरणादायक अपील**
श्री धनखड़ ने जनता से भगवान बिरसा मुंडा के जीवन और कार्यों को समझने और उनके आदर्शों को अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा, "राष्ट्रवाद हमारा धर्म और राष्ट्रहित सर्वपरि होना चाहिए।"
कार्यक्रम में प्रदेश के गणमान्य व्यक्तियों और जनप्रतिनिधियों ने भी भाग लिया और भगवान बिरसा मुंडा के योगदान को याद किया।