उदयपुर। उदयपुर टिम्बर एंड प्लाइवुड मर्जेंट वेलफेयर सोसाइटी ने राज्य सरकार द्वारा टिम्बर पर कृषि मंडी शुल्क लगाए जाने के निर्णय का विरोध किया है। इससे व्यापारियों में भारी रोष है। व्यापारी इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं और इसके विरुद्ध अपनी आवाज उठा रहे हैं। उनका मानना है कि यह निर्णय उनके व्यवसाय को प्रभावित करेगा और उनकी आय पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा। व्यापारियों के विरोध के कारणों में शामिल है। आगे की रणनीति बनानें हेतु रोटरी बजाज भवन मेंएक बैठक आयोजित की गई।
अध्यक्ष रविंद्र सिंह चौहान ने बताया कि अतिरिक्त वित्तीय भारः शुल्क के कारण व्यापारियों को अतिरिक्त वित्तीय भार सहन करना पड़ेगा। व्यवसाय पर प्रभावः यह निर्णय उनके व्यवसाय को प्रभावित करेगा और उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को कम करेगा। व्यापारियों का मानना है कि यह निर्णय अन्यायपूर्ण है और कृषि मंडी शुल्क टिम्बर जैसे उत्पादों पर नहीं लगाया जाना चाहिए। टिम्बर व्यापारी सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की है।
टिम्बर और प्लाईवुड मार्चेंट वेल्फेयर सोसाइटी उदयपुर के पदाधिकारियों ने राज्य सरकार द्वारा टिम्बर पर कृषि मंडी शुल्क लगाए जाने के निर्णय का विरोध किया है। अध्यक्ष रविंद्र सिंह चौहान की अध्यक्षता में यह निर्णय लिया गया कि टिम्बर पर कृषि मंडी शुल्क का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है, इसलिए व्यापारी इसे स्वीकार नहीं करेंगे। व्यापारियों का मानना है कि टिम्बर का कृषि से कोई संबंध नहीं है, बल्कि इसका संबंध वन से है, और यह एक वन उत्पाद है। इसलिए, टिम्बर पर कृषि मंडी शुल्क लगाना अनुचित है। उनका यह भी कहना है कि टिम्बर का कृषि मंडी से कोई संबंध नहीं है, इसलिए इस शुल्क को लागू करने का कोई औचित्य नहीं है। राजस्थान सरकार ने कृषि उपज मंडी में इमारती लकड़ी पर मंडी एवं कृषक कल्याण शुल्क लगाने का निर्णय लिया है, लेकिन व्यापारी इस से असहमत हैं।
उदयपुर टिम्बर एंड प्लाइवुड मर्जेंट वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष रविंद्र सिंह चौहान और सचिव कीर्ति सोनी सहित अन्य व्यापारियों ने राज्य सरकार से अपील की है कि टिम्बर पर कृषि मंडी शुल्क लगाए जाने के फैसले को नए सिरे से लागू करने का कोई प्रयास नहीं किया जाए। उनका मानना है कि यह शुल्क पूरी तरह से अनुचित है।
राजस्थान कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक, 2022 के तहत यह शुल्क लगाया गया है, परंतु व्यापारी इस निर्णय से असहमत हैं। व्यापारियों का विरोध पूरे प्रदेश में हो रहा है, और वे सरकार से इस आदेश को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।